Bengal Assembly Elections 2021: ‘टुम्पा सोना’ के गाने से वामपंथी कर रहे हैं ब्रिगेड रैली का प्रचार
माकपा ने गाने का एक वीडियो बनाया है जिसमें बोल में हेर-फेर करते हुए गाया गया है। ये वीडियो सोशल मीडिया पर फिलहाल खूब वायरल हो रहा है। गाने के बोल कुछ यूं हैं ‘टुम्पा…तोके निये ब्रिगेड जाबो टुम्पा…चेन फ्लैगे माठ साजाबो। टुम्पा…28शे तुलबो आवाज टुम्पा…मोदी-दीदी सोब भोगे जाक।’
कोलकाता, राज्य ब्यूरो। अनुभव की आंखों से राजनीति को जाहे जितना ही देखा जाए, लेकिन समय के साथ ताल मिलाने के लिए युवाओं की पसंद और नापसंद को ध्यान में रखना काफी जरूरी हो जाता है। इसकी भनक अब वाम नेतृत्व को भी लग गई है। यही कारण है कि इंटरनेट मीडिया पर वाम नेताओं की सक्रियता भी बढ़ी है।
‘इंक्लाब जिंदाबाद’ स्लोगन अथवा आज के समय का ‘फेराते हाल फिरूक लाल’, ‘खेला होबे’ के साथ ताल में ताल मिलाने के लिए सोशल मीडिया पर वायरल ‘आइटम’ भी इसमें शामिल हाे गया है। माकपा आगामी 28 फरवरी को ब्रिगेड में सभा करने वाली है जिसके लिए ‘टुम्पा सोना’ गाने के माध्यम से पार्टी प्रचार में उतरी है।
माकपा ने गाने का एक वीडियो बनाया है जिसमें बोल में हेर-फेर करते हुए गाया गया है। वहीं सूर्यकांत मिश्र समेत माकपा नेता वीडियो को अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर भी पोस्ट कर रहे हैं। ये वीडियो सोशल मीडिया पर फिलहाल खूब वायरल हो रहा है। गाने के बोल कुछ यूं हैं, ‘टुम्पा…तोके निये ब्रिगेड जाबो, टुम्पा…चेन फ्लैगे माठ साजाबो। टुम्पा…28शे तुलबो आवाज, टुम्पा…मोदी-दीदी सोब भोगे जाक।’
लकड़ी तस्करी का भंडाफोड़
बैंकुठपुर वन विभाग के सालुगाड़ा रेंज की टीम ने गुप्त सूचना के आधार पर लकड़ी तस्करी का भंडाफोड़ करते हुए 200 सिफ्टी सागवान की लकड़ी जब्त किया है। इसका अनुमानित मूल्य पांच लाख रुपये आंका गया है। इसके साथ ही पिकअप वैन में सवार एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया है। उसका नाम शेखर साहा है। वन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार वन विभाग को पता चला कि सुकना के निकट से बड़ी मात्रा में सागवान की लकड़ियों की तस्करी की जा रही है। इसे एक पिकअप वैन से बिहार की ओर ले जाया जा रहा है।
सूचना के आधार पर वनविभाग की टीम उसे पकड़ने के लिए बालासन ब्रिज के निकट नाका लगाकर बैठे रहे। जब लकड़ी लदा ट्रक वहां पहुंचा तो उसे पकड़ा गया। वाहन चालक शेखर साहा से पूछताछ और जब्त वाहन के आधार पर वन विभाग को पता चला कि वाहन अभिजीत कांजीलाल का है। उसका पहले भी लकड़ी तस्करी के शामिल होने का पुराना रिकार्ड है। सालूगाड़ा रेंज उसे भी पकड़ने के लिए अभियान चला रही है। इसके माध्यम से यह सवाल उठ रहा है कि इतनी मात्रा में लकड़ियों को जंगल से काटे जाने के बाद आखिर वन की सुरक्षा में लगे फोर्स क्यों नहीं देख पा रही है? क्यों तस्करी के लिए जब लकड़ियों को ले जाया जाता है तभी उसे पकड़ा जाता है। अगर नहीं पकड़े जाने पर कितनी लकड़ियां राज्य से बाहर तस्करी होकर अन्य राज्यों में पहुंच रहा है। इसको लेकर भी कई प्रकार की चर्चाएं शुरु हो गयी है।