राज्य सरकार के विरोध के बावजूद बंगाल हिंसा पीड़ितों से मिले राज्यपाल, कहा- ‘संविधान का उल्लंघन कर रही हैं सीएम’

बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने राज्य सरकार के विरोध के बावजूद गुरुवार को कूचबिहार जिले में चुनाव नतीजों के बाद हुई हिंसा से प्रभावित इलाकों का दौरा किया। राज्यपाल ने माथाभंगा शीतलकूची सिताई और दिनहाटा में उन्होंने हिंसा से पीड़ित परिवारों से मुलाकात कर स्थिति की जानकारी ली।

By Priti JhaEdited By: Publish:Thu, 13 May 2021 09:12 AM (IST) Updated:Thu, 13 May 2021 05:55 PM (IST)
राज्य सरकार के विरोध के बावजूद बंगाल हिंसा पीड़ितों से मिले राज्यपाल, कहा- ‘संविधान का उल्लंघन कर रही हैं सीएम’
ममता सरकार के ऐतराज के बावजूद राज्यपाल धनखड़ हिंसा से प्रभावित इलाकों का दौरा कर रहे हैं।

राज्य ब्यूरो, कोलकाता । बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने राज्य सरकार के विरोध के बावजूद गुरुवार को कूचबिहार जिले में चुनाव नतीजों के बाद हुई हिंसा से प्रभावित इलाकों का दौरा किया। राज्यपाल बीएसएफ के हेलीकॉप्टर से दोपहर करीब 12 बजे कूचबिहार पहुंचे और यहां के माथाभंगा, शीतलकूची, सिताई और दिनहाटा में उन्होंने हिंसा से पीड़ित परिवारों से मुलाकात कर उनका दर्द साझा किया एवं स्थिति की जानकारी ली।

शीतलकूची में राज्यपाल को कथित रूप से तृणमूल कांग्रेस समर्थित नागरिक मंच से जुड़े कार्यकर्ताओं ने काले झंडे भी दिखाए। वहीं, कूचबिहार में पत्रकारों से बात करते हुए राज्यपाल ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर जबरदस्त हमला बोला। उन्होंने कहा कि चार राज्य और एक केंद्र शासित प्रदेश में चुनाव हुआ। लेकिन हिंसा केवल बंगाल में ही क्यों हुई? सरकारी तंत्र ने मुझे जानकारी नहीं दी।मैंने निर्णय किया कि मैं हरसंभव कदम उठाऊंगा, जिससे लोगों का हौसला बढ़े। उन्होंने कहा कि प्रशासनिक आदेश का हवाला देकर उन्हें संवैधानिक कर्तव्य के पालन से रोकने की कोशिश की जा रही है, लेकिन वह अपने संवैधानिक कर्तव्य का पालन करते रहेंगे।

राज्यपाल ने कहा कि मुख्यमंत्री संविधान का उल्लंघन कर रही हैं। चुनाव परिणाम की घोषणा के बाद आगजनी और लूट हो रही है है।यह प्रजातंत्र के लिए ठीक नहीं है। तीन मई के बाद मुख्यमंत्री के पास सर्वसम्मत अधिकार हैं। शपथ लेने के करीब 10 दिन बीत चुके हैं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई है। एक भी दोषी के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई है। गौरतलब है कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने एक दिन पहले राज्यपाल को पत्र लिखकर उनपर स्थापित परंपराओं व नियमों का उल्लंघन करने और इस दौरे से परहेज करने की अपील की थी।

'चुनाव के पहले सीएम ने दी धमकी, शुरू हो गया है तांडव'

