तस्करों की हर कोशिश नाकाम, बीएसएफ ने जूट के खेत में छिपाकर रखे गए 12.80 लाख मूल्य के मत्स्य डिंब किए जब्त

कमांडेंट जवाहर सिंह नेगी ने बताया कि तस्कर नित नए तरीके अपना कर तस्करी का प्रयास करते है।खराब मौसम घने ऊंची फसल का फायदा उठाकर तस्करी की फिराक में रहते लेकिन सीमा पर दिन-रात जवानों की कड़ी चौकसी के कारण तस्करों की कोई भी चाल कामयाब नहीं हो रही है।

By Priti JhaEdited By: Publish:Thu, 24 Jun 2021 09:42 AM (IST) Updated:Thu, 24 Jun 2021 09:42 AM (IST)
तस्करों की हर कोशिश नाकाम, बीएसएफ ने जूट के खेत में छिपाकर रखे गए 12.80 लाख मूल्य के मत्स्य डिंब किए जब्त
153वीं बटालियन के कमांडेंट जवाहर सिंह नेगी

राज्य ब्यूरो, कोलकाता।‌ दक्षिण बंगाल फ्रंटियर अंतर्गत सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के जवानों ने उत्तर 24 परगना जिले में भारत-बांग्लादेश सीमा के पास तस्करों के मंसूबों को नाकाम करते हुए 56 पॉलीबैग मत्स्य डिंब की बड़ी खेप जब्त किया है।बीएसएफ की ओर से एक बयान में बताया गया कि जब्त मत्स्य डिंब (मछली के जीरे) का बाजार मूल्य लगभग 12.80 लाख रुपये है। इन सभी मत्स्य डिंबों को लेकर कुछ तस्कर सीमा चौकी गोबरधा के सीमावर्ती क्षेत्र में जूट (पाट) के खेत में फसल के बीच छिपे थे और मौका मिलते ही बांग्लादेश में इसकी तस्करी की जानी थी। लेकिन, सीमा चौकी गोबरधा में तैनात 153वीं वाहिनी के सतर्क जवानों ने तस्करों की योजना को विफल कर दिया। ‌

बयान के मुताबिक, 22 जून को बीएसएफ की खुफिया विभाग द्वारा प्राप्त सूचना पर कार्य करते हुए सीमा चौकी गोबरधा, सेक्टर कोलकाता की पेट्रोलिंग पार्टी और तत्काल प्रतिक्रिया दल को सतर्क कर दिया गया। कंपनी कमांडर ने उसी समय एक स्पेशल पेट्रोलिंग पार्टी को सूचना के मुताबिक इलाके में लगा दिया।रात लगभग 23:30 बजे जवानों ने कुछ संदिग्ध तस्करों की जूट के फसल के बीच से आवाज सुनाई दी। जब सीमा पर डटे जवान ने उसे चुनौती दी तो तस्कर बैग को खेतों के बीच फेक कर भागने लगा, जवानों ने उसका पीछा किया लेकिन अंधेरा और घनी फसल का फायदा उठा कर तस्कर वापस भारतीय क्षेत्र की तरफ भागने में सफल रहा। शीघ्र ही बीएसएफ द्वारा पूरे इलाके की सघन तलाशी ली गई तो जूट फसल के बीच से 56 पॉलीबैग मत्स्य डिंब बरामद हुआ। जब्त मत्स्य डिंब को कस्टम कार्यालय तेंतुलिया को सौंप दिया गया है।‌

तस्करों की कोई भी चाल नहीं हो रही कामयाब : कमांडेंट जवाहर

इधर, 153वीं बटालियन के कमांडेंट जवाहर सिंह नेगी ने बताया कि उनके इलाके में तस्कर नित नए तरीके अपना कर तस्करी का प्रयास करते है। खराब मौसम एवं घने तथा ऊंची फसल का फायदा उठाकर तस्करी की फिराक में रहते है, लेकिन सीमा पर दिन-रात जवानों की कड़ी चौकसी के कारण तस्करों की कोई भी चाल कामयाब नहीं हो रही है। गौरतलब है कि एक समय 153वीं बटालियन का इलाका पशु तस्करी से लेकर विभिन्न सामानों की तस्करी के लिए कुख्यात था, लेकिन मार्च, 2019 में कमांडेंट जवाहर के इस बटालियन की कमान संभालने के बाद से यहां तस्करी पर पूरी तरह शिकंजा कस दिया है। इस क्षेत्र से तस्करी की अब कोई भी घटना सफल नहीं हो रही है। 

chat bot
आपका साथी