बंगाल को मिल सकती है पहली महिला डीजीपी, डीजीपी वीरेंद्र अगस्‍त में होने वाले हैं सेवानिवृत्त, जानें कौन रेस में

बंगाल के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) वीरेंद्र अगस्त में सेवानिवृत्त होने वाले हैं। उनके उत्तराधिकारी को चुनने के लिए नौकरशाही गतिविधियां चल रही हैं और कयास लगाये जा रहे हैं कि राज्य को अपनी पहली महिला डीजीपी मिल सकती है।

By Vijay KumarEdited By: Publish:Fri, 23 Jul 2021 05:08 PM (IST) Updated:Fri, 23 Jul 2021 05:08 PM (IST)
बंगाल को मिल सकती है पहली महिला डीजीपी, डीजीपी वीरेंद्र अगस्‍त में होने वाले हैं सेवानिवृत्त, जानें कौन रेस में
डीजीपी वीरेंद्र अगस्त में होने वाले हैं सेवानिवृत्त, उत्तराधिकारी को चुनने की प्रक्रिया तेज

राज्य ब्यूरो, कोलकाता : बंगाल के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) वीरेंद्र अगस्त में सेवानिवृत्त होने वाले हैं। उनके उत्तराधिकारी को चुनने के लिए नौकरशाही गतिविधियां चल रही हैं और कयास लगाये जा रहे हैं कि राज्य को अपनी पहली महिला डीजीपी मिल सकती है। 1987 बैच की वरिष्ठ महिला आइपीएस अधिकारी सुमन बाला साहू को राज्य पुलिस में शीर्ष पद की दौड़ में सबसे आगे माना जा रहा है। यदि उनको चुना जाता है, तो राज्य में एक महिला मुख्यमंत्री के अधीन काम करने वाली एक महिला डीजीपी का दुर्लभ संयोजन देखने को मिलेगा।

साहू वर्तमान में बंगाल के डीजी-कम्युनिकेशन के रूप में तैनात हैं। हालांकि, उन्हें कानून-व्यवस्था की स्थिति को संभालने का ज्यादा अनुभव नहीं है, लेकिन उन्हें खुफिया नेटवर्क में विशेषज्ञता हासिल है और उनकी साफ-सुथरी छवि उन्हें अपने साथियों से आगे रख सकती है।

साहू, जिन्होंने अपने करियर का एक बड़ा हिस्सा कोलकाता पुलिस और सीआइडी के जासूसी विभाग में बिताया और वीवीआइपी की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार थे, उन्हें कोलकाता और बंगाल के बारे में अच्छी जानकारी है। हालांकि राज्य ने 11 उम्मीदवारों की सूची पहले ही भेज दी है, लेकिन मुख्यमंत्री के करीबी सूत्रों को आशंका है कि अलापन बंद्योपाध्याय घटना के बाद डीजीपी की नियुक्ति भी राजनीतिक मोड़ ले सकती है।

आदर्श रूप से, प्रधानमंत्री कार्यालय के तहत कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) आइपीएस और आइएएस

अधिकारियों की नियुक्ति प्राधिकारी है, इसलिए किसी व्यक्ति को किसी भी राज्य के डीजीपी के रूप में नियुक्त करने के लिए पीएमओ की मंजूरी की आवश्यकता होती है।परंपरागत रूप से, केंद्र सरकारें मुख्यमंत्रियों द्वारा अग्रेषित नाम को स्वीकार करती हैं, लेकिन इस बार केंद्र सरकार ने शीर्ष पद के लिए किसी को भी नियुक्त करने से पहले अधिकारियों की विश्वसनीयता जांच करने के लिए संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) को लगाया है।

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, जो 28 जुलाई को दिल्ली की अपनी तीन दिवसीय यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने वाली हैं। इस दौरान डीजीपी की नियुक्ति का मुद्दा उठाने की संभावना है।राज्य सचिवालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, हालांकि राज्य अपनी प्राथमिकताओं का जोरदार समर्थन करेगा, लेकिन यह मुद्दा राजनीतिक मोड़ ले सकता है। सूत्रों के अनुसार, राज्य की ओर से डीजीपी पद के लिए जो 11 वरिष्ठ आइपीएस अधिकारियों की जो सूची भेजी गई है उसमें साहू का नाम चौथे नंबर पर है।

सूची में पहले नंबर पर मनोज मालवीय का नाम

वैसे राज्य की ओर से भेजी गई 11 अधिकारियों की सूची में पहले नंबर पर मनोज मालवीय का नाम शामिल हैं। सूची में कई और वरिष्ठ अधिकारी शामिल हैं लेकिन‌ इनमें से कुछ नामों पर पेंच फंस सकता है। 1986 बैच के अधिकारी मालवीय वर्तमान में पहली पसंद के रूप में डीजी (संगठन) के रूप में तैनात हैं। सीबीआइ और सीएपीएफ (केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल) में केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के ट्रैक रिकॉर्ड के साथ एक असाधारण अधिकारी मालवीय के पास डीजीपी बनने के लिए सभी योग्यताएं हैं, लेकिन सिविल एविएशन ब्यूरो के प्रमुख के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान यूपीएससी भ्रष्टाचार के विभिन्न आरोप लगा सकता है। यह उनके खिलाफ जा सकता है क्योंकि यूपीएससी का आदेश पेशेवर ईमानदारी को अनिवार्य करता है।

सूची में दूसरे स्थान पर कुलदीप सिंह हैं, जो वर्तमान में डीजी (सीआरपीएफ) हैं और यह संभावना नहीं है कि केंद्र सिंह को बंगाल का राज्य पुलिस प्रमुख बनने के लिए आगे करेगा।

अगली पंक्ति में कैबिनेट सचिवालय में वर्तमान संयुक्त सचिव शशि भूषण सिंह तोमर हैं, जिन्हें उठाया भी नहीं जा सकता है। स्वाभाविक रूप से सूची में चौथे नाम साहू के पास राज्य के डीजीपी बनने का मौका हो सकता है। इस सूची में उन लोगों के नाम भी शामिल हैं जो इस साल सेवानिवृत्त होने जा रहे हैं।

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