नियमानुसार दुर्गा की प्रतिमाओं का विसर्जन जरूरी, नदियों-जलाशयों को प्रदूषित होने से हम बचा सकते हैं

नियमानुसार विसर्जन होने से हम गंगा समेत उन सभी नदियों व जलाशयों को प्रदूषित होने से बचा सकते हैं जहां पर दुर्गा प्रतिमाओं का विसर्जन किया जाता है। प्रदूषण के मामले में एनजीटी ने दिशानिर्देश जारी कर रखा है। निर्देशों के पालन के लिए सख्त निर्देश भी दिए गए हैं।

By Shashank PandeyEdited By: Publish:Thu, 14 Oct 2021 01:41 PM (IST) Updated:Thu, 14 Oct 2021 01:41 PM (IST)
नियमानुसार दुर्गा की प्रतिमाओं का विसर्जन जरूरी, नदियों-जलाशयों को प्रदूषित होने से हम बचा सकते हैं
नियमानुसार हो दुर्गा की प्रतिमाओं का विसर्जन।(फोटो: प्रतीकात्मक)

कोलकाता, राज्य ब्यूरो। बंगाल में दुर्गोत्सव के दौरान कोरोना महामारी को लेकर जारी सरकारी दिशानिर्देशों की जमकर धज्जियां उड़ रही हैं और जिसका नतीजा कोरोना के बढ़ते नए मामले के रूप में सामने आ रहा है। परंतु विसर्जन को लेकर राष्ट्रीय हरित न्यायाधीकरण (एनजीटी) से लेकर प्रदूषण नियंत्रण पर्षद की ओर से जो भी नियम बनाए गए हैं उसके अनुसार ही दुर्गा प्रतिमा विसर्जित होनी चाहिए। अगर इसमें भी नियम का पालन नहीं हुआ तो इसका बुरा असर गंगा से लेकर अन्य नदियों व जलाशयों पर पड़ेगा। वैसे तो विसर्जन के दौरान प्रदूषण के मामले में एनजीटी ने दिशानिर्देश जारी कर रखा है और सभी पूजा आयोजकों को उन निर्देशों के पालन के लिए सख्त निर्देश भी दिए गए हैं।

प्रदूषण नियंत्रण पर्षद और इस बाबत विभिन्न समयों पर दिए गए एनजीटी के दिशानिर्देशों को लेकर कार्ययोजना बनाई गई है, जिस पर पूजा कमेटियों को सख्ती से अमल करने को कहा गया है। परंतु सवाल यहां उठ रहा है कि क्या जिस तरह से कोरोना नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं उसको देखते हुए विसर्जन को लेकर जो नियम बनाए गए हैं उसका पालन हो सकेगा? गंगा समेत अन्य नदियों व जलाशयों को प्रदूषण से बचाने के लिए एनजीटी व प्रदूषण नियंत्रण विभाग के निर्देशों पर सौ फीसद अमल करना जरूरी है। नियमानुसार विसर्जन होने से हम गंगा समेत उन सभी नदियों और जलाशयों को प्रदूषित होने से बचा सकते हैं जहां पर दुर्गा प्रतिमाओं का विसर्जन किया जाता है।

नियमानुसार प्रशासन और पुलिस को उन घाटों की पहचान करना है, जहां प्रतिमाओं का विसर्जन किया जाना है। प्रत्येक प्रतिमा का विसर्जन पुलिस व प्रशासन की ओर से निर्धारित समयसीमा के अंदर ही करना है। विसर्जन के लिए निर्धारित प्रत्येक घाट पर ठोस कचरा प्रबंधन की व्यवस्था करनी होगी, जैसे प्लास्टिक, कपड़े और सजावट के अन्य सामान एक अलग स्थान पर एकत्र किए जाएंगे और उसे घाटों से हटाकर ट्रक व अन्य मालवाही वाहनों से 24 घंटे के अंदर डंपिंग ग्राउंड में डालना होगा। सभी प्रमुख घाटों पर क्रेन, जेसीबी की व्यवस्था रखनी है। विसर्जन के बाद तत्काल प्रतिमा नदी से बाहर निकालने का निर्देश है। प्रत्येक पूजा कमेटी से पहले ही एक घोषणापत्र लिया गया है जिसमें कहा गया है कि प्रतिमा के निर्माण में प्लास्टर आफ पेरिस, डाई एवं केमिकल मिले रंगों का इस्तेमाल नहीं किया गया है। देखना है कि जो नियम बनाए गए हैं उन पर कितना अमल होता है? पुलिस व प्रशासन की ही नहीं हम सबका दायित्व है कि विसर्जन करें, पर प्रदूषण नहीं।

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