कोलकाता की 62 सड़कों पर साइकिल चलाने पर लगी रोक हटाने के लिए उठाई गई मांग

स्विचऑन फाउंडेशन ने कोलकाता के पुलिस आयुक्त सोमेन मित्रा को लिखा पत्र 2014 से उन सड़कों पर साइकिल पर रोक जारी है। विदेशों में जहां मोटर चालित वाहनों को प्रतिबंधित कर साइकिल की सवारी को बढ़ावा दिया जा रहा है वहीं कोलकाता में इसकी विपरीत स्थिति है।

By Vijay KumarEdited By: Publish:Tue, 15 Jun 2021 06:30 PM (IST) Updated:Tue, 15 Jun 2021 06:30 PM (IST)
कोलकाता की 62 सड़कों पर साइकिल चलाने पर लगी रोक हटाने के लिए उठाई गई मांग
साइकिल की औसत गति प्रति घंटा 14 किलोमीटर है जबकि कार की 10 किलोमीटर प्रति घंटा है।'

 राज्य ब्यूरो, कोलकाता : स्विचऑन फाउंडेशन (एनवायर्नमेंट कंजर्वेशन सोसाइटी) ने कोलकाता की 62 सड़कों पर साइकिल चलाने पर लगी रोक हटाने की मांग की है। संगठन की ओर से इस बाबत कोलकाता के पुलिस आयुक्त सोमेन मित्रा को पत्र लिखा गया है। स्विचऑन फाउंडेशन के प्रबंध निदेशक विनय जाजू ने बताया-'2008 में साइकिल को कोलकाता की सड़कों के लिए असुरक्षित और ट्रैफिक को धीमा करने वाला यातायात का साधन करार देते हुए 38 सड़कों पर इसे चलाने पर रोक लगा दी गई थी ।बाद में रोक वाली सड़कों की संख्या बढ़ाकर 114 कर दी गई। इसका तीव्र प्रतिवाद होने पर 2014 में इसे घटाकर 62 कर दिया गया। तब से उन सड़कों पर साइकिल पर रोक जारी है। हम चाहते हैं कि इसे हटाया जाए। विदेशों में जहां मोटर चालित वाहनों को प्रतिबंधित कर साइकिल की सवारी को बढ़ावा दिया जा रहा है, वहीं कोलकाता में इसकी विपरीत स्थिति है।'

यातायात का सुरक्षित साधन

विनय जाजू ने आगे बताया-' साइकिल को लेकर हमने बहुत से अध्ययन किए हैं, जिनमें इसे यातायात का सुरक्षित साधन पाया गया है। कोलकाता में हर साल महज 20 साइकिल सवारों की सड़क हादसों में मौत होती है जबकि राहगीरों और मोटरसाइकिल सवारों की होने वाली मौतों की तादाद इससे कहीं ज्यादा है। साइकिल पर एक आरोप यह लगता है कि इससे ट्रैफिक जाम होता है जबकि हकीकत यह है कि साइकिल कार की अपेक्षा तेज गति से दौड़ती है। कोलकाता की सड़कों पर साइकिल की औसत गति प्रति घंटा 14 किलोमीटर है जबकि कार की 10 किलोमीटर प्रति घंटा है।'

जीविका में 35 फीसद तक बढ़ोतरी

विनय जाजू ने कहा-'राह चलते लोग साइकिल को अपने लिए जोखिमपूर्ण नहीं मानते जबकि कोलकाता के 88 फीसद राहगीर मोटरसाइकिल चालकों को अपने लिए जोखिम वाला मानते हैं। साइकिल पर्यावरण संरक्षण के लिहाज से भी यातायात का बेहद महत्वपूर्ण साधन है। यह लाखों लोगों की वायु प्रदूषण के जानलेवा प्रभाव से सुरक्षा करता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के 2016 के सर्वेक्षण के मुताबिक कोलकाता दिल्ली के बाद देश का दूसरा सर्वाधिक प्रदूषित शहर है। विभिन्न अध्ययनों में यह भी खुलासा हुआ है कि साइकिल गरीबों की जीविका का प्रमुख साधन है। इसकी बदौलत एक गरीब परिवार की जीविका 35 फीसद तक बढ़ जाती है।

अलग लेन तैयार करने की भी मांग

साइकिल कार की तुलना में सड़क पर पांच गुना कम जगह घेरती है इसलिए इससे सड़क जाम भी नहीं होता। पिछले सात वर्षों में कोलकाता पुलिस ने 88.2 लाख कार मालिकों व चालकों पर खतरे का कारण बनने, रुकावट पैदा करने, सार्वजनिक स्थलों पर कार को लावारिस तरीके से खड़े रहने और असुविधा पैदा करने के मामले दर्ज किए हैं जबकि इस अवधि के दौरान महज 5,104 साइकिल सवारों पर ही छोटे-मोटे मामले दर्ज हुए हैं। विनय जाजू ने कोलकाता में साइकिल चलाने वालों के लिए अलग लेन तैयार करने की भी मांग की।

योजना तैयार करके सरकार को सौंपी

उन्होंने कहा-'कोलकाता मेट्रोपॉलिटन डेवलपमेंट अथॉरिटी की तरफ से इस बाबत व्यापक योजना तैयार करके राज्य सरकार को सौंपी गई है लेकिन उसे अभी तक क्रियान्वित नहीं किया गया है। कोलकाता की परिवहन व्यवस्था में साइकिल की हिस्सेदारी सात फीसद है।' गौरतलब है कि कोलकाता की जिन सड़कों पर अभी साइकिल चलाने पर रोक है, उनमें पार्क स्ट्रीट, रेड रोड, कैमक स्ट्रीट, जेम्स लांग सरणी, महात्मा गांधी रोड, एजेसी बोस रोड, गरियाघाट रोड, बालीगंज सर्कुलर रोड, आशुतोष मुखर्जी रोड, रानी रासमणि एवेन्यू, हेयर स्ट्रीट, चित्तरंजन एवेन्यू, जवाहरलाल नेहरू रोड और शेक्सपीयर सरणी उल्लेखनीय नाम हैं।

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