बंगाल में टीएमसी व कांग्रेस में गठबंधन की संभावना बढ़ी, सोनिया गांधी को आमंत्रित करेंगी ममता
बंगाल में टीएमसी व कांग्रेस में गठबंधन की संभावनाएं प्रबल हुई है वहीं वाममोर्चा तथा कांग्रेस के रिश्ते में दरार पड़ने की आशंका है। अगर कोविड नियंत्रण में रहा तो ममता बनर्जी कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को कोलकाता में होने वाली सभाओं में आमंत्रित करेंगी।
कोलकाता, इंद्रजीत सिंह। 21 जुलाई को तृणमूल कांग्रेस के शहीद दिवस पर पार्टी सुप्रीमो ममता बनर्जी के संदेश के बाद बंगाल में एक तरफ जहां टीएमसी व कांग्रेस में गठबंधन की संभावनाएं प्रबल हुई है वहीं दूसरी तरफ सूबे में मौजूदा वाममोर्चा तथा कांग्रेस के रिश्ते में दरार पड़ने की आशंका है। बताते चलें कि वर्चुअल रैली में ममता बनर्जी ने आगामी लोकसभा चुनाव में भाजपा को हराने के मकसद से कांग्रेस के साथ वृहद गठबंधन का आह्वान किया था। उन्होंने यह भी कहा था कि अगर कोविड नियंत्रण में रहता है तो वह कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को सर्दियों में कोलकाता में होने वाली आम सभा में आमंत्रित करेंगी।
गत दिनों ममता की वर्चुअल रैली में पी चिदंबरम, दिग्विजय सिंह जैसे दिग्गज कांग्रेसी नेता केंद्रीय नेतृत्व की सहमति से शामिल हुए थे। इसके बाद बंगाल कांग्रेस नेतृत्व को लगता है कि राज्य में फिर से तृणमूल के साथ उसके गठबंधन की संभावना प्रबल हो गई है। गौरतलब है कि ममता राज्य में 2011 में कांग्रेस के साथ गठबंधन करके ही सत्ता में आई थीं।
हाईकमान के निर्देश पर ही गठबंधन पर होगा फैसला
-प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी का कहना है कि बंगाल कांग्रेस तो कांग्रेस की एक शाखा है। लिहाजा हाईकमान के निर्देश पर ही गठबंधन के मुद्दे पर फैसला होगा। हम लोगों को कोई एतराज नहीं है।हालांकि वरिष्ठ कांग्रेसी नेता तथा सांसद प्रदीप भट्टाचार्य का कहना है कि राष्ट्रीय स्तर पर टीएमसी के साथ वृहद गठबंधन में कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन बंगाल में तृणमूल के साथ गठबंधन में कांग्रेस को क्या फायदा होगा, इस पर विस्तृत चर्चा की जरूरत है। इस स्थिति में वामपंथियों के साथ गठबंधन क्या होगा?
वामो-कांग्रेस गठबंधन में टूट की आशंका
-दूसरी ओर कांग्रेस के साथ माकपा के गठबंधन के टूटने का आसार दिख रहे हैं। लिहाजा माकपा को भी एक वैकल्पिक रास्ते के बारे में भी विचार करना पड़ रहा है। वाममोर्चा के चेयरमैन बिमान बोस का कहना है कि अगर आने वाले दिनों में कांग्रेस हम लोगों के साथ तालमेल नहीं रखना चाहती है तो हम क्या कर सकते हैं। यह उनका फैसला होगा।
कांग्रेस के पास सौदेबाजी की कोई जगह नहीं
-कांग्रेस के पास लोकसभा में राज्य से दो सीटें हैं, जबकि वामपंथी शून्य हैं। हालांकि तृणमूल कांग्रेस के साथ गठबंधन होने पर भी कांग्रेस के पास इन दो सीटों के बाहर सौदेबाजी की कोई जगह नहीं है। पार्टी के एक धड़े का सवाल है कि गठबंधन तभी बनेगा जब लोकसभा और राज्यसभा में कुछ प्रमुख लोगों की सीटें सुरक्षित होंगी।