यास बैठक में शामिल न होने पर प्रशासनिक संताप झेल रहे बंगाल के पूर्व मुख्य सचिव ने किया कलकत्ता हाईकोर्ट का रूख

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में चक्रवात यास को लेकर हुई बैठक में शामिल नहीं होने पर प्रशासनिक कार्यवाही का मामला। अलापन ने कहा वे सेवानिवृत्त आइएएस अफसर हैं और कोलकाता में रहते हैं इसलिए सुनवाई केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण की आंचलिक पीठ में होनी चाहिए।

By Vijay KumarEdited By: Publish:Tue, 26 Oct 2021 09:50 PM (IST) Updated:Tue, 26 Oct 2021 11:04 PM (IST)
यास बैठक में शामिल न होने पर प्रशासनिक संताप झेल रहे बंगाल के पूर्व मुख्य सचिव ने किया कलकत्ता हाईकोर्ट का रूख
केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण ने इस मामले को अपनी कोलकाता पीठ से अपने यहां स्थानांतरित कर लिया है।

 राज्य ब्यूरो, कोलकाता : बंगाल के पूर्व मुख्य सचिव अलापन बंद्योपाध्याय ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में चक्रवात 'यास' को लेकर हुई बैठक में शामिल नहीं होने पर उनके खिलाफ शुरू की गई प्रशासनिक कार्यवाही पर सुनवाई को आंचलिक पीठ से केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण में स्थानांतरित किए जाने के खिलाफ कलकत्ता हाई कोर्ट का रूख किया है।

न्यायाधिकरण की आंचलिक पीठ में होनी चाहिए सुनवाई

गौरतलब है कि केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण ने इस मामले को अपनी कोलकाता पीठ से अपने यहां स्थानांतरित कर लिया है। अलापन बंद्योपाध्याय की तरफ से हाई कोर्ट में दायर की गई याचिका में कहा गया है कि चूंकि वे सेवानिवृत्त आइएएस अफसर हैं और कोलकाता में रहते हैं इसलिए इस मामले पर सुनवाई उनकी सहूलियत के लिए केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण की आंचलिक पीठ में होनी चाहिए।

अलापन सेवा विस्तार दिए जाने के बावजूद हो गए रिटायर

गौरतलब है कि अलापन बंद्योपाध्याय केंद्र सरकार की तरफ से सेवा विस्तार दिए जाने के बावजूद गत 31 मई को अपनी मूल सेवानिवृत्ति तिथि पर ही सेवानिवृत्त हो गए थे। उन्होंने नई दिल्ली में रिपोर्ट करने से इन्कार कर दिया था। बंगाल सरकार की ओर से उन्हें उसी दिन मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का मुख्य सलाहकार नियुक्त किया गया था।

कलाईकुंडा में पीएम की बैठक में शामिल न होने पर नोटिस

गौरतलब है कि अलापन बंद्योपाध्याय कलाईकुंडा में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में बुलाई गई बैठक में शामिल नहीं हुए थे, जिसके लिए उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया था। इसके जवाब में उन्होंने कहा था कि उन्हें दीघा में एक जरूरी बैठक के लिए जाना था, जिसके लिए उन्होंने अनुमति भी ली थी।

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