Calcutta High Court ने मांगी 15 हजार प्राइमरी टीचरों की सूची, जानें क्‍या है मामला

अपात्र लोगों को प्राइमरी टीचर (Primary Teacher) के पद पर नियुक्त किए जाने का मामला को लेकर कोलकाता हाइकोर्ट ( Calcutta High Court) ने पश्चिम बंगाल प्राइमरी शिक्षा पार्षद से नियुक्त किए गए 15 हजार प्राइमरी टीचरों की सूची तलब की है।

By Babita KashyapEdited By: Publish:Sat, 11 Sep 2021 09:07 AM (IST) Updated:Sat, 11 Sep 2021 09:07 AM (IST)
Calcutta High Court  ने मांगी 15 हजार प्राइमरी टीचरों की सूची, जानें क्‍या है मामला
अपात्र लोगों को प्राइमरी टीचर के पद पर नियुक्त किए जाने का मामला

कोलकाता, राज्य ब्यूरो। हाइकोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस राजेश बिंदल और जस्टिस राजर्षि भारद्वाज के डिविजन बेंच ने पश्चिम बंगाल प्राइमरी शिक्षा पार्षद से नियुक्त किए गए 15 हजार प्राइमरी टीचरों की सूची तलब की है। इसके साथ ही प्रत्येक का विस्तृत ब्योरा भी देना पड़ेगा। जस्टिस बिंदल ने पर्षद के एडवोकेट से कहा कि यह एक वृहत्तर जनहित का मुद्दा है। इसलिए पहले सूची दीजिए फिर आपकी दलील सुनेंगे। यह अपात्र लोगों को प्राइमरी टीचर के पद पर नियुक्त किए जाने का मामला है।

एडवोकेट शुभ्रप्रकाश लाहिड़ी ने यह जानकारी देते हुए बताया कि डिविजन बेंच ने अपने आदेश में कहा है कि प्राइमरी टीचरों के पदों पर ऐसे लोगों की नियुक्ति की गई है जिनके पास इस बाबत शैक्षिक योग्यता नहीं है। यह एक जनहित का मामला है इसलिए इसे पीआईएल के रूप में दायर किया गया है। इस तरह के कितने अपात्र लोगों की नियुक्ति की गई है इसकी जांच करने के लिए सूची आवश्यक है। पार्षद के एडवोकेट ने सूची उपलब्ध कराने और जांच करने में आने वाली दिक्कतों का हवाला दिया तो जस्टिस बिंदल ने लताड़ लगाते हुए कहा कि आप हमें सूची दीजिए हम जांच कर लेंगे।

जस्टिस बिंदल ने आदेश दिया कि यह सूची 22 सितंबर को उपलब्ध करायी जाए और उसी दिन इस पीआईएल पर सुनवायी होगी। एडवोकेट हबीबुर रहमान और एडवोकेट सब्बा परवीन ने बताया कि स्वदेश दास ने यह पीआईएल दायर की है। एडवोकेट लाहिड़ी ने बताया कि यह मामला पहले जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय के कोर्ट में था। उन्होंने ही इस रिट को पीआईएल के रूप में परिवर्तित करते हुए रजिस्ट्री को आदेश दिया था कि इसे एक्टिंग चीफ जस्टिस के पास पेश किया जाए। एडवोकेट लाहिड़ी ने बताया कि इस घपले का खुलासा उत्तर दिनाजपुर से हुआ है। 

स्वदेश दास को प्राइमरी टीचर के पद पर नियुक्ति मिली थी। उसे डीपीएससी के चेयरमैन ने कुछ दिनों बाद नियुक्ति पत्र के साथ तलब किया और उसे कुछ कागजात पेश करने का आदेश दिया। वह नहीं पेश कर पाया तो उसकी नियुक्ति रद कर दी गई। इसके खिलाफ उसने हाइकोर्ट में रिट दायर कर दी। जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय ने सुनवायी के बाद अपने आदेश में कहा है कि पिटिशनर टेट से जुड़े पांच दस्तावेजों में से एक भी प्रस्तुत नहीं कर पाया। पिटिशनर ने अपने पिटिशन में ऐसे और बारह लोगों का नाम दिया है जिन्हें प्राइमरी टीचर के पद पर नियुक्त‌ किया गया है, लेकिन उनके पास भी इसी के तरह कोई दस्तावेज नहीं हैं।

इस खुलासे से स्वच्छ नियुक्ति प्रक्रिया को लेकर एक बड़ा सवाल खड़ा हो गया है। इन बारह लोगों की नियुक्ति की गहन जांच जरूरी है इसलिए इसे पीआईएल के रूप में परिवर्तित किया जा रहा है। एक्टिंग चीफ जस्टिस का डिविजन बेंच इसकी सुनवायी कर रहा है और यह जांच की जानी है कि इस तरह के कितने अपात्र लोगों की नियुक्ति प्राइमरी टीचर के पदों पर की गई है। 

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