सालभर अवैध हथियारों की जब्ती के बावजूद कोलकाता में कम नहीं हो रहीं शूटआउट की घटनाएं, पुलिस के अभियान पर उठे सवाल

अवैध हथियारों की जब्ती के लिए कोलकाता पुलिस की तरफ से सालभर अभियान चलाए जाने के बावजूद महानगर में शूटआउट की घटनाएं कम नहीं हो रहीं। पिछले कुछ समय में ऐसी कई घटनाएं हो चुकी हैं जो इस अभियान पर सवालिया निशान लगा रही है।

By Vijay KumarEdited By: Publish:Fri, 17 Sep 2021 09:42 PM (IST) Updated:Fri, 17 Sep 2021 09:42 PM (IST)
सालभर अवैध हथियारों की जब्ती के बावजूद कोलकाता में कम नहीं हो रहीं शूटआउट की घटनाएं, पुलिस के अभियान पर उठे सवाल
महानगर में शूटआउट की घटनाएं कम नहीं हो रहीं।

राज्य ब्यूरो, कोलकाता : अवैध हथियारों की जब्ती के लिए कोलकाता पुलिस की तरफ से सालभर अभियान चलाए जाने के बावजूद महानगर में शूटआउट की घटनाएं कम नहीं हो रहीं। पिछले कुछ समय में ऐसी कई घटनाएं हो चुकी हैं, जो इस अभियान पर सवालिया निशान लगा रही है। आखिर अवैध हथियार कहां से कोलकाता पहुंच रहे हैं? उन्हें कौन लेकर आ रहा है?

पुलिस को इसकी जानकारी क्यों नहीं मिल पा रही? निचले वर्ग के पुलिसकर्मियों का कहना है कि विभिन्न राज्यों से बंगाल में हथियारों की तस्करी हो रही है। बिहार के मुंगेर में तैयार किए जा रहे अवैध हथियार झारखंड से चोरी के रास्ते कोलकाता लाए जा रहे हैं। बिहार से मालदा व मुर्शिदाबाद के रास्ते भी हथियार कोलकाता पहुंच रहे हैं। कुछ पुलिसकर्मियों का कहना है कि बिहार के दुमका से सड़क के रास्ते अवैध हथियार लाए जा रहे हैं।

धनबाद से आसनसोल होते हुए भी हथियार कोलकाता पहुंच रहे हैं। इनमें मुख्य रूप से राइफल, पिस्तौल, वन शटर और कट्टा बंदूक शामिल हैं। गौरतलब है कि कुछ दिन पहले ही बिहार के बेगूसराय से कूचबिहार होकर अवैध हथियारों की तस्करी करते एक युवक को पुलिस ने गिरफ्तार किया था। वह बंगाल के ही दिनहाटा का रहने वाला है। पुलिस का एक वर्ग दूसरे राज्यों से अवैध हथियारों की तस्करी के साथ ही कोलकाता में हथियार तैयार करने के कारखाने की आशंका से भी इन्कार नहीं कर रहा।

एक पुलिस अधिकारी के अनुसार मुंगेर से सालभर हथियारों की तस्करी नहीं होती। किसी चुनाव से पहले यहां हथियार भेजे जाते हैं। चुनाव बाद उन हथियारों को दूसरी जगह बेच दिया जाता है। उक्त अधिकारी ने आगे कहा कि सालभर नजरदारी रखी जाती है। समय-समय पर विशेष अभियान भी चलाया जाता है। सवाल यह है कि इतना कुछ होने के बावजूद महानगर में आए दिन शूटआउट की घटनाएं क्यों हो रही हैं?

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