1971 के युद्ध की याद में भारत- बांग्लादेश की सेना के संयुक्त साइकिल दल का अभियान पूरा

1971 में हुए बांग्लादेश मुक्ति संग्राम की स्वर्ण जयंती के अवसर पर आयोजित किए गए संयुक्त साइकिल अभियान का सोमवार को समापन हो गया है। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में बांग्लादेश सेना के जीओसी 55 इन्फैंट्री डिवीजन के मेजर जनरल मोहम्मद नूरुल अनवर भी मौजूद थे।

By Babita KashyapEdited By: Publish:Tue, 23 Nov 2021 11:51 AM (IST) Updated:Tue, 23 Nov 2021 12:27 PM (IST)
1971 के युद्ध की याद में भारत- बांग्लादेश की सेना के संयुक्त साइकिल दल का अभियान पूरा
साइकिल दल के कोलकाता पहुंचने पर स्वागत करते सेना के वरिष्ठ अधिकारीगण।

राज्य ब्यूरो, कोलकाता। 1971 में हुए बांग्लादेश मुक्ति संग्राम की स्वर्ण जयंती के उपलक्ष्य में भारत और बांग्लादेश की सेनाओं द्वारा आयोजित एक संयुक्त साइकिल अभियान का सोमवार को यहां कोलकाता स्थित सेना के पूर्वी कमान मुख्यालय फोर्ट विलियम में समापन हो गया। इस अभियान में दोनों सेनाओं की ओर से 20-20 साइकिल चालकों ने हिस्सा लिया। साइकिल दल के यहां पहुंचने पर उनके स्वागत के लिए फोर्ट विलियम में आयोजित एक भव्य कार्यक्रम में लेफ्टिनेंट जनरल के के रेप्सवाल, चीफ आफ स्टाफ, मुख्यालय, पूर्वी कमान समेत अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।

वहीं, इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में बांग्लादेश सेना के जीओसी 55 इन्फैंट्री डिवीजन के मेजर जनरल मोहम्मद नूरुल अनवर भी मौजूद रहे और दोनों देशों के वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों ने साइकिल दल का गर्मजोशी से स्वागत किया। इस अवसर पर लेफ्टिनेंट जनरल के के रेप्सवाल ने साइकिल अभियान के सफल समापन के लिए इस अभियान में शामिल सभी सदस्यों की प्रशंसा की। अधिकारी ने कहा कि 15 नवंबर को बांग्लादेश के जेसोर से शुरू होने के बाद, साइकिल अभियान दल ने पूर्वी कमान मुख्यालय तक पहुंचने के लिए 370 किलोमीटर की दूरी तय की। उन्होंने कहा कि दल ने ऐसा करते हुए 50 साल पहले दोनों देशों के बीच बने संबंध को मजबूती प्रदान की। अधिकारी ने कहा कि यह अभियान उन सैनिकों की वीरता और साहस को श्रद्धांजलि देने के लिए आयोजित किया गया था, जिन्होंने युद्ध में सर्वोच्च बलिदान दिया, जिसके कारण 1971 में बांग्लादेश के रूप में नये राष्ट्र का निर्माण हुआ।

रणभूमि की पवित्र मिट्टी भी अपने साथ लाए साइकिल दल

उन्होंने साथ ही बताया कि साइकिल दल ने अपने साथ 1971 के युद्ध के दौरान रणभूमि की पवित्र मिट्टी भी अपने साथ कोलकाता लाए हैं। इस साइकिल टीम ने 19 नवंबर को गेदे इंटरनेशनल क्रासिंग प्वाइंट से भारत में प्रवेश किया था।आठ दिवसीय इस साइकिल अभियान में 15 नवंबर को जेसोर से चला यह साइकिल दल बांग्लादेश में जेनैदाह, कुश्तिया, मेहरपुर, दर्शना, चुडांगा और भारत के पश्चिम बंगाल में कृष्णानगर, राणाघाट, कल्याणी, बैरकपुर होते हुए कोलकाता पहुंचा। रास्ते में इस साइकिल दल ने सभी युद्ध स्मारकों का भी दौरा किया और 1971 के वीर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की।अधिकारी ने बताया कि साइकिल दल के सदस्यों ने अभियान के दौरान भारत में पूर्व सैनिकों, वीर नारियों (शहीद की पत्नियों) और बांग्लादेश में मुक्ति योद्धाओं के साथ भी बातचीत की। इसके साथ ही इस अभियान के दौरान साइकिल टीम ने जगह- जगह युवा पीढ़ी के लोगों से भी संपर्क किया और उन्हें सशस्त्र बलों में शामिल होने के लिए प्रेरित किया। साथ ही बांग्लादेश की मुक्ति में यानी 1971 में पाकिस्तान के साथ युद्ध में भारतीय सशस्त्र बलों के योगदान से भी उन्हें अवगत कराया और उनकी वीरता के किस्से सुनाए।

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