Kolkata Durga puja 2020: फीकी रही बंगाल की दुर्गा पूजा, बजट चार गुना घटा, कॉरपोरेट जगत से नहीं मिली सहायता
जिन पंडालों पर करोड़ों रुपए खर्च होते थे उनका खर्च इस साल 10 लाख तक नीचे आ गया। इस साल पंडालों को मिलने वाले चंदे में भारी कमी आई जिसकी वजह से पंडालों ने अपने खर्च को सीमित कर दिया।
कोलकाता, राज्य ब्यूरो। कोरोना काल में हर त्योहार की तरह पश्चिम बंगाल की दुर्गापूजा भी भेंट चढ़ गई। सूत्रों के मुताबिक इस साल हालात इतने खराब रहे कि जिन पंडालों पर करोड़ों रुपए खर्च होते थे, उनका खर्च इस साल 10 लाख तक नीचे आ चुका है। इसका कारण पंडालों को मिलने वाले चंदे से जुड़ा है।
जानकारी के अनुसार, इस साल पंडालों को मिलने वाले चंदे में भारी कमी आई, जिसकी वजह से पंडालों ने अपने खर्च को सीमित कर दिया। बंगाल के दुर्गा पूजा के इतिहास में यह पहली बार देखने को मिला कि जब पंडालों में ना तो कोई खास तामझाम रहा न ही श्रद्धालुओं की लंबी कतारें। सूत्रों के अनुसार, पांच दिनों तक चलने वाली कोलकाता की 100 बड़ी पूजा फेस्टिवल में करीब 4500 करोड़ रुपए का लेनदेन होता है। जबकि, पूरे राज्य में करीब 15,000 करोड़ रुपए का लेन-देन होता है। वहीं, लाखों की संख्या में रोजगार देने वाली इस पूजा ने इस साल कई लोगों को बेरोजगार कर दिया है।
पूजा पंडालों को कॉरपोरेट जगत से नहीं मिली सहायता
दुर्गापूजा का अधिकतर खर्च प्रायोजक पर ही निर्भर करता है। बची कुची रकम स्थानीय लोगों से चंदे द्वारा जुटाई जाती है। इस साल कॉरपोरेट जगत से कुछ खास मदद नहीं मिल पाई। कोरोना और लॉकडाउन के चलते लगभग सभी क्षेत्र प्रभावित हुए हैं। हर साल कॉरपोरेट जगत से जितना राशि मिलती थी वह भी काफी कम प्राप्त हो पाया। वहीं कंपनियों का कहना है कि कोरोना के चलते पहले ही वे नुकसान में हैं,उस पर महामारी में ज्यादातर लोग घूमने-फिरने से बच रहे हैं। ऐसे में कंपनियों को ब्रांडिंग से कुछ खास फायदा नजर नहीं आ रहा है। ऐसे में जहां हर साल 30 से 40 लाख तक के बजट में पंडाल तैयार किया जाता था, वह इस बार केवल 10 लाख तक सिमट कर रह गया। हालांकि, इस साल मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की सरकार ने सभी रजिस्टर्ड पूजा-पंडाल को सफाई और हाइजीन को ध्यान रखने के लिए अतिरिक्त खर्च को देखते हुए 50-50 हजार रुपए दिए हैं।
इन लोगों की कमाई पर पड़ा सीधा असर
-इस साल दुर्गा पूजा में हजारों लोगों मजदूर से लेकर मूर्तिकार , छोटे-छोटे खाने के स्टॉल लगाने वालों की कमाई पर सीधा असर पड़ा है, जिनकी कमाई का जरिया ही दुर्गा पूजा है। इस समय इन लोगों की कमाई इतनी हो जाती थी कि ये सालभर छोटे मोटे अन्य काम करके भी घर-परिवार चला लेते थे। पिछले दस सालों से पंडाल के पास फूड ट्रक का कारोबार कर रहे आमिर अली इस साल दिन तीनों में महज 15-20 हजार रुपए की कमाई कर पाए हैं। हर साल पूजा में वे इस पांच से छह दिनों में दो लाख से ज्यादा कमा लेते थे, लेकिन इस साल सभी का बुरा हाल हो गया।