West Bengal: सुंदरवन के शहद किसानों के लिए सूखा राशन और रोज़मर्रा की ज़रूरत का सामान मुहैया कराने की पहल

इस अवसर पर डाबर हनी ने एक डिजिटल फिल्म का अनावरण भी किया जो खास सुंदरवन के शहद किसानों को समर्पित है और दर्शाती है कि किस तरह इस कम्युनिटी को शहद इकट्ठा करने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ती है।

By Priti JhaEdited By: Publish:Sun, 24 Oct 2021 08:32 AM (IST) Updated:Sun, 24 Oct 2021 08:32 AM (IST)
West Bengal: सुंदरवन के शहद किसानों के लिए सूखा राशन और रोज़मर्रा की ज़रूरत का सामान मुहैया कराने की पहल
सुंदरवन के शहद किसानों के लिए सूखा राशन और रोज़मर्रा की ज़रूरत का सामान मुहैया कराने की पहल

राज्य ब्यूरो, कोलकाता। सुंदरवन के शहद किसान, देश के शहद उद्योग की नींव हैं। कोविड की दूसरी लहर के बाद इलाके में आई बाढ़ ने खूब तबाही मचाई और सुंदरवन के लोगों की आजीविका पर बुरा असर हुआ। उनकी फसलें नष्ट हों गई, यहां तक गांवों में पीने के पानी तक की कमी आ गई। शहद किसानों के परिवारों को सहयोग प्रदान करने के लिए डाबर उन्हें अगले एक साल तक सूखा राशन और रोज़मर्रा की ज़रूरत का सामान मुहैया कराएगी।

पिछले कुछ महीनों के दौरान तूफ़ान और भारी बाढ़ के कारण सुंदरवन के शहद किसानों की आजीविका पर बुरा असर पड़ा है। अपनी इस पहल “स्वीटनैस आफ गिविंग बैक” के माध्यम से डाबर हनी इस मुश्किल समय में उनके परिवारों की मदद के लिए हाथ बढ़ाना चाहता है। इस सिलसिले में डाबर इंडिया लिमिटेड में कैटेगरी हैड-हेल्थ सप्लीमेंट्स, कुनाल शर्मा ने कहा कि इलाके में ऐसे 23 परिवार हैं जो शहद इकट्ठा करके अपनी रोज़ी-रोटी चलाते हैं। इस छोटी सी कोशिश के ज़रिए हम न सिर्फ इन परिवारों के कल्याण एवं स्वास्थ्य के लिए काम करना चाहते हैं, बल्कि उनके चेहरों पर त्योहारों की मुस्कान भी बिखेरना चाहते हैं।

इस अवसर पर डाबर हनी ने एक डिजिटल फिल्म का अनावरण भी किया जो खास सुंदरवन के शहद किसानों को समर्पित है और दर्शाती है कि किस तरह इस कम्युनिटी को शहद इकट्ठा करने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ती है। इस अवसर पर फिल्म की निर्माता आइसीई मीडिया लैब के क्रिएटिव हैड देबोजीत साहा ने बताया कि जब हम बाढ़ प्रभावित गांवों में पहुंचे, वहां का दृश्य और ग्रामीणों की स्थिति देखकर सन्न रह गए। हमने इन लोगों के साथ बातचीत की, उनके साथ काम किया और एक साथ मिलकर खाना भी खाया। लेकिन इस बार के हालात ने हमारे दिल को गहरी चोट पहुंचाई। जब हम उनके पास राहत सामग्री, कपड़े, भोजन और मिठाईयां लेकर पहुंचे, तो उनकी खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा। हमने इन पलों को कैमरे में कैद कर लिया, हालांकि उन्हें इसका अहसास भी नहीं हुआ। 

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