Durga Puja: दक्षिण कोलकाता में बारिशा क्लब के पूजा पंडाल में देवी दुर्गा को प्रवासी महिला के रूप में किया गया है प्रदर्शित

दक्षिण कोलकाता में बारिशा क्लब के पूजा पंडाल में इस बार शरणार्थियों एवं महामारी के दौरान प्रवासी मजदूरों के दर्द को बयां करती मूर्तियां स्थापित की गई हैं जो इनके दुखों को सजीव करती नजर आ रही हैं। पूजा का थीम है भागेर मां यानी ऐसी मां जो विभाजित हैं।

By Vijay KumarEdited By: Publish:Sat, 09 Oct 2021 06:17 PM (IST) Updated:Sat, 09 Oct 2021 06:17 PM (IST)
Durga Puja: दक्षिण कोलकाता में बारिशा क्लब के पूजा पंडाल में देवी दुर्गा को प्रवासी महिला के रूप में किया गया है प्रदर्शित
बारिशा क्लब के पूजा पंडाल में प्रवासी मजदूरों के दर्द को बयां करतीं तस्वीर।

राज्य ब्यूरो, कोलकाता : दुनिया भर में दुर्गा पूजा की विशेषताओं के लिए पहचाने जाने वाले कोलकाता में इस बार भी अलग-अलग थीम पर बने पंडाल लोगों को खासा आकर्षित कर रहे हैं। ऐसे ही दक्षिण कोलकाता में बारिशा क्लब के पूजा पंडाल में इस बार शरणार्थियों एवं महामारी के दौरान प्रवासी मजदूरों के दर्द को बयां करती हुई मूर्तियां स्थापित की गई हैं, जो इनके दुखों को सजीव करती नजर आ रही हैं।

पूजा का थीम है भागेर मां यानी एक ऐसी मां जो विभाजित हैं। इस थीम में देवी दुर्गा को एक श्रमिक वर्ग की प्रवासी महिला के रूप में प्रदर्शित किया गया है, जो अपने बच्चों को महामारी के दौरान अपने साथ ले जा रही हैं। इस थीम में शरणार्थी संकट और विभाजन के बाद की पीड़ा के साथ-साथ लाखों लोगों द्वारा झेला गया दर्द बयां किया गया है, जो आजादी के दौरान हिंसा के बीच अपने पुश्तैनी घरों को छोड़ आए थे।

बारिशा क्लब दुर्गा पूजा के आयोजक देव प्रसाद बोस ने बताया, पंडाल को दो भागों में विभाजित किया गया है। बाईं ओर लगी मील का पत्थर बांग्लादेश की सीमा को दर्शाता है और दाईं ओर भारतीय सीमा को। बीच में, एक विशाल पिंजरे जैसी संरचना रखी गई है, जिसमें एक महिला अपने बच्चों के साथ देवी दुर्गा की मूर्ति ले जा रही हैं।

थीम कलाकार रिंटू दास ने बताया कि इस साल दुर्गा पूजा के जरिए यह संदेश देना है कि किसी भी तरह से देशवासियों को इन संकटों का दोबारा सामना ना करना पड़े, इसकी व्यवस्था की जाए।

विशेष रूप से, 1947 के विभाजन के बाद, बंगाल के हिंसा ग्रस्त लोगों ने अपने देवताओं को दो भागों में विभाजित किया - भारत और बांग्लादेश (तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान) के बीच। ढाका की ढाकेश्वरी दुर्गा बंगाल के कुम्हारटोली में मूर्तिकारों के लिए पारंपरिक प्रतिमा बन गई। वर्षों बाद, दक्षिण कोलकाता की यह दुर्गा पूजा समिति अपने दर्शकों से इस सवाल पर विचार करने का आग्रह करता है कि क्या देश एक और संकटपूर्ण दौर देखेगा, जब देवी को एक बार फिर अपनी पैतृक भूमि को पीछे छोड़कर कहीं और यात्रा करनी होगी?

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