पहले जुल्फिकार, अब करीमुल हक से जिस अंदाज में मिले PM मोदी, इसे 'संयोग' नहीं प्रयोग' मान रहे सियासी विश्लेषक

बंगाल फतह करने को भाजपा पूरा जोर लगा रही है। पीएम मोदी सूबे में ताबड़तोड़ रैलियां कर रहे हैं। शनिवार को जब वे सिलीगुड़ी के बागडोगरा एयरपोर्ट पर उतरे तो उनके स्वागत के लिए वहां एक खास शख्स मौजूद था। पीएम मोदी गर्मजोशी से उनके गले लगे।

By Vijay KumarEdited By: Publish:Sat, 10 Apr 2021 10:14 PM (IST) Updated:Sat, 10 Apr 2021 10:14 PM (IST)
पहले जुल्फिकार, अब करीमुल हक से जिस अंदाज में मिले PM मोदी, इसे 'संयोग' नहीं प्रयोग' मान रहे सियासी विश्लेषक
पहले जुल्फिकार और अब करीमुल हक से पीएम मोदी की मुलाकात

राज्य ब्यूरो, कोलकाता : बंगाल फतह करने को भाजपा पूरा जोर लगा रही है। पीएम मोदी सूबे में ताबड़तोड़ रैलियां कर रहे हैं। शनिवार को जब वे सिलीगुड़ी के बागडोगरा एयरपोर्ट पर उतरे तो उनके स्वागत के लिए वहां एक खास शख्स मौजूद था। पीएम मोदी गर्मजोशी से उनके गले लगे। वह खास शख्स बंगाल के समाज सेवी और 'बाइक एंबुलेंस दादा' के नाम से मशहूर करीमुल हक हैं। इस गर्मजोशी भरी मुलाकात की तस्वीर सुर्खियों में है।

गौरतलब है कि गत तीन अप्रैल को सोनारपुर में जालीदार टोपी पहने एक मुस्लिम युवक की पीएम मोदी के साथ मुलाकात ने काफी चर्चा बटोरी थी। जुल्फिकार नाम के उस शख्स ने पीएम मोदी की तारीफों के पुल बांधे थे। सियासी विश्लेषक पहले जुल्फिकार और अब करीमुल हक से पीएम मोदी की मुलाकात को महज 'संयोग' नहीं बल्कि 'राजनीतिक प्रयोग' मान रहे हैं। गौरतलब है कि भाजपा बंगाल की मुख्यमंत्री व तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी पर मुस्लिम तुष्टीकरण के आरोप लगाती रही है।

इसके जरिए भाजपा बड़ी चतुराई से हिंदू वोटों को अपने पक्ष में लामबंद करने की कोशिश कर रही है। भाजपा की इस रणनीति को कुंद करने के लिए ममता खुद को सच्चा हिंदू बता रही हैं। अपने गोत्र तक की जानकारी दे रही हैं। ममता रैलियों में चंडीपाठ करती दिख रही हैं। नंदीग्राम में तो उन्होंने पर्चा दाखिले से लेकर कथित हमले में पैर में चोट लगने तक चुनाव प्रचार में मंदिर-मंदिर जाकर माथा तक टेका। एक तरफ भाजपा हिंदू वोटों को एकमुश्त अपनी ओर खींचने की कोशिश कर रही है, दूसरी तरफ ममता के मुस्लिम वोट बैंक में भी सेंध के लिए जोर लगा रही है। यह इतना आसान तो नहीं है लेकिन भाजपा की कोशिश है कि अल्पसंख्यक समुदाय में यह संदेश जाए कि पार्टी 'सबका साथ सबका विकास' के मंत्र पर ही चल रही है।

जुल्फिकार और करीमुल से प्रधानमंत्री की मुलाकात इसी संदेश को आगे बढ़ाने की कोशिश है। बंगाल में मुस्लिमों की आबादी करीब 30 फीसद है। 2011 से तृणमूल की जीत में मुस्लिम वोटरों की भूमिका काफी अहम रही है लेकिन इस बार पीरजादा अब्बास सिद्दीकी के नए नवेले इंडियन सेक्युलर फ्रंट से ममता के इस वोट बैंक में सेंध लग सकता है। प्रभावशाली फुरफुरा शरीफ दरगाह के पीरजादा कभी ममता के बेहद करीबियों में शुमार थे लेकिन अब वह पहली बार नई पार्टी बनाकर वाममोर्चा और कांग्रेस के साथ गठबंधन कर उनके ही खिलाफ चुनावी बिसात बिछा चुके हैं। ममता एक तरफ खुद को सच्चा हिंदू साबित करने में जुटी हैं लेकिन साथ में उन्हें यह भी भान है कि कहीं इस चक्कर में उनका ठोस मुस्लिम वोट बैंक न फिसल जाए।

यही वजह है कि एक चुनावी रैली में उन्होंने  असदुद्दीन औवैसी और अब्बास सिद्दीकी को कोसते हुए मुस्लिम वोटरों से वोट न बंटने देने की अपील की। इसके लिए उन्हें चुनाव आयोग का नोटिस तक मिला। दूसरी तरफ पीएम मोदी ने ममता की इस अपील को लपक लिया। उन्होंने ममता के ही बयान को बड़ी चतुराई से घुमाया कि इशारों-इशारों में हिंदू वोटरों से भाजपा के पक्ष में एकजुट होने की अपील कर दी। मोदी ने कहा कि ममता दीदी मुस्लिमों से जिस तरह की अपील कर रही हैं, वैसी अपील अगर वह हिंदुओं से कर दें तो उन्हेंं चुनाव आयोग का नोटिस आ जाएगा।

बंगाल की आबादी में 30 फीसद यानी करीब एक तिहाई हिस्सेदारी मुसलमानों की है। 294 विधानसभा सीटों वाले बंगाल में 145 सीटों पर मुस्लिम वोट हार-जीत तय करने में अहम भूमिका निभाते हैं। 46 विधानसभा सीटें तो ऐसी हैं, जहां 50 फीसद से भी ज्यादा मुसलमान हैं। 16 सीटें ऐसी हैं, जहां इनकी तादाद 40 से 50 फीसद के बीच है। 33 सीटों पर मुस्लिम आबादी 30 से 40 फीसद और 50 सीटों पर 20 से 30 फीसद है। मालदा, मुर्शिदाबाद और उत्तर दिनाजपुर जिलों में मुस्लिम आबादी हिंदुओं से ज्यादा है।

दक्षिण 24 परगना, नदिया और बीरभूम जिलों में भी इनकी अच्छी-खासी आबादी है। बंगाल में तीसरे चरण के बाद वाली तमाम सीटों पर मुस्लिम वोट निर्णायक भूमिका में हैं। ऐसे में हर चरण के खत्म होने के साथ मुस्लिम वोटों को साधने की जंग तेज होती जाएगी।

chat bot
आपका साथी