बंगाल के पूर्व राज्यपाल केसरीनाथ त्रिपाठी ने कहा- 'नई गीता के लिए अब नया अर्जुन चाहिए' का किया आह्वान

कोलकाता की साहित्यकार एवं प्राध्यापिका डॉ तारा दूगड़ ने आयोजित कार्यक्रम में वरिष्ठ कवि पं केसरीनाथ त्रिपाठी से उनकी काव्य रचनाओं के बारे में साक्षात्कार लिया था।तारा दूगड़ ने बताया कि केसरीनाथ जी ने राजनेता के रूप में कीर्ति अर्जित की है परंतु वास्तविक परिचिति तो उनका कविरूप ही है।

By Priti JhaEdited By: Publish:Tue, 03 Aug 2021 02:22 PM (IST) Updated:Tue, 03 Aug 2021 02:51 PM (IST)
बंगाल के पूर्व राज्यपाल केसरीनाथ त्रिपाठी ने कहा- 'नई गीता के लिए अब नया अर्जुन चाहिए' का किया आह्वान
बंगाल के पूर्व राज्यपाल केसरी नाथ त्रिपाठी

राज्य ब्यूरो, कोलकाता। बंगाल के पूर्व राज्यपाल केसरीनाथ त्रिपाठी ने वर्तमान परिस्थितियों के बदलते माहौल में युवकों में नया जोश व उमंग भरते हुए 'नई गीता के लिए अब नया अर्जुन चाहिए' का आह्वान किया है। पूर्व राज्यपाल, वरिष्ठ साहित्यकार एवं कवि पंडित त्रिपाठी, बर्मिंघम (इंग्लैंड) की संस्था 'गीतांजलि मल्टीलिंगुअल लिटरेरी सर्कल' द्वारा वर्चुअल माध्यम से आयोजित गीतांजलि अंतरराष्ट्रीय उत्सव 2021 के वर्ष व्यापी संवाद के 16वें कार्यक्रम में एक साक्षात्कार में बोल रहे थे।

ध्यातव्य है कि इस 'संवाद' के अंतर्गत प्रति पखवाड़े में विश्व के वरिष्ठ साहित्यकारों से रूबरू कराने हेतु सीधे साक्षात्कार का आयोजन किया जाता है। इसी संदर्भ में कोलकाता की जानी मानी साहित्यकार एवं प्राध्यापिका डॉ तारा दूगड़ ने एक अगस्त को आयोजित कार्यक्रम में वरिष्ठ कवि पं केसरीनाथ त्रिपाठी से उनकी काव्य रचनाओं के बारे में साक्षात्कार लिया था। डॉ तारा दूगड़ ने बताया कि केसरीनाथ जी ने कुशल राजनेता के रूप में अपार कीर्ति अर्जित की है, परंतु वास्तविक परिचिति तो उनका कविरूप ही है।

कानून एवं राजनीति के पेचीदे माहौल में कविता के प्रति अपने रूझान का उत्तर देते हुए त्रिपाठी ने कहा कि मन में कोमल भावनाएं तथा कविता के प्रति लगाव हमेशा से ही था पर जब इंग्लैंड में कवि सम्मेलन की अध्यक्षता का निमंत्रण आने पर मुझे लगा कि कविताएं तो आनी चाहिए और फिर अपने आप अनायास कविताएं बनने लगीं। कोरोना महामारी के लंबे एवं कठिन परिदृश्य से गुजर चुके त्रिपाठी ने अस्पताल में जीवन और मृत्यु के बीच संघर्ष करते हुए भी रौशनी के नाम खत लिखना नहीं छोड़ा और अपनी काव्य रचना को अव्याहत रखा।

उन्होंने अस्पताल के बिस्तर पर मन में उभरी रचनाओं- 'जितनी बूंद पड़ी सावन में, उतने गीत रचे बूंदो ने' /'कवि तुम मौन क्यों हो'/ ' कौनसे पल आ गये हैं, गीत क्यों मुरझा गये हैं' आदि का पाठ कर श्रोताओं को भाव विभोर कर दिया। एक घंटे से ज्यादा चले इस साक्षात्कार में उन्होंने अपनी विविध वर्णी रचनाओं की पृष्ठभूमि बताते हुए काव्य पाठ कर सबको मंत्रमुग्ध कर दिया। अंत में उन्होंने 'दूर बहुत रहते हो तुम, पर आती होगी याद हमारी ' तथा ‘कल हम न होंगे ‘रचना का पाठ कर सबको अपना बना लिया।

प्रारंभ में संस्था के डॉ कृष्ण कुमार ने अतिथियों का स्वागत किया एवं संस्था की गतिविधियों के बारे में जानकारी दी। कार्यक्रम में देश-विदेश से अनेकों गणमान्य लोग जिसमें डॉ पद्मेश गुप्त, राखी बंसल, आचार्य श्रीवत्स गोस्वामी, डॉ प्रेमशंकर त्रिपाठी, डॉ कृपाशंकर चौबे, महावीर बजाज, शोभा वाजपेयी, उत्कर्ष अग्निहोत्री, बनेचंद मालू, वसुधा दूगड़ प्रभृति व अन्य वर्चुअल माध्यम से जुड़े हुए थे। 

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