Cashier Arrested: करोड़ों रुपये के गबन के आरोप में सीबीआइ ने राइफल फैक्ट्री के कैशियर को किया गिरफ्तार

Cashier Arrested बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले के इच्छापुर स्थित केंद्रीय आयुध विनिर्माण बोर्ड के अधीन राइफल फैक्ट्री ईशापुर के कैशियर को सीबीआइ ने करोड़ों के गबन में गिरफ्तार किया है। आरोपित का नाम मधुसूदन मुखर्जी है।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Publish:Wed, 22 Sep 2021 05:00 PM (IST) Updated:Wed, 22 Sep 2021 05:00 PM (IST)
Cashier Arrested: करोड़ों रुपये के गबन के आरोप में सीबीआइ ने राइफल फैक्ट्री के कैशियर को किया गिरफ्तार
गबन के आरोप में सीबीआइ ने राइफल फैक्ट्री का कैशियर मधुसूदन मुखर्जी गिरफ्तार। फाइल फोटो

राज्य ब्यूरो, कोलकाता। करोड़ों रुपये के गबन के आरोप में सीबीआइ ने बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले के इच्छापुर स्थित केंद्रीय आयुध विनिर्माण बोर्ड के अधीन राइफल फैक्ट्री ईशापुर के कैशियर को गिरफ्तार किया है। आरोपित का नाम मधुसूदन मुखर्जी है। पता चला है कि 2012-2016 के बीच करोड़ों रुपये की हेराफेरी की गई थी। फैक्ट्री प्रबंधन की शिकायत पर जब सीबीआइ ने जांच शुरू की तो पता चला आरोपित ने 1.8 करोड़ रुपये का गबन किया है। अधिकारियों का कहना है कि यह राशि और भी अधिक हो सकती है। आरोपित मधुसूदन किसी बड़े रैकेट में शामिल है या नहीं, इसकी जांच की जा रही है। मंगलवार रात को जांच अधिकारियों ने निजाम पैलेस स्थित सीबीआइ कार्यालय में मधुसूदन मुखर्जी से पूछताछ की। इस मामले में बड़े खुलासे की संभावना है।

सूत्रों के मुताबिक, पूछताछ के दौरान वह सभी सवालों के सही जवाब नहीं दे सका। उसके बयान में कई विसंगतियां पाई गईं। इसके बाद अधिकारियों ने बुधवार सुबह उसे गिरफ्तार कर लिया। केंद्रीय जांच एजेंसी के मुताबिक मधुसूदन मुखर्जी ने 2012 से 2016 के दौरान निजी जरूरतों के लिए पैसे का गबन किया। फर्जी दस्तावेजों के जरिए कथित तौर पर पैसे निकाले गए। आरोपित के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 420, 120 (बी), 461 और 48 (ए) के तहत मामला दर्ज किया गया है।

साल 2018 में हथियारों की तस्करी के मामले का हुआ था खुलासा

राइफल फैक्ट्री ईशापुर में हथियार का निर्माण होता है। 2018 में राइफल फैक्ट्री से हथियारों की अवैध रूप से तस्करी का मामला प्रकाश में आया था। इस मामले में कोलकाता पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स ने फैक्ट्री के कर्मचारी विकास साव और शंभू भट्टाचार्य को गिरफ्तार किया था। फैक्ट्री के बाहर कर्मचारी गुपचुप तरीके से राइफल, ट्रिगर और बैरल जैसे पुर्जों की तस्करी करते थे। उन्हें बिहार और झारखंड में माओवादियों को भेजा था। माओवादी इसका इस्तेमाल हथियार बनाने के लिए करते थे। 

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