West Bengal Politics : बंगाल में 'दुआरे- दुआरे सरकार' अभियान का आगाज, भाजपा ने बताया चुनावी स्टंट
चुनावी दांव-1 दिसंबर से 30 जनवरी तक चार चरणों में आयोजित होने वाले इस अभियान में लगाए जायेंगे 20 हजार शिविर! अभियान के तहत 11 सरकारी योजनाओं के लिए पंजीकरण करा सकेंगे राज्यवासी। कम से कम 4 शिविर लगेंगे। 11 महत्वपूर्ण परियोजनाओं के लिए पंजीकरण भी होगा।
राज्य ब्यूरो, कोलकाता : बंगाल में अगले साल विधानसभा चुनाव से पहले ममता बनर्जी की अगुवाई वाली तृणमूल कांग्रेस सरकार ने मंगलवार को सबसे बड़े संपर्क अभियान की शुरुआत की। इस अभियान का नाम 'दुआरे- दुआरे पश्चिम बोंगो सरकार' (प्रत्येक द्वार बंगाल सरकार) रखा है। एक दिसंबर से 30 जनवरी तक पूरे राज्य भर में चार चरणों में यह अभियान चलेगा। भाजपा ने इस अभियान को चुनावी स्टंट बताया है। वहीं, इस अभियान के तहत पिछले करीब 10 वर्षों के शासन में राज्य सरकार द्वारा शुरू की गई योजनाओं और विकास के कार्यों को राज्य के लोगों तक पहुंचाया जाएगा और उनकी शिकायतें सुनी जाएगी।
कम से कम 4 शिविर लगेंगे
राज्य सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस अभियान के तहत प्रशासन द्वारा 1 दिसंबर से 30 जनवरी तक पूरे राज्य भर के सभी 344 ब्लॉकों के हर गांव और नागरिक निकाय में कम से कम 4 शिविर लगाए जाएंगे। इस प्रकार कुल 20,000 से अधिक शिविरों का आयोजन किया जाएगा। इन शिविरों के माध्यम से लोगों की समस्याओं और शिकायतों की सुनवाई होगी और इस दौरान कई विभागों के अधिकारी और कर्मचारी मौजूद रहेंगे।
शिविर में पंजीकरण भी होगा
इन शिविरों में राज्य सरकार द्वारा शुरू की गई 11 महत्वपूर्ण परियोजनाओं के लिए पंजीकरण भी किया जायेगा। इसमें मनरेगा, जॉब कार्ड, हेल्थ कार्ड, जाति प्रमाण पत्र जैसी सुविधाएं मौके पर ही उपलब्ध कराई जाएगी। इसके लिए सरकार की तरफ से 3,400 केंद्रों में 6,800 से ज्यादा लोगों की तैनाती की गई है, जो लोगों की सरकारी सुविधाओं को लेकर मदद करेंगे। दरअसल, दुआरे- दुआरे अभियान को ममता सरकार का बड़ा चुनावी दांव बताया जा रहा है।
भाजपा ने बताया चुनावी स्टंट
इधर, विपक्षी भाजपा ने राज्य सरकार के इस अभियान की आलोचना करते हुए इसे एक चुनावी स्टंट बताया है। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष व सांसद दिलीप घोष ने आरोप लगाया कि तृणमूल सरकार ने लोगों के धन का इस्तेमाल करके यह चुनावी मुहिम शुरू की है। उन्होंने कहा कि यदि राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करने के लिए 10 साल बाद मुहिम शुरू करनी पड़ रही है कि योजनाओं का लाभ सभी तक पहुंचे, तो तृणमूल के नेताओं को शर्म आनी चाहिए।।