उपचुनाव आयुक्त की भूमिका पर तृणमूल ने उठाए सवाल, कहा- उनके निर्देश में बंगाल में निष्पक्ष चुनाव नहीं हो सकते
बंगाल में आठ चरणों में विधानसभा चुनाव कराए जाने का पुरजोर विरोध कर रही सत्तारुढ़ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने अब केंद्रीय उपचुनाव आयुक्त व बंगाल के इंचार्ज सुदीप जैन पर पक्षपातपूर्ण व्यवहार करने का आरोप लगाते हुए उन्हें तुरंत हटाने की मांग की है।
राज्य ब्यूरो, कोलकाता : बंगाल में आठ चरणों में विधानसभा चुनाव कराए जाने का पुरजोर विरोध कर रही सत्तारुढ़ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने अब केंद्रीय उपचुनाव आयुक्त व बंगाल के इंचार्ज सुदीप जैन पर पक्षपातपूर्ण व्यवहार करने का आरोप लगाते हुए उन्हें तुरंत हटाने की मांग की है। इस बाबत टीएमसी के राज्यसभा के सदस्य डेरेक ओ ब्रायन ने गुरुवार को राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) को पत्र लिखा है। इसमें आरोप लगाया है कि सुदीप जैन का व्यवहार पक्षपातपूर्ण है और अंदेशा जताया है कि उनके निर्देश में बंगाल में निष्पक्ष चुनाव नहीं हो सकते हैं। इसलिए सुदीप जैन को बंगाल चुनाव के प्रभार से तुरंत हटाया जाए। गु
रुवार को टीएमसी के वरिष्ठ सांसद व प्रवक्ता सौगत रॉय ने पार्टी मुख्यालय में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में इसकी जानकारी देते हुए कहा कि सुदीप जैन को हटाने के लिए चुनाव आयोग को पत्र लिखा गया है। रॉय ने कहा कि बिहार में तीन चरण में चुनाव हुए। असम में तीन चरण में चुनाव हो रहे हैं जबकि तमिलनाडु और केरल में एक चरण में चुनाव हो रहे हैं, लेकिन बंगाल में आठ चरणों में चुनाव की घोषणा की गई है। ममता बनर्जी ने इसका विरोध किया है। यह पक्षपातपूर्ण रवैया है। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग के इस फैसले का हम कड़ा विरोध करते हैं। बंगाल के लोगों को कष्ट देने के लिए भाजपा के कहने पर चुनाव आयोग ने यह निर्णय लिया है।
विद्यासागर की मूॢत तोडऩे पर नहीं की थी कोई कार्रवाई
रॉय ने सुदीप जैन की भूमिका पर सवाल उठाते हुए आगे कहा कि इसके पहले साल 2019 के लोकसभा चुनाव में भी उनके (जैन के) पास बंगाल का प्रभार था। उस समय उनका रवैया पक्षपातपूर्ण था। उन्होंने कहा कि 2019 के चुनाव के पहले कोलकाता में ईश्वरचंद्र विद्यासागर की मूॢत उस समय तोड़ी गई थी, जब अमित शाह जुलूस निकाल रहे थे। उसी समय सुदीप जैन ने एक गलत एवं पक्षपातपूर्ण रिपोर्ट भेजी था, जिसके आधार पर चुनाव आयोग चुनाव ने दो दिन पहले प्रचार बंद कर दिया था। भाजपा ने मूॢत तोड़ी, लेकिन चुनाव आयोग ने कोई कार्रवाई नहीं की। शाह और उनके जुलूस के खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया गया, इससे साफ है कि जैन का व्यवहार पूरी तरह से पक्षपातपूर्ण था।
क्विक रिस्पांस टीम गठित करने को लेकर भी जैन की भूमिका पर उठाए सवाल
तृणमूल सांसद ने कहा कि पिछले लोकसभा चुनाव में जैन ने नए क्विक रिस्पांस टीम बनाया गया था, जिसमें राज्य आम्र्ड पुलिस व केंद्रीय बल के जवान थे। जैन ने क्विक रिस्पांस टीम का प्रमुख केंद्रीय बल के अधिकारी को बनाया था। उन्होंने इसपर सवाल उठाते हुए कहा कि यह असंवैधानिक था। भारत के संविधान में पुलिस और पब्ल्कि आर्डर सातवीं सूची में है। इसके तहत कानून व्यवस्था राज्य का विषय है। ऐसी स्थिति में केंद्रीय बल के अधिकारी नेतृत्व नहीं कर सकते हैं। इसका विरोध किया गया था और यह निर्देश वापस लेना पड़ा था। बता दें कि चुनाव आयोग ने बंगाल में आठ चरणों में मतदान कराने की घोषणा की है। मुख्यमंत्री व टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी ने इसका कड़ा विरोध किया था और चुनाव आयोग के फैसले पर सवाल उठाए थे।