Bhabanipur By Election Result 2021: बड़ी जीत से 'बड़ा संदेश' देने की जुगत, भवानीपुर उपचुनाव के जरिए 'दीदी' ने चला दोहरा दांव

Bhabanipur By Election Result 2021 ममता ने अपनी निकटतम प्रतिद्वंद्वी भाजपा की प्रियंका को 58835 वोटों के बहुत बडे़ अंतर से शिकस्त दी। ममता की यह अब तक की सबसे बड़ी जीत है। इससे पहले उन्होंने 2011 में इसी सीट पर माकपा की नंदिनी को 54213 वोटों से हराया था।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Publish:Sun, 03 Oct 2021 09:11 PM (IST) Updated:Sun, 03 Oct 2021 09:11 PM (IST)
Bhabanipur By Election Result 2021: बड़ी जीत से 'बड़ा संदेश' देने की जुगत, भवानीपुर उपचुनाव के जरिए 'दीदी' ने चला दोहरा दांव
भवानीपुर उपचुनाव में बंगाल की मुख्यमंत्री व तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी की जीत। फोटो प्रेट्र

कोलकाता, विशाल श्रेष्ठ। भवानीपुर विधानसभा उपचुनाव में बंगाल की मुख्यमंत्री व तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी की जीत को लेकर शायद ही किसी को संदेह था। भाजपा भी भली-भांति जानती थी कि ममता को उनके गढ़ में हराना टेढ़ी खीर है। जीत को लेकर पूरी तरह निश्चिंत होने के बावजूद तृणमूल नेतृत्व ने भवानीपुर में पूरा जोर लगाया। तृणमूल सरकार के एक दर्जन मंत्री दिन-रात चुनाव प्रचार में जुटे रहे। खुद ममता ने भी गली-नुक्कड़ में जाकर सभाएं कीं। इससे पहले ममता ने कभी अपने लिए इतना चुनाव प्रचार नहीं किया। विधानसभा चुनावों के समय उन्हें पार्टी प्रत्याशियों के चुनाव क्षेत्रों में प्रचार में ही व्यस्त देखा जाता रहा है। इसमें कोई दो बात नहीं कि मुख्यमंत्री पद पर बने रहने के लिए ममता का उपचुनाव जीतना बेहद जरूरी था, क्योंकि पिछले विधानसभा चुनाव में नंदीग्राम सीट पर उन्हें सुवेंदु अधिकारी से हार का सामना करना पड़ा था।

तो क्या तृणमूल के इतना दम-खम लगाने की बस यही वजह थी?

बंगाल की सियासत पर करीब से नजर रखने वाले बताते हैं कि दरअसल भवानीपुर विधानसभा उपचुनाव के जरिए 'दीदी' ने दोहरा दांव चला। अपने सबसे मजबूत दुर्ग में आसान जीत दर्ज कर उन्होंने न सिर्फ अपनी मुख्यमंत्री की कुर्सी की पकडे़ रखा है बल्कि बहुत बड़ी जीत दर्ज कर' बड़ा संदेश' देने की भी को कोशिश की है। ममता ने अपनी निकटतम प्रतिद्वंद्वी भाजपा की प्रियंका टिबडे़वाल को 58,835 वोटों के बहुत बडे़ अंतर से शिकस्त दी। विधानसभा चुनाव में ममता की यह अब तक की सबसे बड़ी जीत है। इससे पहले उन्होंने 2011 में इसी सीट पर माकपा की नंदिनी मुखर्जी को 54,213 वोटों से हराया था।

कम हुई नंदीग्राम में हार की टीस

तृणमूल ने पिछले बंगाल विधानसभा चुनाव में लगातार तीसरी बार बहुमत हासिल किया था। टीस बस नंदीग्राम में ममता की हार की रह गई थी। तीसरी बार बंगाल फतह करने के बाद तृणमूल 2024 के लोकसभा चुनाव को देखते हुए राष्ट्रीय स्तर पर अपना विस्तार करने में जुट गई है। इसके साथ ही पार्टी ने ममता को मोदी विरोधी सबसे सशक्त चेहरे के रूप में प्रोजेक्ट करना शुरू कर दिया है। इसे मजबूती देने के लिए एक बड़ा संदेश देने की जरूरत थी, जिसके लिए भवानीपुर विधानसभा उपचुनाव को जरिया बनाया गया यानी आम के आम और गुठलियों के भी दाम। ममता की इस रिकार्ड तोड़ जीत की गूंज दिल्ली तक पहुंच गई है। इतनी शानदार जीत से न सिर्फ बंगाल की सियासत में उनका कद और बढे़गा बल्कि भाजपा विरोधी तमाम राजनीतिक दलों में उनकी छवि और मजबूत नेता के तौर पर भी उभरेगी। तृणमूल यकीनन यही चाहती थी। और तो और, यह जीत नंदीग्राम में हार पर भी पर्दा डालने का काम करेगी। 

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