चिटफंड घोटाला हो या फिर नारद कांड, सीबीआइ के खिलाफ पहले भी मोर्चा खोलती रही हैं ममता बनर्जी

बंगाल के दो मंत्री व एक तृणमूल विधायक की नारद स्टिंग कांड में गिरफ्तारी के बाद सोमवार को सुबह करीब पौने ग्यारह बजे मुख्यमंत्री ममता बनर्जी सीधे सीबीआइ दफ्तर पहुंच गई। महानगर के निजाम पैलेज स्थित सीबीआइ दफ्तर में छह घंटे तक बैठी रहीं।

By Vijay KumarEdited By: Publish:Mon, 17 May 2021 07:53 PM (IST) Updated:Tue, 18 May 2021 03:08 AM (IST)
चिटफंड घोटाला हो या फिर नारद कांड, सीबीआइ के खिलाफ पहले भी मोर्चा खोलती रही हैं ममता बनर्जी
सीबीआइ के खिलाफ तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी के तेवर तलख

जयकृष्ण वाजपेयी, कोलकाताः बंगाल के दो मंत्री व एक तृणमूल विधायक की नारद स्टिंग कांड में गिरफ्तारी के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी सीधे सीबीआइ दफ्तर पहुंच गई। महानगर के निजाम पैलेज स्थित सीबीआइ दफ्तर में छह घंटे तक बैठी रहीं। खबर है कि वह सीबीआइ अधिकारियों से कहती रही की अवैध रूप से उनके नेताओं व मंत्रियों को गिरफ्तार किया गया है, इसीलिए उन्हें भी वे गिरफ्तार करें। सीबीआइ अधिकारी भी परेशान थे कि एक राज्य की सीएम दफ्तर पहुंच कर इस तरह की बातें कह रही हैं। परंतु, यह पहला मौका नहीं है जब सीबीआइ के खिलाफ तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी मोर्चा खोली हैं।

2011 में मुख्यमंत्री बनने के बाद 2013 में जब सारधा चिटफंड घोटाला सामने आया और सीबीआइ जांच की मांग की गई तो उसे रोकने के लिए ममता सरकार सुुप्रीम कोर्ट तक लड़ाई लड़ीं। परंतु, 2014 में जब सुप्रीम कोर्ट ने चिटफंड घोटाले की जांच सीबीआइ को सौंप दी और उनके तत्कालीन परिवहन मंत्री मदन मित्रा की गिरफ्तारी हुई तो इसके खिलाफ उन्होंने सड़क पर उतरकर धरना प्रदर्शन किया था। गिरफ्तारी के खिलाफ धर्मतल्ला में कई दिनों तक धरना प्रदर्शन चला था। सीबीआइ दफ्तर का उस समय भी घेराव किया था।

सीबीआइ के खिलाफ सड़क से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक जा चुकी हैं 

2016 के विधानसभा चुनाव के दौरान नारद स्टिंग कांड सामने आया, जिसमें तृणमूल के तत्कालीन मंत्री,सांसद, विधायक समेत 12 नेता और एक आइपीएस अफसर का वीडियो मोटी रकम लेते हुए सामने आया तो इस कांड की भी सीबीआइ जांच रोकने के लिए ममता सरकार ने सुप्रीम कोर्ट पहुंच गईं। परंतु, सफलता नहीं मिली और 2017 में हाई कोर्ट ने सीबीआइ जांच का आदेश दे दिया। इसके बाद 2018 में बंगाल में राज्य सरकार की अनुमति के बिना सीबीआइ को जांच की दी गई सहमति ममता ने वापस ले ली।

फिर 2019 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले फरवरी में सीबीआइ ने जब चिटफंड घोटाले के लिए ममता सरकार की ओर से गठित विशेष जांच टीम के प्रमुख व कोलकाता पुलिस के तत्कालीन आयुक्त राजीव कुमार से पूछताछ के लिए पहुंची तो मुख्यमंत्री ममता बनर्जी राजीव केे आवास पर पहुंच गईं। इसके बाद धर्मतल्ला में वह इस पूछताछ के खिलाफ धरने पर बैठ गईं। मामला फिर सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा और आखिर में राजीव कुमार को सीबीआइ के समक्ष पेश होना ही पड़ा।

इसके बाद इसी वर्ष पिछले फरवरी 2021 में जब सीबीआइ ने ममता के सांसद भतीजे व युवा कांग्रेस के अध्यक्ष अभिषेक बनर्जी की पत्नी रूजिरा से पूछताछ के लिए पहुंची तो उससे ठीक पहले ममता अपने भतीजे के आवास पर पहुंच गईं और कुछ देर रहने के बाद चली गईं। इसेे ममता ने चुनाव में जमकर मुद्दा बनाया था। सीबीआइ से लेकर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), आयकर विभाग यहांं तक कि चुनाव में तो केंद्रीय बल और चुनाव आयोग के खिलाफ भी ममता ने मोर्चा खोल रखा था।

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