सुंदरवन में लापता हुए रॉयल बंगाल टाइगर का मिला सुराग, तय किया 100 किलोमीटर से अधिक का फासला
पिछले चार महीनों में इस बाघ ने 100 किलोमीटर से भी अधिक का फासला तय किया है। इस दौरान उसने कई नदियों को भी तैरकर पार किया जिनमें से कुछ एक किलोमीटर से भी लंबी बताई जा रही हैं। ------------
राज्य ब्यूरो, कोलकाता। सुंदरवन में लापता हुए रॉयल बंगाल टाइगर का आखिरकार पता चल गया है। सुंदरवन के भारतीय क्षेत्र से वह बांग्लादेश के हिस्से में पहुंच गया है, जो बंगाल की खाड़ी के निकट का भूभाग बताया जा रहा है। पिछले चार महीनों में इस बाघ ने 100 किलोमीटर से भी अधिक का फासला तय किया है। इस दौरान उसने कई नदियों को भी तैरकर पार किया, जिनमें से कुछ एक किलोमीटर से भी लंबी बताई जा रही हैं। चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन वीके यादव ने इसकी जानकारी दी।
गौरतलब है कि रेडियो कॉलर लगा यह सुंदरवन का एकमात्र बाघ है।। गत 11 मई के बाद से उसका कुछ पता नहीं चल पा रहा था। रेडियो कॉलर से मिले सिग्नल के जरिए आखिरी बार उसके बांग्लादेश में पड़ने वाले तालपट्टी इलाके में होने का पता चला था। उसके बाद से उसके शरीर में लगाए गए रेडियो कॉलर से सिग्नल नहीं मिल पा रहा था।
वन विभाग के कर्मचारी इस बात को लेकर अनिश्चित थे कि उस बाघ की मौत हो चुकी है या फिर उसके गले में लगाया गया रेडियो कॉलर खराब हो गया है। पिछले साल 27 दिसंबर को सात साल की उम्र वाले इस बाघ के गले में रेडियो कॉलर लगाया गया था। उससे पहले 2007 से 2008 व 2016 में सुंदरवन के कई बाघों के गले में रेडियो कॉलर लगाया गया था लेकिन सभी रेडियो कॉलर खराब हो चुके हैं।
सुंदरवन में मछलियां व केकड़ा पकड़ने जाने वाले कई लोगों की बाघों के हमले में मौत हो चुकी है इसलिए बाघों की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए उनके गले में रेडियो कॉलर लगाया जाता है। पिछले साल जिस बाघ के गले में रेडियो कॉलर लगाया गया था, उसकी आपूर्ति डब्ल्यूडब्ल्यूएफ इंडिया की ओर से की गई थी। यह रेडियो कॉलर अमेरिकी टेक्नोलाजी पर आधारित था।
जानकारों का कहना है कि एक रेडियो कॉलर सामान्य रूप से दो से तीन साल तक काम करता है लेकिन सुंदरवन के बाघों के मामले में इसके डेढ़ साल से ज्यादा काम करने की संभावना कम है क्योंकि बाघ सुंदरवन के लवण युक्त जल में उतरते हैं, जिनसे रेडियो कॉलर जल्द खराब हो जाते हैं।