चुनाव आयोग से वीसी के बाद बंगाल के सीईओ ने दलों को दी हिदायत, कोरोना को लेकर जारी दिशानिर्देशों में कोताही अब कतई बर्दाश्त नहीं
Bengal Assembly Election 2021 बंगाल के मुख्य चुनाव अधिकारी (सीईओ) आरिज आफताब के कार्यालय की ओर से शुक्रवार को दो-टूक कह दिया गया है कि कोरोना को लेकर चुनाव आयोग की तरफ से जारी किए गए दिशानिर्देशों में अब किसी भी तरह की कोताही कतई बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
कोलकाता, राज्य ब्यूरो। बंगाल के मुख्य चुनाव अधिकारी (सीईओ) आरिज आफताब के कार्यालय की ओर से शुक्रवार को दो-टूक कह दिया गया है कि कोरोना को लेकर चुनाव आयोग की तरफ से जारी किए गए दिशानिर्देशों में अब किसी भी तरह की कोताही कतई बर्दाश्त नहीं की जाएगी। सभी राजनीतिक दलों का इसका कड़ाई से पालन करना होगा। चुनाव आयोग की पूर्ण पीठ के साथ शुक्रवार को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए बैठक के बाद सीईओ कार्यालय की तरफ से कहा गया कि चुनाव आयोग हालात पर कड़ी नजर रख रहा है। बंगाल में रोड शो व बाइक रैली पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाई जा चुकी है। इस बाबत पहले से जो अनुमति दी जा चुकी है, वे रद मानी जाएंगी। इसी तरह चुनावी जनसभाओं में 500 से ज्यादा लोग अब शामिल नहीं हो सकेंगे। पर्याप्त जगह पर ही जनसभाओं की अनुमति दी जाएगी। सीईओ कार्यालय की तरफ से चुनाव आयोग के साथ हुई बैठक का ब्योरा पेश नहीं किया गया है लेकिन सूत्रों से पता चला है कि सावधानी बरतने व कोरोना को लेकर जारी दिशानिर्देशों का कड़ाई से पालन करते हुए बंगाल में बाकी दो चरणों का मतदान कराने पर चर्चा हुई है।
गौरतलब है कि गुरुवार को कलकत्ता हाईकोर्ट ने कोरोना प्रोटोकॉल को लेकर चुनाव आयोग के प्रति नाराजगी जताई थी। बताया जा रहा है कि उसी के मद्देनजर यह बैठक बुलाई गई थी। हाइकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश टीबीएन राधाकृष्णन ने कहा था कि चुनाव आयोग टीएन शेषन की तरह 10 फीसद शक्ति का भी इस्तेमाल कर लेता तो बंगाल में कोरोना की स्थिति इतनी भयावह नहीं होती। उन्होंने आगे कहा था कि वे कोई आदेश नहीं दे रहे लेकिन चुनाव आयोग अपनी शक्ति का प्रयोग करें और चुनावी रैलियों पर एक्शन लें।
गौरतलब है कि बंगाल में अब सातवें व आठवें चरण का मतदान बाकी है। सातवें चरण का मतदान 26 व आठवें चरण का 29 अप्रैल को होगा। कहा जा रहा था कि दोनों चरणों का मतदान एक बार में कराने पर भी फैसला लिया जा सकता है लेकिन अब तक ऐसा कुछ नहीं देखने को नहीं मिला है। गौरतलब है कि तृणमूल कांग्रेस पहले ही आयोग से इसकी अपील कर चुकी है जबकि भाजपा ने यह फैसला आयोग पर ही छोड़ा है।