West Bengal Politics: मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भाजपा नेता सुवेंदु अधिकारी के गढ़ से सात विधायकों को बनाया मंत्री

सुवेंदु अधिकारी ने नंदीग्राम विधानसभा सीट पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को पराजित किया है। भाजपा ने विधायक के तौर पर उनके अनुभव को देखते हुए उन्हें राज्य विधानसभा में विरोधी दल का नेता चुना है। इसे देखते हुए तृणमूल नेतृत्व चाहता है कि सुवेंदु अधिकारी पर दबाव बनाकर रखा जाए।

By Priti JhaEdited By: Publish:Tue, 11 May 2021 01:19 PM (IST) Updated:Tue, 11 May 2021 01:19 PM (IST)
West Bengal Politics: मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भाजपा नेता सुवेंदु अधिकारी के गढ़ से सात विधायकों को बनाया मंत्री
राज्य विधानसभा में विरोधी दल के नेता चुने गए सुवेंदु पर दबाव बनाने की बताई जा रही रणनीति।

कोलकाता, राज्य ब्यूरो। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भाजपा नेता सुवेंदु अधिकारी के गढ़ से अपनी पार्टी के सात विधायकों को मंत्री बनाया है। सियासी विश्लेषक इसे राज्य विधानसभा में विरोधी दल के नेता चुने गए सुवेंदु पर दबाव बनाने की तृणमूल कांग्रेस की रणनीति बता रहे हैं। गौरतलब है कि इससे पहले अविभक्त मेदिनीपुर से कभी एक साथ इतने लोगों को मंत्री नहीं बनाया गया। वाममोर्चा के समय अधिकतम छह लोगों को मंत्री बनाया गया था।

सुवेंदु अधिकारी ने नंदीग्राम विधानसभा सीट पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को पराजित किया है। भाजपा ने विधायक के तौर पर उनके अनुभव को देखते हुए उन्हें राज्य विधानसभा में विरोधी दल का नेता चुना है। इसे देखते हुए तृणमूल नेतृत्व चाहता है कि सुवेंदु अधिकारी पर दबाव बनाकर रखा जाए। जिन विधायकों को मंत्री बनाया गया है, उनमें बीरबाहा हांसदा, सोमेन महापात्र, अखिल गिरि, मानस भुइयां, हुमायूं कबीर, श्रीकांत महतो और शिउली साहा शामिल हैं।

बीरबहा हांसदा झारग्राम से हैं जबकि सोमेन महापात्र और अखिल गिरि पूर्व मेदिनीपुर का प्रतिनिधित्व करते हैं। इसी तरह पश्चिम मेदिनीपुर से सर्वाधिक चार मानस भुइयां, हुमायूं कबीर, श्रीकांत महतो और शिउली साहा को मंत्री बनाया गया है। सोमेन महापात्र व मानस भुइयां को पूर्ण मंत्री का दर्जा दिया गया है। हुमायूं कबीर व अखिल गिरि को स्वतंत्र प्रभार वाला राज्य मंत्री बनाया गया है।

गौरतलब है कि इतने दिनों तक अविभक्त मेदिनीपुर में अधिकारी परिवार का एकछत्र राज हुआ करता था।सुवेंदु भी एक समय ममता मंत्रिमंडल का अहम हिस्सा थे। सुवेंदु के तृणमूल में रहते उनके क्षेत्र से कोई और उस तरह से आगे नहीं आ पाया था लेकिन उनके तृणमूल छोड़कर भाजपा में शामिल होने के बाद ममता ने वहां के अन्य नेताओं को तवज्जो देना शुरू कर दिया है ताकि सुवेंदु के गढ़ में उनके प्रभाव को कम किया जा सके। 

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