विशेषज्ञ चिकित्सकों के परामर्श के बिना गर्भपात की अनुमति नहीं दी जा सकती : कलकत्ता हाईकोर्ट
गर्भपात की अनुमति देने के मामले में मेडिकल बोर्ड गठित करने का हाईकोर्ट ने दिया निर्देश मेडिकल बोर्ड महिला के स्वास्थ्य की जांच करेगा और देखेगा कि अब गर्भपात कराने में कितना जोखिम है अथवा नहीं है। उस रिपोर्ट के आधार पर ही अदालत अपना फैसला सुनाएगी।
राज्य ब्यूरो, कोलकाता : कलकत्ता हाई कोर्ट ने 32 हफ्ते की गर्भवती महिला को गर्भपात की अनुमति देने के मामले में राज्य सरकार के स्वास्थ्य विभाग को अविलंब विशेषज्ञ चिकित्सकों का मेडिकल बोर्ड गठित करने का निर्देश दिया है। न्यायाधीश तीर्थंकर घोष की अदालत ने मामले पर सुनवाई करते हुए कहा कि विशेषज्ञ चिकित्सकों के परामर्श के बिना इसकी इजाजत नहीं दी जा सकती क्योंकि इसमें गर्भवती महिला व उनके पेट में पल रहे बच्चे की जान को जोखिम हो सकता है।
कितना जोखिम है अथवा नहीं
अदालत ने स्वास्थ्य विभाग के सचिव को अविलंब छह विशेषज्ञ चिकित्सकों का एक मेडिकल बोर्ड गठित करने का निर्देश दिया है। मेडिकल बोर्ड गर्भवती महिला के स्वास्थ्य की जांच करेगा और देखेगा कि अब गर्भपात कराने में कितना जोखिम है अथवा नहीं है। उस रिपोर्ट के आधार पर ही अदालत अपना फैसला सुनाएगी। मेडिकल बोर्ड को आगामी तीन नवंबर तक अपनी रिपोर्ट अदालत में दाखिल करने का निर्देश दिया गया है। गौरतलब है कि कानून के मुताबिक 32 सप्ताह की गर्भवती होने पर गर्भपात कराने के लिए अदालत से अनुमति लेने की जरूरत पड़ती है।