West Bengal: कोलकाता के ज्ञानेश्वरी धोखाधड़ी मामले में आरोपित की डीएनए जांच करेगी सीबीआइ

कोलकाता के बैंकशाल कोर्ट ने सीबीआइ को इसकी अनुमति दे दी। अदालत ने केंद्रीय जांच एजेंसी को दो जुलाई तक स्थिति रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया। 10 साल पहले ज्ञानेश्वरी ट्रेन दुर्घटना में अमृताभ चौधरी की मौत हुई थी।

By Priti JhaEdited By: Publish:Tue, 22 Jun 2021 09:48 AM (IST) Updated:Tue, 22 Jun 2021 09:48 AM (IST)
West Bengal: कोलकाता के ज्ञानेश्वरी धोखाधड़ी मामले में आरोपित की डीएनए जांच करेगी सीबीआइ
ज्ञानेश्वरी धोखाधड़ी मामले में आरोपित की डीएनए जांच करेगी सीबीआइ

राज्य ब्यूरो कोलकाता। ज्ञानेश्वरी धोखाधड़ी मामले में पकड़ा गया युवक अमृताभ चौधरी है या नहीं यह सुनिश्चित करने के लिए सीबीआइ उसकी डीएनए जांच करेगी। सोमवार को कोलकाता के बैंकशाल कोर्ट ने सीबीआइ को इसकी अनुमति दे दी। अदालत ने केंद्रीय जांच एजेंसी को दो जुलाई तक स्थिति रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया। बताते चलें कि 10 साल पहले ज्ञानेश्वरी ट्रेन दुर्घटना में अमृताभ चौधरी की मौत हुई थी। यह जांच की जाएगी कि अमृताभ का डीएनए उसके माता-पिता के डीएनए सैंपल से मेल खाता है या नहीं।

कल सीबीआइ ने अमृताभ चौधरी और उसके पिता को सीबीआइ कार्यालय में तलब किया था। रविवार रात से सोमवार दोपहर तक सीबीआइ जांचकर्ताओं ने आरोपित से करीब 20 घंटे तक पूछताछ की। सूत्रों के अनुसार रविवार रात पूछताछ के दौरान उसके बयान में विसंगति पाई गई। अमृताभ चौधरी ने इंजीनियरिंग पास की। लेकिन पूछताछ के दौरान उसे इसकी जानकारी नहीं थी।अमृताभ ने कहा कि उसे भूलने की बीमारी है।

गौरतलब है कि कोलकाता के जोड़ाबागान के रहने वाले शख्स अमृताभ चौधरी पर ज्ञानेश्वरी ट्रेन हादसे में खुद को मृत बताकर मुआवजा पाने व बहन को रेलवे में नौकरी दिलाने का आरोप लगाया गया है। अमृताभ चौधरी की मृत्यु 28 मई 2010 को ज्ञानेश्वरी ट्रेन दुर्घटना में हुई थी। डीएनए पहचान के बाद शव परिवार को सौंप दिया गया था। उसकी शादीशुदा बहन महुआ पाठक को मुआवजे के तौर पर 2011 में रेलवे में नौकरी मिल गई। लेकिन अमृताभ मरा नहीं था। दक्षिण पूर्व रेलवे ने संदेह के आधार पर विभागीय जांच की। इसके बाद दक्षिण पूर्व रेलवे के भ्रष्टाचार निरोधी संबंधी प्रशासनिक प्रभाग के महाप्रबंधक ने सीबीआइ में शिकायत दर्ज कराई।

सरकारी अधिकारियों की मिलीभगत से उसके डीएनए का मिलान किया गया

पता चला है कि अमृताभ चौधरी की उस दिन हादसे में मौत नहीं हुई थी। वह जीवित है। शव किसी और व्यक्ति का था। सरकारी अधिकारियों की मिलीभगत से अमृताभ के डीएनए का मिलान किया गया। इस साजिश में बीमा एजेंट भी शामिल था।अमृताभ ने मृत दिखाकर भारतीय जीवन बीमा से भी रकम ले ली थी। अमृताभ के पिता मिहिर चौधरी और मां अर्चना चौधरी को सरकार की ओर से चार लाख रुपये का मुआवजा भी मिला था। धोखाधड़ी के संबंध में अमृताभ, मिहिर, अर्चना, महुआ पाठक और अज्ञात सरकारी और निजी अधिकारियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की कई धाराओं के तहत मामले दर्ज किए गए हैं। 

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