बंगाल में चुनाव बाद हिंसा पर सुनवाई पूरी, हाई कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा, जांच समिति ने 13 जुलाई को सौंपी थी अंतिम रिपोर्ट

हिंसा की स्वतंत्र जांच की मांग करने वाले याचिकाकर्ताओं ने कलकत्ता हाई कोर्ट से राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) की जांच समिति की सिफारिशों के अनुसार दुष्कर्म और हत्या जैसे गंभीर अपराधों की जांच सीबीआइ को सौंपने का अनुरोध किया था।

By Priti JhaEdited By: Publish:Tue, 03 Aug 2021 03:58 PM (IST) Updated:Tue, 03 Aug 2021 06:43 PM (IST)
बंगाल में चुनाव बाद हिंसा पर सुनवाई पूरी, हाई कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा, जांच समिति ने 13 जुलाई को सौंपी थी अंतिम रिपोर्ट
बंगाल में चुनाव बाद हिंसा, हाई कोर्ट में आज फिर हो रही सुनवाई

राज्य ब्यूरो, कोलकाता। बंगाल में विधानसभा चुनाव के बाद हुई मामले की सुनवाई मंगलवार को कलकत्ता हाई कोर्ट में पूरी हो गई।कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल के नेतृत्व वाली पांच जजों की पीठ ने कथित हिंसा की स्वतंत्र जांच की मांग से संबंधित कई याचिकाओं पर सुनवाई पूरी करते हुए आदेश सुरक्षित रख लिया।

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल से मामले पर सभी स्वत: संज्ञान मामलों के रिकॉर्ड मुहैया कराने के लिए कहा है। इसके साथ ही पीठ ने इस मामले से संबंधित सभी पक्षों से कहा कि यदि इस मामले में अभी भी उन्हें कुछ कहना है या दस्तावेज देना है तो वे बुधवार दोपहर 2:30 बजे तक लिखित तौर पर अदालत में जमा दे सकते हैं। गौरतलब है कि हिंसा मामले की जांच के लिए हाई कोर्ट के निर्देश पर गठित राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) की समिति ने 13 जुलाई को पांच जजों की पीठ के समक्ष सौंपी अपनी अंतिम रिपोर्ट में बंगाल में कानून- व्यवस्था की स्थिति पर गंभीर सवाल उठाए थे।

जांच समिति ने कहा था कि यह मुख्य विपक्षी दल (भाजपा) के समर्थकों के खिलाफ सत्तारूढ़ दल के समर्थकों द्वारा प्रतिशोधात्मक हिंसा थी और दुष्कर्म एवं हत्या जैसे गंभीर अपराधों की जांच सीबीआइ को सौंपने की सिफारिश की थी।

राज्य सरकार ने एनएचआरसी समिति की रिपोर्ट को बताया था आधारहीन

हालांकि इसके बाद राज्य सरकार ने हलफनामा दायर कर एनएचआरसी समिति की रिपोर्ट पर सवाल उठाते हुए इसे आधारहीन और राजनीतिक पूर्वाग्रह से प्रेरित बताया था।

हाई कोर्ट ने 18 जून को एनएचआरसी अध्यक्ष को समिति गठित करने के निर्देश दिए थे। समिति की कई टीमों ने बंगाल के विभिन्न इलाकों का दौरा कर शिकायतों की वास्तविकता का पता लगाने के बाद अपनी रिपोर्ट सौंपी थी।

सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से बचाव में उतरे बड़े-बड़े वकील

राज्य सरकार व पुलिस की ओर से हिंसा मामले में बचाव के लिए अदालत में सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी व कपिल सिब्बल उतरे। एक दिन पहले भी इस मामले की सुनवाई के दौरान राज्य पुलिस का पक्ष रख रहे वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने एनएचआरसी समिति के रिपोर्ट को राजनीतिक पूर्वाग्रह से प्रेरित बताते हुए दावा किया कि कमेटी के कुछ सदस्यों का जुड़ाव भाजपा से है। वहीं, एनएचआरसी कमेटी की जांच रिपोर्ट का हवाला देते हुए याचिकाकर्ताओं में से एक कप पक्ष रख रहे वरिष्ठ अधिवक्ता महेश जेठमलानी ने अदालत से मामले की जांच सीबीआइ को सौंपने का अनुरोध किया।

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