Corona in Bengal: मरीज 36 घंटे रहा भर्ती, अस्पताल ने बनाया 12 लाख का बिल, परिवार परेशान कैसे चुकाए इतनी बड़ी रकम

कोलकाता के एक निजी अस्पताल में 36 घंटे भर्ती कोरोना से संक्रमित एक व्यक्ति की मौत हो गई। मृतक मात्र तीन दिनों तक ही अस्पताल में भर्ती रहा था हालांकि शव को अस्पताल से बाहर निकालते समय मृतक के परिजनों को अस्पताल ने करीब 12 लाख का बिल सौंपा।

By Priti JhaEdited By: Publish:Mon, 17 May 2021 09:06 AM (IST) Updated:Mon, 17 May 2021 09:06 AM (IST)
Corona in Bengal: मरीज 36 घंटे रहा भर्ती, अस्पताल ने बनाया 12 लाख का बिल, परिवार परेशान कैसे चुकाए इतनी बड़ी रकम
मरीज 36 घंटे रहा भर्ती, अस्पताल ने बनाया 12 लाख का बिल,

राज्य ब्यूरो, कोलकाता । बंगाल में कोरोना महामारी के संक्रमण तेजी से फैल रहा है और संक्रमण बढ़ने के साथ ही लोगों पर आफत बढ़ रही है, लेकिन निजी अस्पतालों की मनमानी और कालाबाजारी थमने का नाम नहीं ले रही है। कुछ इसी तरह का बाक्या कोलकाता के एक निजी अस्पताल में सामने आया है। लगभग 36 घंटे 14 मिनट पहले कोरोना से संक्रमित निजी अस्पताल में भर्ती एक व्यक्ति की मौत हो गई। मृतक मात्र तीन दिनों तक ही अस्पताल में भर्ती रहा था, हालांकि शव को अस्पताल से बाहर निकालते समय मृतक के परिजनों को दक्षिण कोलकाता स्थित निजी अस्पताल ने करीब 12 लाख रुपये का बिल सौंपा। अब परिवार परेशान है कि कैसे इतनी बड़ी रकम चुकाए।

14 मई को अस्पताल में भर्ती हुए थे असीम दत्त

56 वर्षीय असीम दत्त को 14 मई को दोपहर 12:17 बजे कोलकाता के निजी अस्पताल में में भर्ती कराया गया था। 16 मई को दोपहर 2.30 बजे उनकी मौत हो गई। मृतक के एक रिश्तेदार असित दास ने कहा, ‘कोरोना से बीमार पड़ने के बाद मैंने उन्हें पहले दूसरे निजी अस्पताल में भर्ती कराया था। बाद में हालत बिगड़ने पर दक्षिण कोलकाता के निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था।”

दिया गया लगभग 12 लाख रुपये का बिल

असित दास का दावा है, “मुझे अस्पताल प्रबंधन ने बताया था कि उनके पास एकमो है। यह दिया जा सकता है, लेकिन लागत बहुत है। उन्होंने हमें बताया था कि 21 दिनों के लिए 41 लाख लग सकते हैं। हमने तीन लाख रुपये एडवांस दिए थे, लेकिन 36 घंटे के अंदर हमारे रिश्तेदार की मौत हो गई। मुझे लगा था कि हमें कुछ पैसे वापस मिल जाएंगे, लेकिन अस्पताल की ओर से हमें बताया गया कि अगर सिर्फ एकमो का सपोर्ट रहने पर एक दिन के एक लाख रुपये से थोड़ा ही ज्यादा खर्च होता है। जब हम डेथ सर्टिफिकेट लाने गए हमें 11 लाख 93 हजार 60 रुपये के बिल दिए गए। मुझे समझ में नहीं आ रहा है कि इतनी रकम कैसे हो गई। मुझे नहीं पता नहीं है कि बिल सही है या गलत। इतना बिल होने पर आम लोग इलाज नहीं करा पाएंगे।”

अस्पताल प्रबंधन ने दिया जांच का आदेश

हालांकि, अस्पताल के प्रबंधन ने कहा, “एकमो सपोर्ट देने पर शुरू में ही छह लाख रुपये की लागत आती है।शुरुआत में कुछ दिनों लागत अधिक होती है। बाद में यह धीरे-धीरे कम होता जाता है। लोगों को यह जानने की जरूरत है. आधुनिक विज्ञान कहता है कि पीड़ितों को अंतिम क्षण में बचाने का अंतिम प्रयास एकमो सपोर्ट है। वह महंगा है, हालांकि, हम पूरे बिल की समीक्षा करेंगे।” 

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