Narada Sting Operation Case: नारद मामले में आरोपितों नहीं मिल सकी जमानत, कल हाईकोर्ट में फिर सुनवाई

नारद स्टिंग मामले में गिरफ्तार बंगाल के हेवीवेट मंत्री फिरहाद हकीम मंत्री सुब्रत मुखर्जी तृणमूल विधायक मदन और कोलकाता के पूर्व मेयर शोभन चटर्जी को फिलहाल जेल हिरासत में ही रहना पड़ेगा।बुधवार को इन नेताओं को हाई कोर्ट से जमानत नहीं मिल सकी।

By Priti JhaEdited By: Publish:Wed, 19 May 2021 08:33 AM (IST) Updated:Wed, 19 May 2021 08:22 PM (IST)
Narada Sting Operation Case: नारद मामले में आरोपितों नहीं मिल सकी जमानत, कल हाईकोर्ट में फिर सुनवाई
नारद स्टिंग आपरेशन मामले में कोलकाता हाईकोर्ट में सुनवाई

राज्य ब्यूरो, कोलकाता। नारद स्टिंग मामले में गिरफ्तार बंगाल के हेवीवेट मंत्री फिरहाद हकीम, मंत्री सुब्रत मुखर्जी, तृणमूल विधायक मदन और कोलकाता के पूर्व मेयर शोभन चटर्जी को फिलहाल जेल हिरासत में ही रहना पड़ेगा। बुधवार को इन नेताओं को हाई कोर्ट से जमानत नहीं मिल सकी। इन नेताओं की ओर से दायर जमानत याचिका पर आज करीब ढाई घंटे तक वर्चुअल सुनवाई हुई। कल यानी गुरुवार को भी इस मामले में सुनवाई होगी। दूसरी सीबीआइ ने बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी,  कानून मंत्री मलय घटक को कलकत्ता हाई कोर्ट में दाखिल अपनी उस याचिका में पक्ष बनाया है, जिसमें इस केस को राज्य से बाहर स्थानांतरित करने का अनुरोध किया गया है। इस याचिका पर भी बुधवार को फैसला नहीं हो पाया।  कल फिर सुनवाई होगी। 

बुधवार को सुनवाई के दौरान इन नेताओं की ओर से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने अदालत में पक्ष रखते हुए कहा कि अभी कोरोना महामारी जैसे संकट के समय में हिरासत में रखने का कोई मतलब नहीं है। हालांकि सीबीआइ की ओर से सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता ने कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल और न्यायमूर्ति अरिजीत बनर्जी की खंडपीठ से जमानत का विरोध किया। सीबीआइ की ओर से दलील दी गई कि ये सभी नेता बहुत प्रभावशाली हैं। बाहर आने से ये मामले को प्रभावित कर सकते हैं। सीबीआइ ने इन नेताओं की गिरफ्तारी के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा जांच एजेंसी के कार्यालय में घंटों धरना देने और तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं द्वारा बाहर घेराव करने एवं केंद्रीय बलों पर पथराव करने का मुद्दा भी उठाया।

बताते चलें कि सीबीआइ ने इन नेताओं को सोमवार सुबह गिरफ्तार किया था। सीबीआइ अदालत ने उसी दिन शाम में इन सभी को जमानत दे दी थी, लेकिन देर रात में कलकत्ता हाई कोर्ट ने जमानत पर रोक लगाते हुए 19 मई तक जेल हिरासत में भेजने का निर्देश दिया था। 

सीबीआइ के खिलाफ कानूनी कदम उठाने पर विचार कर रहा विधानसभा सचिवालय 

नारद स्टिंग ऑपरेशन कांड में विधानसभा अध्यक्ष की अनुमति के बगैर विधायकों की गिरफ्तारी को लेकर विधानसभा सचिवालय  सीबीआइ के खिलाफ कानूनी कदम उठाने पर विचार कर रहा है। विधानसभा अध्यक्ष विमान बनर्जी ने कहा कि तीनों विधायकों (जिनमें से दो राज्य के मंत्री भी हैं) को जिस तरह से गिरफ्तार किया गया, वह गैरकानूनी है। उन्हें इस बात की कोई जानकारी नहीं दी गई। 

सीबीआइ के खिलाफ दर्ज कराई एफआइआर

नारद स्टिंग कांड में बंगाल के दो मंत्री व विधायक की गिरफ्तारी को अवैध बताते हुए तृणमूल कांग्रेस की महिला इकाई की अध्यक्ष व वरिष्ठ मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य ने बुधवार को सीबीआइ अधिकारियों के खिलाफ महानगर के गरियाहाट थाने में एफआइआर दर्ज कराई। शिकायत में कहा गया है, ‘‘तीनों नेता सुब्रत मुखर्जी, फिरहाद हकीम व मदन मित्रा बंगाल विधानसभा के सदस्य हैं और विधानसभा अध्यक्ष से उनकी गिरफ्तारी से पहले परामर्श और अनुमति ली जानी चाहिए, जो इस मामले में नहीं किया गया।’’ 

सीबीआइ की याचिका में ममता को भी पक्ष बनाया गया 

-नारद स्टिंग कांड में तृणमूल कांग्रेस के हेवीवेट नेताओं की गिरफ्तारी के बाद अब सीबीआइ ने बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी,  कानून मंत्री मलय घटक को कलकत्ता हाई कोर्ट में दाखिल अपनी उस याचिका में पक्ष बनाया है, जिसमें इस केस को राज्य से बाहर स्थानांतरित करने का अनुरोध किया गया है। केंद्रीय जांच एजेंसी ने ममता और घटक के अलावा तृणमूल कांग्रेस के सांसद तथा वरिष्ठ वकील कल्याण बनर्जी को भी अपनी याचिका में पक्ष बनाया है।कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल की अध्यक्षता वाली खंडपीठ में बुधवार को इस मामले में सुनवाई हुई। हालांकि हाई कोर्ट ने बुधवार को कोई फैसला नहीं सुनाया। अब इस मामले पर गुरुवार को हाई कोर्ट में फिर सुनवाई होगी। 

चार नेताओं पर मुकदमे के लिए लोकसभा अध्यक्ष  को फिर पत्र देगी सीबीआइ 

नारद स्टिंग मामले में सीबीआइ भाजपा नेता तथा पूर्व तृणमूल कांग्रेस सांसद सुवेंदु अधिकारी, तृणमूल सांसद सौगत रॉय, प्रसून बनर्जी और काकोली घोष दस्तीदार पर मुकदमा चलाने के लिए लोकसभा अध्यक्ष को फिर पत्र लिखने जा रही है। सीबीआइ सूत्रों ने बुधवार को यह जानकारी दी। केंद्रीय जांच एजेंसी ने अप्रैल 2019 में अभियोजन के लिए लोकसभा अध्यक्ष से मंजूरी मांगी थी, जो अभी तक तक नहींं मिली है।

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