Saradha Chit Fund Scam: टीएमसी नेता कुणाल घोष को ईडी ने भेजा समन, कहा- जांच में करूंगा पूरा सहयोग
Saradha Chit Fund Scam कुणाल घोष ने कहा कि वह जांच में सहयोग करेंगे। 2013 में सारधा चिटफंड घोटाले का भंडाफोड़ होने के बाद कुणाल की गिरफ्तारी हुई थी। इस मामले जांच के लिए ममता सरकार की ओर से गठित टीम ने घोष को गिरफ्तार किया था।
राज्य ब्यूरो, कोलकाता। Saradha Chit Fund Scam: बंगाल में विधानसभा चुनाव में अब कुछ ही दिनों का वक्त बचा हुआ है। इस बीच, राजनीतिक दाव पेंच तेज हो गए हैं। इसी क्रम में सारधा चिटफंड घोटाले में लंबे समय तक जेल में रहे तृणमूल नेता कुणाल घोष को प्रर्वतन निदेशालय (ई़डी) ने समन भेजा है। ईडी ने घोष को दो मार्च को पूछताछ के लिए दफ्तर में पेश होने को कहा है। जानकारी के मुताबिक, ईडी ने ये नोटिस सारधा चिटफंड घोटाले से जुड़े मामले में भेजा है। नोटिस मिलने के बाद कुणाल घोष ने कहा है कि वह जांच में सहयोग करेंगे। वर्ष 2013 में सारधा चिटफंड घोटाले का भंडाफोड़ होने के बाद कुणाल घोष की गिरफ्तारी हुई थी। इस मामले जांच के लिए ममता सरकार की ओर से गठित विशेष जांच टीम ने घोष को गिरफ्तार किया था। इसके बाद उन्हें पार्टी के खिलाफ बयान देने को लेकर तृणमूल से निलंबित भी कर दिया गया था। उस समय वह तृणमूल से राज्यसभा सदस्य भी थे।
गौरतलब है कि सारधा ग्रुप के मुखिया सुदीप्त सेन और उनकी सहयोगी देवयानी मुखर्जी से पूछताछ में ईडी के हाथ कई अहम तथ्य लगे थे। इसी आधार पर कई लोगों को नोटिस भेजा गया था। सांसद शताब्दी राय को छोड़कर बाकी पांचों आरोपितों को सारधा मामले में इससे पहले सीबीआइ ने गिरफ्तार किया था। शताब्दी राय सारधा गु्रप की एक संस्थान की ब्रांड अंबेसडर थी। उस वक्त सारधा के साथ उनका आर्थिक लेनदेन भी हुआ था। किसी समझौते के तहत उनके साथ लेनदेन हुआ था, इसकी जानकारी हासिल करने के लिए ईडी इससे पहले भी शताब्दी को नोटिस भेज चुकी है। कुणाल घोष को नवंबर, 2013 में बिधाननगर के तत्कालीन पुलिस आयुक्त राजीव कुमार के नेतृत्व में एक विशेष जांच दल ने सारदा चिट फंड घोटाले के सिलसिले में उस समय गिरफ्तार किया था, जब वह तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य थे। उन्हें 2016 में जमानत मिली थी।
जानें, क्या है सारधा चिटफंड घोटाला
सारधा चिटफंड घोटाला पश्चिम बंगाल का एक बड़ा घोटाला है। इसमें कई राजनीतिक पार्टियों के नेताओं का हाथ होने का आरोप है। पश्चिम बंगाल की चिटफंड कंपनी सारधा ग्रुप ने आम लोगों के ठगने के लिए कई ऑफर दिए थे। इस कंपनी ने 34 गुना रकम करने का वादा कर लोगों से पैसे ठग लिए थे। इस घोटाले में करीब 40 हजार करोड़ रुपये का हेरफेर हुआ है। साल 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने भी सीबीआइ को जांच का आदेश दिया था। साथ ही, पश्चिम बंगाल, ओडिशा व असम पुलिस को आदेश दिया था कि वे सीबीआइ के साथ जांच में सहयोग करें।