स्तनपान कराने वाली माताओं के लिए टीकाकरण- हावड़ा में अभी भी एंटीडोज की भारी कमी

कुछ दिन पहले हावड़ा में स्तनपान कराने वाली माताओं को दवा देने का काम शुरू हुआ था। कार्यक्रम के लिये पूरी तरह से अलग शिविर बनाने की योजना थी लेकिन जिले में पर्याप्त मात्रा में एंटीडोट्स की आपूर्ति नहीं होने के कारण कार्यक्रम लगभग ठप पड़ गया है।

By Priti JhaEdited By: Publish:Thu, 22 Jul 2021 09:18 AM (IST) Updated:Thu, 22 Jul 2021 09:18 AM (IST)
स्तनपान कराने वाली माताओं के लिए टीकाकरण- हावड़ा में अभी भी एंटीडोज की भारी कमी
हावड़ा में अभी भी एंटीडोज की भारी कमी, चिंतित प्रशासन

राज्य ब्यूरो, कोलकाता। अभी भी एंटीडोज की भारी कमी है। नतीजतन, हावड़ा में शुरू से ही दो साल की उम्र तक स्तनपान कराने वाली माताओं के लिए टीकाकरण कार्यक्रम पर जोर दिया जाता रहा है। 12 साल तक के बच्चों की माताओं के लिए टीकाकरण कार्यक्रम भी जर्जर अवस्था में है। इसलिए कोरोना की तीसरी लहर से पहले हावड़ा में करीब 6 लाख माताओं को एंटीडोज देना संभव है या नहीं, इस बारे में जिला स्वास्थ्य विभाग अनिश्चित है। कुछ दिन पहले हावड़ा में स्तनपान कराने वाली माताओं को दवा देने का काम शुरू हुआ था। कार्यक्रम के लिये पूरी तरह से अलग शिविर बनाने की योजना थी, लेकिन जिले में पर्याप्त मात्रा में एंटीडोट्स की आपूर्ति नहीं होने के कारण कार्यक्रम लगभग ठप पड़ गया है।

जिला स्वास्थ्य विभाग के अनुसार हावड़ा में स्तनपान कराने वाली माताओं की संख्या करीब 130,000 है। प्रतिदिन 30 हजार माताओं को विषनाशक दवा देने के उद्देश्य से इस कार्यक्रम की शुरुआत की गई थी, लेकिन फिलहाल एंटीडोट्स की दैनिक आपूर्ति की संख्या घटकर पांच से दस हजार रह गई है। कुछ दिन पहले एक दिन में 30 हजार डोज भेजे गए थे। शेष जिले को हावड़ा नगर पालिका के 17 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में 15 हजार डोज देने के बाद भी कुछ नहीं मिला। एंटीडोज की कमी के कारण दूसरी खुराक निर्धारित समय के भीतर देने में समस्या आ रही है।

जिला स्वास्थ्य विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘अब प्राथमिकता हमें दूसरी खुराक देने की है। इसलिए नए सिरे से पहली खुराक देने के बारे में नहीं सोच ही नहीं सकते हैं। क्योंकि, अब रोजाना पांच से दस हजार डोज आ रहे हैं।” उन्होंने कहा कि यही कारण है कि स्तनपान कराने वाली माताओं को दवा देने का कार्यक्रम लगभग ठप हो गया है। पिछले कुछ दिनों में सूचीबद्ध 130,000 माताओं में से केवल पांच से छह हजार को ही टीका लगाया गया है। पहले यह निर्णय लिया गया था कि 12 वर्ष की आयु तक की माताओं के टीकाकरण को प्राथमिकता दी जाएगी क्योंकि तीसरी लहर में संक्रमण का खतरा अधिक था।

यह तीसरी लहर की शक्ति को कम करने के तरीकों में से एक माना जाता था। लेकिन जिला स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक, मौजूदा हालात ने तीसरी लहर से पहले जिले में करीब छह लाख माताओं के टीकाकरण की संभावना को लेकर चिंता पैदा कर दी है। जिले की मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी निताई चंद्र मंडल ने कहा, ‘अभी दो साल तक के बच्चों की माताओं को ही टीके नहीं मिल पा रहे हैं। बाकी माताओं का टीकाकरण करने की योजना है लेकिन फिलहाल ऐसा नहीं हो रहा है। 

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