सस्ती कीमत पर चाय का बढ़ता आयात चिंता का विषय: उद्योग निकाय

बागान मालिकों के निकाय ने कहा कि पिछले एक दशक में कीमतें चार प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर से बढ़ी हैं जबकि लागत में 9-15 फीसदी की वृद्धि हुई है। कहा कि आयात बेहद कम कीमतों पर हो रहा है जो घरेलू उत्पादन की लागत से काफी कम है।

By Priti JhaEdited By: Publish:Thu, 28 Oct 2021 09:49 AM (IST) Updated:Thu, 28 Oct 2021 09:49 AM (IST)
सस्ती कीमत पर चाय का बढ़ता आयात चिंता का विषय: उद्योग निकाय
सस्ती कीमत पर चाय का बढ़ता आयात चिंता का विषय

राज्य ब्यूरो, कोलकाता। चाय बागान मालिकों के एक निकाय ने बुधवार को चाय के बढ़ते आयात पर चिंता व्यक्त की और कहा कि घरेलू इकाइयों की सुरक्षा के लिए विदेशों से आने वाली आयात की खेप के लिए न्यूनतम कीमत तय की जानी चाहिए। .भारतीय चाय संघ (आइटीए) ने कहा कि 2020 में आयात 2019 की तुलना में 47 प्रतिशत बढ़ा है जबकि चालू कैलेंडर वर्ष के पहले छह महीनों में पहले की समान अवधि के मुकाबले इसमें 176 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।

बागान मालिकों के निकाय ने कहा कि आयात बेहद कम कीमतों पर हो रहा है जो घरेलू उत्पादन की लागत से काफी कम है। संघ ने एक ‘स्थिति पत्र’ में कहा कि घरेलू उद्योग की सुरक्षा के लिए आयात शुल्क की मौजूदा दर - 100 प्रतिशत को बनाये रखा जाना चाहिए, जबकि विदेशी खेप के लिए न्यूनतम आयात मूल्य तय किया जाना चाहिए। ‘स्थिति पत्र’ में बताया गया है कि चाय क्षेत्र गंभीर वित्तीय संकट के दौर से गुजर रहा है। बागान मालिकों के निकाय ने कहा कि पिछले एक दशक में कीमतें चार प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर से बढ़ी हैं, जबकि लागत में 9-15 फीसदी की वृद्धि हुई है।

वर्ष 2020 में, उत्पादन में 13 करोड़ किलोग्राम का नुकसान हुआ और चाय की कीमतें बहुत ही कम अवधि के लिए बढ़ीं और इस साल इसमें गिरावट आने लगीं। रिपोर्ट में कहा गया है कि फसल के नुकसान के साथ ज्यादातर कंपनियों को नकदी प्रवाह की गंभीर समस्या का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि बैंकों से पर्याप्त वित्तपोषण उपलब्ध नहीं हो पा रहा है।आइटीए ने यह भी कहा कि चाय क्षेत्र की दीर्घकालिक लाभप्रदता के लिए निर्यात महत्वपूर्ण हैं क्योंकि उत्पादन में वृद्धि के साथ घरेलू खपत स्तर में वृद्धि नहीं हुई है।कोविड-19 महामारी के कारण वर्ष 2020 में चाय के निर्यात में 4.3 करोड़ किलोग्राम की गिरावट देखी गई और चालू वर्ष में अब तक इसमें 1.1 करोड़ किलोग्राम की गिरावट आई है। 

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