150 फीट ऊंचे बुर्ज खलीफा पंडाल से निकलती रोशनी से विमानों की लैंडिंग व उड़ान हो रही प्रभावित, पुलिस से की शिकायत

महानगर के लेकटाउन स्थित श्रीभूमि स्पोर्टिंग क्लब ने दुर्गा पूजा के लिए बुर्ज खलीफा की तर्ज पर 150 फीट ऊंचा पंडाल बनाया जिसे देखने के लिए हजारों की संख्या में लोग जुट रहे हैं। यह पंडाल मीडिया में भी खूब सुर्खियां बटोर रही हैं।

By Vijay KumarEdited By: Publish:Tue, 12 Oct 2021 07:07 PM (IST) Updated:Tue, 12 Oct 2021 09:43 PM (IST)
150 फीट ऊंचे बुर्ज खलीफा पंडाल से निकलती रोशनी से विमानों की लैंडिंग व उड़ान हो रही प्रभावित, पुलिस से की शिकायत
दुर्गा पूजा के लिए बुर्ज खलीफा की तर्ज पर 150 फीट ऊंचा पंडाल तैयार

राज्य ब्यूरो, कोलकाताः महानगर के लेकटाउन स्थित श्रीभूमि स्पोर्टिंग क्लब ने दुर्गा पूजा के लिए बुर्ज खलीफा की तर्ज पर 150 फीट ऊंचा पंडाल बनाया, जिसे देखने के लिए हजारों की संख्या में लोग जुट रहे हैं। यह पंडाल मीडिया में भी खूब सुर्खियां बटोर रही हैं। रात के समय इस पंडाल को सजाने में 300 अलग-अलग तरह की रोशनी का इस्तेमाल किया जा रहा है जो लोगों को और आकर्षित कर रहा है। परंतु, यह रोशनी पंडाल के कुछ किलोमीटर दूरी पर स्थित नेताजी सुभाष चंद्र बोस हवाई अड्डे पर विमानों के उड़ान व लैंडिंग में समस्या पैदा कर रही है, जिसके चलते पूजा आयोजकों के लिए परेशानी बढ़ सकती है।

खबर है कि इस समस्या को लेकर एयरपोर्ट प्रबंधन ने पुलिस से शिकायत की है। ऐसी संभावना है कि रात में पंडाल से निकलने वाली रंग बिरंगी रोशनी पर रोक लगाई जा सकती है। पुलिस ने इस बाबत श्रीभूमि स्पोर्टिंग क्लब के पदाधिकारियों से बातचीत की है और इस बारे में रास्ता निकालने का आग्रह किया है, ताकि पंडाल से निकलने वाली रोशनी से हवाई जहाजों के उड़ने और लैंडिंग में समस्या पैदा नहीं हो।

बता दें कि इस पंडाल की खास बात यह है कि इसमें मूल रूप से तिरंगे की रोशनी लोगों को विशेष तौर पर आकर्षित कर रही है। इसे असली बुर्ज खलीफा की तरह दिखने के लिए एक्रेलिक शीट का इस्तेमाल किया गया है जो एक तरह का चमकीला कांच है जो रोशनी को और तेज कर देता है। यह पंडाल केवल कोलकाता ही नहीं बल्कि बंगाल का सबसे बड़ा पूजा पंडाल है जिसे बनाने के लिए एक बड़े मैदान का इस्तेमाल किया गया है। इस पंडाल में शुरू से ही लोगों को काफी भीड़ उमड़ रही है। यह पंडाल 150फीट ऊंचा है। इसे 6,000 एक्रेलिक शीट की मदद से तैयार किया गया है। करीब 250 से श्रमिकों ने साढ़े तीन माह में इसे तैयार किया है।

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