कोलकाता महानगर में बसों से कमिशन प्रथा को हटाने को लेकर चर्चा जोरों पर

बसों के किराये में वृ‌द्धि की मांग को लेकर बस संगठन अड़े हुए हैं। वेतन प्रथा निजी बस कर्मियों के लिए हम 1990 से कोशिश कर रहे हैं। कमिशन प्रथा में बसें चलती हैं। इस मुद्दे पर सरकार गाइडलाइन तैयार करे उसी के आधार पर कुछ हो सकता है।

By Priti JhaEdited By: Publish:Fri, 23 Jul 2021 09:11 AM (IST) Updated:Fri, 23 Jul 2021 09:11 AM (IST)
कोलकाता महानगर में बसों से कमिशन प्रथा को हटाने को लेकर चर्चा जोरों पर
बसों के किराये में वृ‌द्धि की मांग को लेकर बस संगठन अड़े हुए हैं।

राज्य ब्यूरो, कोलकाता। बसों के किराये में वृ‌द्धि की मांग को लेकर बस संगठन अड़े हुए हैं। इस बीच देखा जा रहा है कि ज्यादातर निजी व मिनी बसों में ही अ‌धिक किराये बस कंडक्टर ले रहे हैं। ऐसे में इसे लेकर अक्सर यात्री व बस कंडक्टर में विवाद भी हो रहा है। इस बीच एक बार ‌फिर से बसों से कमिशन प्रथा को हटाए जाने को लेकर चर्चा जोरों पर है। हालांकि इस पर अलग-अलग राय है।

ज्वाइंट कॉउन्सिल ऑफ बस सिंडिकेट के महासचिव तपन बनर्जी ने कहा कि हमने सुना है कि कुछ बस मालिक कमिशन सिस्टम कम कर रहे हैं। ईंधन की कीमतों में वृद्धि हो रही है। ऐसे में यदि खुद ही कुछ बस मालिक आपस में समझौता कर रहे हैं, तो यह अलग बात है। वेतन प्रथा निजी बस कर्मियों के लिए हम 1990 से कोशिश कर रहे हैं। कोलकाता, हावड़ा, उत्तर 24 परगना में ही कमिशन प्रथा में बसें चलती हैं। इस मुद्दे पर सरकार गाइडलाइन तैयार करे, उसी के आधार पर कुछ हो सकता है।

ऑल बंगाल बस-मिनी बस समन्वय कमेटी के महासचिव, राहुल चटर्जी ने कहा कि बसों में कमिशन प्रथा लंबे समय से है। यह अब भी जारी है। अक्सर ही इसे हटाने को लेकर चर्चाएं तो होती हैं, हालांकि हल नहीं निकलता है। जरूरत है कि संगठित होकर इस पर प्रयास किए जाएं।

वेस्ट बंगाल बस एंड मिनी बस आनर्स एसोसिएशन के संयुक्त सचिव प्रदीप नारायण बोस ने कहा कि हम कमिशन को कुछ कम किए जाने के प्रयास कर रहे हैं। इसके अलावा यूनियन सचिव को दिए जाने वाले पैसे को फिलहाल बंद किया जा रहा है। वर्तमान परिस्थिति में जबकि डीजल व पेट्रोल की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं, कई कठिन फैसले लेने पड़ रहे हैं।

जिलों में भी है वेतन सिस्टम

राज्य के ज्यादातर जिलों में ही मिनी बस व निजी बसों के कर्मियों के लिए वेतन प्रथा है। हालांकि कोलकाता, उत्तर 24 परगना, हावड़ा व कुछ शहरी क्षेत्रों में यह प्रथा लागू नहीं है। निजी व मिनी बसों में टिकटों की कुल बिक्री में 24% का बंटवारा ड्राइवर व कंडक्टर में होता है।(यह प्रथा जिन बसों में दो गेट है, उस पर लागू) एक गेट वाली बसों में बाद में 15% व 9% कमिशन हो गया, इसे ड्राइवर व कंडक्टर में बांटना होता है। हाल के समय में कुछ बसों में कमिशन सिस्टम को 12% व 6% किए जाने की चर्चा है।

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