राज्यपाल ने कहा, 'मैंने हिंसा के संबंध में राज्य सरकार से जानकारी मांगी लेकिन मुझे मुहैया नहीं कराया गया।संविधान के तहत यह मेरी ड्यूटी है। देश और दुनिया से पूछा जा रहा है कि राज्यपाल आप क्या कर रहे हैं? कैसे आप रंक्तरंजित करने दे रहे हैं, बंगाल को। किस प्रकार की आगजनी हो रही है। महिलाएं और बच्चे, जिन्होंने राजनीतिक समर्थन नहीं दिया, उनके अधिकारों पर कुठाराघात किया जा रहा है। उसकी कीमत अपनी मौत से चुकानी पड़ रही है।'राज्यपाल ने कहा कि चुनाव के दौरान मुख्यमंत्री के दुर्भाग्यपूर्ण आचरण से ये घटनाएं हुई हैं। मुख्यमंत्री ने कहा था कि केंद्रीय बल सदा नहीं रहेगी। हम सभी को देख लेंगे। इस प्रकार की चुनौती का संविधान इजाजत नहीं देता है। यह कैसा आचरण है? यह कैसे स्वीकार हो सकता है। जो कुछ चेतावनी दिया गया था, संविधान की मर्यादा लांघ कर वह तांडव नृत्य शुरू हो गया है।

'राज्यपाल को मुट्ठी में नहीं रखा जा सकता है'

राज्यपाल ने आगे कहा, 'मुख्यमंत्री ने कहा कि कूचबिहार में नरसंहार हुआ था। प्रांत में और कहीं हिंसा हो रही है, उसपर उन्होंने एक शब्द नहीं कहा। केवल राजनीति के लक्ष्य को संविधान को तार-तार नहीं कर सकते। अत्यंत विवशता में मैंने कठोर निर्णय लिया और संविधान की रक्षा करने के लिए राज्यपाल की हैसियत से हिंसा प्रभावित क्षेत्रों में जाने का निर्णय लिया। कोई भी बाधा से मैं प्रभावित नहीं हो सकता है। मैं अपने संविधानिक ड्यूटी का पालन करूंगा। प्रजातंत्र की मूल भावना पर कुठराघात नहीं होना चाहिए। हर उस व्यक्ति को दंडित करना चाहिए, जिसने बंगाल के किसी भी भाग में कानून को अपने हाथ में लिया है। लेकिन अभी तक सरकार की कार्रवाई नजर नहीं आ रही है। राज्यपाल की भूमिका सिर्फ राजभवन में है, मु्झे यह स्वीकार नहीं है। राज्यपाल को मुट्ठी में नहीं रखा जा सकता है। प्रशासनिक आदेश संविधान से ऊपर नहीं है। राज्य के प्रथम सेवक के नाते मैं अपनी ड्यूटी निभाऊंगा।'

'संविधान से बाहर कोई नहीं है'

राज्यपाल ने आगे कहा, 'मैं मुख्यमंत्री के पत्र का जवाब दिया। संविधान के बाहर कोई नहीं जा सकता है।कोई प्रशासनिक आदेश संविधान को अवरुद्ध नहीं कर सकता है। इतिहास ममता बनर्जी और जगदीप धनखड़ का फैसला करेगा। मुझे कहते हुए बड़ा संकोच हो रहा है, बंगाल में कहां और क्या कुछ नहीं हो रहा है?

लोग अपने अधिकारों को नहीं बचा पा रहे हैं। सुरक्षा के लिए गांव के गांव खाली हो गए हैं।कहां हैं मानवाधिकार बचाने वाली संस्थाएं? कहां है वह मीडिया? रक्त रंजित वातावरण को कुंठित करने के लिए यह समय टक्कर और टकराव का नहीं है।‌ सहभागिता का है। राज्य, अधिकारियों को अपनी मुट्ठी में नहीं रख सकते।

हिंसा के डर से बंगाल से असम भागे लोगों से आज मिलेंगे राज्यपाल

वहीं, शुक्रवार (14 मई) को राज्यपाल धनखड़ असम के रणपगली और श्रीरामपुर शिविरों का भी दौरा करेंगे, जहां चुनाव  के बाद बदला लेने के लिए हुई हिंसा की वजह से बंगाल से बड़ी संख्या में लोगों ने सुरक्षा के लिए शरण ली है। रणपगली असम के धुब्री जबकि श्रीरामपुर कोकराझार जिले में है। दोनों जिले बंगाल से सटे हुए हैं।

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