जीतन राम मांझी ने की बंगाल में विधान परिषद की मांग, निजी व न्यायिक क्षेत्र में भी हो आरक्षण की व्यवस्था
मांझी ने कहा चुनाव में हार या जीत प्राथमिकता नहीं बल्कि मूल मकसद है राज्य के वंचित लोगों को उनके हक के लिए एकजुट करने का है। उन्हेें संदेश देना है कि जो उनके हित का ध्यान रखे जो उनकी सुविधाओं की व्यवस्था करे वे उन्हीं को अपना समर्थन दें।
कोलकाता, राज्य ब्यूरो। बंगाल विधानसभा चुनाव के मैदान में हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (सेक्युलर)(हम) भी जोर आजमाएंगे। पार्टी ने 26 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने का निर्णय लिया है। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री व हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (सेक्यूलर) के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतन राम मांझी ने कोलकाता प्रेस क्लब में आयोजित संवाददाता सम्मेलन यह जानकारी दी। जिन सीटों पर उनकी पार्टी चुनाव लड़ने जा रही है उनमें बाली, उत्तर हावड़ा, मध्य हावड़ा, श्रीरामपुर, कल्याणी, भाटपाड़ा, कमरहट्टी, जगदल, खड़गपुर सदर, चौरंगी, उत्तर कोलकाता, काशीपुर, नैहाटी, बजबज, दुर्गापुर पूर्व, दुर्गापुर पश्चिम, आसनसोल, कुल्टी, मालदह इत्यादि शामिल हैं।
मांझी ने कहा कि चुनाव में हार या जीत प्राथमिकता नहीं बल्कि मूल मकसद है, राज्य के वंचित लोगों को उनके हक के लिए एकजुट करने का है। उन्हेें संदेश देना है कि जो उनके हित का ध्यान रखे, जो उनकी सुविधाओं की व्यवस्था करे वे उन्हीं को अपना समर्थन दें।
मांझी ने कहा, हम सत्ता परिवर्तन में नहीं बल्कि व्यवस्था परिवर्तन में विश्वास करती है और इस उद्देश्य को लेकर ही दल ने चुनावी दंगल में उतरने का निर्णय किया है। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा आजादी के 74 वर्ष हो गए लेकिन देश आज भी आर्थिक, सामाजिक, शैक्षणिक और राजनीतिक क्षेत्र में बहुत आगे नहीं बढ़ सका है। गरीब और अमीर के बीच काफी अंतर है।
उन्होंने बंगाल में विधान परिषद की मांग करते हुए कहा कि विधान परिषद होेने से आम जनता लाभान्वित होगी। मांझी ने कहा कि उनकी पार्टी ने यहां अपने दम पर चुनाव लड़ने का निर्णय किया है। भाजपा या अन्य किसी दल से तातमेल बैठने पर मिलकर भी चुनाव लड़ा जा सकता है। उन्होंने पिछड.ी जातियों के लिए प्राइवेट क्षेत्रों के साथ ही न्यायिक क्षेत्र में भी आरक्षण की मांग की। इसके पहले पार्टी के पश्चिम बंगाल प्रदेश अध्यक्ष कृष्णा सिंह ने पार्टी की चुनावी तैयारियों की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी कार्यकर्ता सक्रिय हो गए हैं। महासचिव शंकर बक्श सिंह ने राज्य में आदिवासियों की स्थिति के बारे में बताया।