भाजपा के साथ संबंध होने के आरोपों पर जज चंद को सुनवाई से हटाने संबंधी याचिका पर आदेश सुरक्षित
विधानसभा चुनाव में ममता नंदीग्राम सीट पर करीबी मुकाबले में अपने पूर्व सिपहसालार व भाजपा नेता सुवेंदु अधिकारी से हार गईं थी। चुनाव परिणाम के करीब डेढ़ महीने बाद ममता ने मतगणना में धांधली का आरोप लगते हुए हाई कोर्ट में चुनाव याचिका दायर कर पुनर्मगणना की मांग की हैं।
राज्य ब्यूरो, कोलकाता: कलकाता उच्च न्यायालय ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की उस याचिका पर गुरुवार को आदेश सुरक्षित रख लिया जिसमें उन्होंने कहा है कि भाजपा नेता सुवेंदु अधिकारी के खिलाफ उनकी चुनाव याचिका की सुनवाई के लिए नियुक्त न्यायाधीश मामले से खुद को अलग कर लें, क्योंकि वह भाजपा के सक्रिय सदस्य रह चुके हैं। सुश्री बनर्जी 18 जून को दिए गए निर्देश के मुताबिक वीडियो कान्फ्रेंस के जरिए न्यायाधीश कौशिक चंद की अदालत के समक्ष पेश हुईं। न्यायमूर्ति चंद, जिनके खिलाफ मामले से अलग होने संबंधी याचिका दायर की गई है, ने मामले को सुना और अपना आदेश सुरक्षित रख लिया। न्यायाधीश ने फैसला सुनाने की तारीख का जिक्र नहीं किया। सुश्री बनर्जी ने उच्च न्यायालय का रुख यह दावा करते हुए किया कि उन्हें संदेह है कि उन्हें न्यायाधीश के भाजपा से कथित संबंध होने के कारण उन्हें न्याय नहीं मिलेगा।
उनके अधिवक्ता ने इससे पहले उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल को पत्र लिखकर सुश्री बनर्जी की चुनाव परिणाम को चुनौती देने वाली याचिका को किसी और न्यायाधीश के पास सूचीबद्ध करने का अनुरोध किया था। ममता ने मामले से न्यायाधीश को हटाने संबंधी याचिका में दावा किया है कि उन्हें इस बात की जानकारी दी गई है कि न्यायमूर्ति चंद भाजपा के सक्रिय सदस्य रहे हैं।
उन्होंने कहा कि चूंकि मामला एक निर्वाचन याचिका पर निर्णय लेने से संबंधित है जहां भाजपा प्रत्याशी के निर्वाचन को चुनौती दी गई है, इसलिए इसके राजनीतिक प्रभाव हो सकते हैं। इसलिए, उन्होंने आग्रह किया कि कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश, जोकि रोस्टर के मास्टर हैं, वह मामला अन्य पीठ को सौंप दें। सुश्री बनर्जी ने अपने पूर्व सहयोगी से बदलकर उनके चुनावी प्रतिद्वंद्वी बने सुवेंदु अधिकारी पर लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम,1951 की धारा 123 का उल्लंघन करते हुए भ्रष्ट आचरण का आरोप लगाया है। उन्होंने मतगणना में गड़बड़ियों का भी आरोप लगाया है। निर्वाचन आयोग द्वारा दो मई को घोषित परिणामों में सुवेंदु अधिकारी ने ममता बनर्जी को 1956 मतों से हराया था।
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कोर्ट ने ममता से पूछा- आपके वकीलों का राजनीतिक बैकग्राउंड है, तो जज पर भरोसा क्यों नहीं?
ममता की याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायाधीश कौशिक चंद ने कहा कि याचिकाकर्ता को किसी भी जज को बदलने की मांग करने का पूरा अधिकार है, इस पर न्यायिक व्यवस्था के तहत फैसला किया जाएगा। इस बीच ममता के अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि न्यायाधीश को अपने पद से हटना चाहिए क्योंकि हितों का टकराव था। सुनवाई के दौरान जज कौशिक चंद ने कहा कि आपके वकीलों का राजनीतिक जुड़ाव भी है। अभिषेक मनु सिंघवी कांग्रेस से हैं। लेकिन यहां तृणमूल प्रमुख का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। अगर अन्य राजनीतिक बैकग्राउंड के वकीलों पर भरोसा किया जा सकता है, तो आप (ममता बनर्जी) जज पर भरोसा क्यों नहीं कर सकते?