भाई-बहन के साथ मौसी के घर से मंदिर लौटे प्रभु जगन्नाथ, छोटे पैमाने पर उल्टा रथ का हुआ आयोजन

प्रभु जगन्नाथ भाई-बहन के साथ मौसी के घर से मंदिर लौट आए।बंगाल के तीन प्रमुख स्थलों कोलकाता मायापुर व श्रीरामपुर के माहेश में उल्टा रथ का आयोजन हुआ। हुगली जिले के श्रीरामपुर स्थित माहेश के प्राचीन मंदिर में कोरोना नियमों का पालन करते हुए मंगलवार को रथोत्सव मनाया गया।

By Vijay KumarEdited By: Publish:Tue, 20 Jul 2021 09:38 PM (IST) Updated:Tue, 20 Jul 2021 09:38 PM (IST)
भाई-बहन के साथ मौसी के घर से मंदिर लौटे प्रभु जगन्नाथ, छोटे पैमाने पर उल्टा रथ का हुआ आयोजन
कोलकाता, मायापुर व श्रीरामपुर के माहेश में छोटे पैमाने पर उल्टा रथ का हुआ आयोजन।

राज्य ब्यूरो, कोलकाता : प्रभु जगन्नाथ मंगलवार को भाई-बहन के साथ मौसी के घर से मंदिर लौट आए।बंगाल के तीन प्रमुख स्थलों कोलकाता, मायापुर व श्रीरामपुर के माहेश में उल्टा रथ का आयोजन हुआ। हुगली जिले के श्रीरामपुर स्थित माहेश के प्राचीन मंदिर में कोरोना नियमों का पालन करते हुए मंगलवार को रथोत्सव मनाया गया। रथोत्सव के चलते सुबह से ही मंदिर परिसर में भक्तो की भीड़ देखी गई। पुलिस की देखरेख में बारी- बारी से भक्तों ने प्रभु जगन्नाथ, बलराम एव सुभद्रा के दर्शन किए।

इस दौरान मंदिर में भजन-कीर्तन का भी आयोजन किया गया। शाम चार बजे  मंदिर से तकरीबन डेढ़ किलोमीटर दूर भगवान जगन्नाथ की मौसी के घर से मंदिर के पुरोहित प्रभु जगन्नाथ के नाम वाली नारायण शीला को लेकर वापस लौटे। पुजारी पैदल भगवान जगन्नाथ को गोद में लेकर मंदिर में प्रवेश किए। इसके बाद प्रभु की मूर्ति के पास नारायण शीला को रखकर उनका भाई बलराम एवं बहन सुभद्रा के साथ विधिवत पूजन किया गया। माहेश जगन्नाथ मंदिर ट्रस्ट के सचिव पियाल अधिकारी ने कहा-'कोरोना महामारी को देखते हुए हमलोगों ने इस बार भी माहेश की 625 वर्ष की प्राचीन रथयात्रा को स्थगित रखा। 

सरकार द्वारा जारी निर्देश का पालन करते हुए ट्रस्ट ने प्रभु का रथोत्सव मंदिर प्रांगण में ही मनाया है। रथयात्रा के दिन होने वाली विधि का पालन करने के लिए  12 जुलाई को माहेश मंदिर से प्रभु  रूपी नारायण शीला को गोद में लेकर हमलोगों ने यहां से पैदल यात्रा करके उन्हें उनकी  मौसी के घर पहुंचाया था। आठ दिनों तक भक्त नारायण शीला को ही प्रभु का रूप मानकर उनकी पूजा-अर्चना की।

आज नौवें दिन उसी उत्साह के साथ प्रभु को वापस मंदिर लाया गया। कोरोना के पहले रथोत्सव के दिन प्रभु जगन्नाथ भाई बलराम एवं बहन सुभद्रा के साथ  माहेश के ऐतिहासिक रथ पर सवार होकर मौसी के घर आया करते थे। इस रथोत्सव को देखने केे लिए माहेश में हजारों लोगों की भीड़ हुआ करती थी। इस दौरान यहा मेले का भी आयोजन किया जाता था। दूसरी तरफ मायापुर स्थित इस्कॉन मंदिर परिसर में उल्टा रथयात्रा का आयोजन हुआ। बाहर के लोगों को मंदिर परिसर में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी गई थी। कोलकाता स्थित इस्कॉन मंदिर में भी छोटे तौर पर उल्टा रथ का आयोजन हुआ।

chat bot
आपका साथी