Exclusive Interview: बंगाल की सियासी पिच पर उतरे पूर्व भारतीय क्रिकेटर मनोज तिवारी, तीखे सवालों पर दिए सधे जवाब

पूर्व भारतीय क्रिकेटर मनोज तिवारी अब सियासी पिच पर लंबी पारी खेलने की तैयारी कर रहे हैं। बंगाल के हावड़ा जिले की शिवपुर विधानसभा सीट से तृणमूल कांग्रेस प्रत्याशी मनोज कहते हैं कि बंगाल में विकास का खेल जारी रहेगा।

By Vijay KumarEdited By: Publish:Thu, 22 Apr 2021 04:28 PM (IST) Updated:Thu, 22 Apr 2021 04:28 PM (IST)
Exclusive Interview: बंगाल की सियासी पिच पर उतरे पूर्व भारतीय क्रिकेटर मनोज तिवारी, तीखे सवालों पर दिए सधे जवाब
पूर्व भारतीय क्रिकेटर मनोज तिवारी अब सियासी पिच पर लंबी पारी खेलने की तैयारी कर रहे हैं

पूर्व भारतीय क्रिकेटर मनोज तिवारी अब सियासी पिच पर लंबी पारी खेलने की तैयारी कर रहे हैं। बंगाल के हावड़ा जिले की शिवपुर विधानसभा सीट से तृणमूल कांग्रेस प्रत्याशी मनोज कहते हैं कि बंगाल में विकास का खेल जारी रहेगा। रणजी क्रिकेट के इस दिग्गज खिलाड़ी से वरिष्ठ संवाददाता विशाल श्रेष्ठ ने खास बातचीत की। पेश है उसके मुख्य अंश :

प्रश्न : बंगाल में इस समय 'खेला होबे' यानी 'खेल होगा' का नारा खूब चल रहा है। आप खेल जगत से हैं। आपके लिए इस नारे के क्या मायने हैं?

उत्तर : देखिए, हर कोई इस नारे की अपने तरीके से व्याख्या कर रहा है। मेरे लिए 'खेला होबे' का मतलब है विकास का खेल जारी रहेगा, जिसे मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 10 साल पहले शुरू किया था। 

प्रश्न : बंगाल के सियासी मैदान में बहुत से खिलाड़ी उतर गए हैं। इस ट्रेंड को आप किस तरह से देखते हैं? 

उत्तर : यह प्रथा नई नहीं है। इससे पहले क्रिकेट से लक्ष्मीरतन शुक्ला और फुटबॉल से रहीम नबी व दीपेंदु विश्वास सियासत में कदम रख चुके हैं। हमारी पार्टी हर क्षेत्र से प्रत्याशी चुनती है। अब विरोधी दल हमारी इस प्रथा की नकल करने लगे हैं। 

प्रश्न : राजनीति में आने से पहले क्या आपने टीम इंडिया के पूर्व कप्तान व मौजूदा बीसीसीआइ अध्यक्ष सौरव गांगुली से किसी तरह का परामर्श लिया था?

उत्तर : नहीं, यह मेरा निजी निर्णय था, जो मैंने अपने परिवार के लोगों से सलाह-मशविरा करके लिया था। 

प्रश्न : आपने हावड़ा के पूर्व मेयर रथिन चक्रवर्ती के खिलाफ चुनाव लड़ा है। अपनी जीत को लेकर कितने आशान्वित हैं? 

उत्तर : मैं शिवपुर का भूमि पुत्र हूं। यहीं जन्मा और यहीं से अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट तक का सफर तय किया है। मुझे यहां जीत की सौ प्रतिशत से भी अधिक की उम्मीद है। चुनाव प्रचार के दौरान मुझे लोगों का बेहद प्यार मिला। मैंने उनकी आंखों में अपने लिए स्वीकार्यता देखी है। हमारी मुख्यमंत्री ने रथिन चक्रवर्ती को मेयर जैसा महत्वपूर्ण पद दिया लेकिन हावड़ा के विकास के लिए उन्होंने कुछ नहीं किया। मेयर रहते वे महज एक से डेढ़ घंटे काम करते थे। उनके पांच साल के रिपोर्ट कार्ड में सिर्फ लाल निशान हैं।

प्रश्न : आपके राजनीति में आने से बंगाल के क्रिकेट जगत की आपसे उम्मीद बढ़ी है। सूबे के क्रिकेटरों को आगे ले जाने के लिए क्या करेंगे?

