Lok Sabha Election 2019: प. बंगाल में यहां विकास हमेशा ही अहम कारक रहा, इस सीट पर कभी कोई मैजिक फैक्टर नहीं हुआ

बैरकपुर संसदीय क्षेत्र कई मायनों में खास है। यहां मिल मजदूर नेताओं की सियासी किस्मत का फैसला करते हैं। औद्योगिक इलाका होने के कारण यहां की अधिक आबादी मजदूरों की है।

By Preeti jhaEdited By: Publish:Tue, 30 Apr 2019 09:44 AM (IST) Updated:Tue, 30 Apr 2019 09:44 AM (IST)
Lok Sabha Election 2019: प. बंगाल में यहां विकास हमेशा ही अहम कारक रहा, इस सीट पर कभी कोई मैजिक फैक्टर नहीं हुआ
Lok Sabha Election 2019: प. बंगाल में यहां विकास हमेशा ही अहम कारक रहा, इस सीट पर कभी कोई मैजिक फैक्टर नहीं हुआ

कोलकाता, दिनेश प्रकाश पांडेय। कभी बैरकपुर में पूर्व रेलमंत्री दिनेश त्रिवेदी के चुनावी सारथी रहे अर्जुन सिंह के भगवा खेमे में जाने से तृणमूल कांग्रेस खासी परेशान हैं। अर्जुन को मात देने के लिए अब उन्हीं की पुरानी पार्टी तमाम उपाय कर रही हैं।

सियासी महासमर में बंगाल की बैरकपुर लोकसभा सीट की अहमियत इसी से समझी जा सकती है कि कभी इस सीट के लिए मुख्यमंत्री व तृणमूल सुप्रीमो ममता पूरी तरह यहां के भाटपाड़ा अंचल के विधायक अर्जुन सिंह पर निर्भर हुआ करती थीं। अर्जुन ने भी उन्हें कभी मायूस नहीं किया था। 2009 के आम चुनाव में दिनेश त्रिवेदी को जिताकर इस सीट को उन्होंने ही ममता की झोली में डाला था।

2009 व 2014 में यहां से सांसद चुने गए पूर्व रेलमंत्री दिनेश त्रिवेदी एक बार फिर यहां से चुनावी समर में हैं, जहां इस बार उनका मुकाबला भाजपा प्रत्याशी व क्षेत्र के कद्दावर नेता अर्जुन सिंह से है। अर्जुन लगातार चार बार भाटपाड़ा से विधायक रहे हैं और क्षेत्र में उनकी अच्छी पकड़ भी है।

यहां मजदूर चमकाते हैं नेताओं की सियासी किस्मत :

बैरकपुर संसदीय क्षेत्र कई मायनों में खास है। यहां मिल मजदूर नेताओं की सियासी किस्मत का फैसला करते हैं। औद्योगिक इलाका होने के कारण यहां की आधी से अधिक आबादी मजदूरों की है, जो दूसरे प्रदेशों से आकर बसे हैं। ऐसे में सभी दलों में उनकी काफी सियासी अहमियत है। संसदीय क्षेत्र की कुल आबादी का 35 फीसद हिंदीभाषी है। भाजपा क्षेत्र के कद्दावर नेता अर्जुन सिंह के भरोसे यहां चुनावी वैतरणी पार करना चाहती है, जो हाल में तृणमूल कांग्रेस का दामन झटककर भाजपा में शामिल हुए हैं। वहीं तृणमूल ने एक बार फिर अपने पुराने चेहरे व यहां के निवर्तमान सांसद दिनेश त्रिवेदी पर दांव लगाया है।

उधर माकपा ने गार्गी चटर्जी और कांग्रेस ने मोहम्मद आलम को मैदान में उतारा है। पिछले लोकसभा चुनाव में इस सीट पर दिनेश त्रिवेदी 45.59 प्रतिशत वोट हासिल कर विजयी हुए थे। उन्हें कुल 4,79,206 वोट मिले थे। उन्होंने माकपा की सुभाषिनी अली को 2,06,773 वोट से पराजित किया था। सुभाषिनी 25.92 प्रतिशत वोट के साथ दूसरे स्थान पर रही थी।

उन्हें 2,72, 433 वोट मिले थे। 2014 के चुनाव में माकपा के वोट प्रतिशत में 16.92 प्रतिशत की गिरावट दर्ज हुई थी तो भाजपा के वोट प्रतिशत में 18.36 प्रतिशत का इजाफा। भाजपा उम्मीदवार रूमेश कुमार हांडा को 2,30, 401 वोट मिले थे। कभी इस संसदीय क्षेत्र में भाजपा शून्य स्थिति में थी। अब वह 21.92 प्रतिशत वोट के साथ मजबूत प्रतिद्वंद्वी के रूप में उभरी है। इन सबके बीच कांग्रेस, जो कभी मुख्य प्रतिद्वंद्वी हुआ करती थी, महज 30,491 वोट पर सिमट गई।

मुद्दा है विकास :

यहां विकास हमेशा ही अहम कारक रहा है और इसी को आधार बनाकर यहां के श्रमिक मतदान करते आए हैं। इस सीट पर कभी कोई मैजिक फैक्टर कारगर साबित नहीं हुआ। यहां के मतदाता किसी लहर में बहकर अपने मताधिकार का इस्तेमाल नहीं करते। 2011 की जनगणना के मुताबिक बैरकपुर संसदीय क्षेत्र की आबादी 19 लाख 27 हजार 596 है, जिनमें 16.78 प्रतिशत गांवों जबकि 83.22 प्रतिशत शहरों में वास करती है। इनमें अनुसूचित जाति/जनजाति का अनुपात क्रमश: 16.14 व 1.44 प्रतिशत है। 2017 की मतदाता सूची के अनुसार यहां 13 लाख 88 हजार 832 मतदाता हैं, जो 1530 मतदान केंद्रों पर वोटिंग करते हैं। बैरकपुर में 2014 के आम चुनाव में 81.77 प्रतिशत मतदान हुआ था, 2009 में यह आंकड़ा 80.46 प्रतिशत था।  

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