उत्तर : मैं क्रिकेट से जरूर हूं लेकिन हर उस खेल को आगे बढ़ाना चाहूंगा, जो क्रिकेट के स्तर तक नहीं पहुंच पाया है, हालांकि मेरी पहली प्राथमिकता मेरा विधानसभा क्षेत्र होगी। वहां के लोगों से मैंने जो वादे किए हैं, पहले उन्हें पूरा करूंगा।

प्रश्न : आपने अब तक क्रिकेट से संन्यास की घोषणा नहीं की है तो क्या खेलना जारी रखेंगे? 

उत्तर : यह तो वक्त बताएगा। फिलहाल दो मई को चुनावी नतीजे का इंतजार है, हालांकि खेल संबंधी अपना नार्मल रूटीन जारी रखूंगा। 

प्रश्न : शीतलकूची की घटना के लिए भाजपा मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भड़काऊ भाषण को जिम्मेदार ठहरा रही है। इसपर क्या कहेंगे?

उत्तर : शीतलकूची की घटना पूर्व नियोजित थी। केंद्रीय बल के जवानों को इस तरह से गोलियां नहीं चलानी चाहिए थीं। उन्हें लोगों के सीने पर गोलियां चलाने के लिए तैनात नहीं किया गया था। नियम के मुताबिक कमर के नीचे गोली चलानी चाहिए थी ताकि किसी की जान न जाए। इस कांड को लेकर भाजपा के कुछ नेता कह रहे हैं कि दूसरी जगह मतदान होने पर वहां भी गोली मारेंगे। किसी की जान से खिलवाड़ नहीं किया जाना चाहिए। भाजपा को इसका खामियाजा भुगतना होगा। वह 2021 में बंगाल और 2024 में दिल्ली से साफ हो जाएगी। 

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प्रश्न : तृणमूल भाजपा के खिलाफ कोराना से निपटने में नाकामी का मुद्दा जोर-शोर से उठा रही है। इसपर क्या कहेंगे?

उत्तर : कोरोना से निपटने में केंद्र की भाजपा सरकार पूरी तरह विफल रही है। इस महामारी का मुकाबला करने के लिए उसने कोई पूर्व तैयारी नहीं की। पिछले साल कोरोना की चपेट में आकर न जाने कितने लोग मारे गए। अचानक लगाए गए लॉकडाउन के कारण प्रवासी मजदूरों को हजारों किलोमीटर पैदल चलकर घर लौटना पड़ा। उनमें से कुछ लोग थक-हार कर पटरी पर सोने की वजह से ट्रेन से कटकर मर गए। इन सबकी जवाबदेही कौन लेगा? जब सोनू सूद जैसे अभिनेता ने अपने बूते प्रवासी श्रमिकों के लिए इतना कुछ कर दिखाया तो तमाम संसाधन होने के बावजूद केंद्र सरकार कुछ क्यों नहीं कर पाई? 

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प्रश्न : कहते हैं कि आप क्रिकेट की राजनीति के शिकार हुए हैं और अब खुद राजनीति के क्षेत्र में हैं। 

उत्तर : यह बात सच है। शतक बनाकर मैन ऑफ द मैच बनने के बावजूद अगले 14 मैचों में मुझे नहीं खिलाया गया लेकिन मैं मानता हूं कि वह खेल का हिस्सा था, जिसे मैं इससे नहीं जोड़ना चाहता। 

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प्रश्न : आइपीएल चल रहा है। इसे कितना मिस कर रहे हैं आप?

उत्तर : निश्चित रूप से आइपीएल को मिस कर रहा हूं। पिछले दो साल से नहीं खेला हूं, हालांकि अभी भी खुद को खेलते देख सकता हूं। पिछले दो साल इसमें कमेंट्री कर रहा था। इस बार भी कमेंट्री का ऑफर मिला था लेकिन राजनीति से जुडऩे के कारण मना कर दिया।

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