बंगाल में आपराधिक मामलों की जांच में देरी पर कलकत्ता उच्च न्यायालय ने लिया गंभीर संज्ञान, अधिकारियों की मांगी जानकारी

Calcutta High Court बंगाल में आपराधिक मामलों की जांच में देरी पर कलकत्ता उच्च न्यायालय ने गंभीर संज्ञान लेते हुए ऐसे सभी मामलों की जानकारी मांगी है जिनमें कानून के तहत तय समयसीमा में आरोप पत्र दाखिल नहीं किए गए।

By Vijay KumarEdited By: Publish:Thu, 10 Jun 2021 06:08 PM (IST) Updated:Thu, 10 Jun 2021 06:08 PM (IST)
बंगाल में आपराधिक मामलों की जांच में देरी पर कलकत्ता उच्च न्यायालय ने लिया गंभीर संज्ञान, अधिकारियों की मांगी जानकारी
कलकत्ता हाई कोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश की पीठ ने फाइलों को दबाकर बैठे अधिकारियों की मांगी विस्तृत जानकारी।

राज्‍य ब्यूरो, कोलकाताः बंगाल में आपराधिक मामलों की जांच में देरी पर कलकत्ता उच्च न्यायालय ने गंभीर संज्ञान लेते हुए ऐसे सभी मामलों की जानकारी मांगी है जिनमें कानून के तहत तय समयसीमा में आरोप पत्र दाखिल नहीं किए गए। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल और न्यायमूर्ति अरिजीत बनर्जी की पीठ ने इस मामले का स्वत: संज्ञान लेते हुये निर्देश दिया कि आरोप पत्र दाखिल करने में देरी की वजहों के साथ उन अधिकारियों की विस्तृत जानकारी दी जाए जो ‘इन मामलों से संबंधित फाइलों को दबाकर बैठे हैं’ और अदालत में अभियोग दाखिल करने के लिए अनुमति नहीं दे रहे हैं।

पीठ ने अपने आदेश में कहा कि इस अदालत के रजिस्ट्रार जनरल को निर्देश दिया जाता है कि बंगाल के सभी अदालतों से ऐसे मामलों की सूचना एकत्र करें जिसमें कानून के तहत तय समयसीमा में आरोप पत्र दाखिल नहीं किए गए हैं। अदालत ने इस मामले को 28 जून के लिए सूचीबद्ध करते हुए कहा कि अदालत के समक्ष इससे संबंधित सूचना अगली सुनवाई में जिलेवार पेश की जाए।

कार्यवाहक न्यायाधीश ने जलपाईगुड़ी सर्किट पीठ के आदेश के संदर्भ में राज्य अपराध जांच विभाग (सीआइडी) द्वारा दी गई जानकारी का अवलोकन करने के बाद कहा कि इस मामले के न्यायिक पक्ष को जनहित याचिका के तौर पर लिया जाएगा। अदालत ने रेखांकित किया कि सीआइडी द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक 999 ऐसे मामले हैं जिनमें आरोप पत्र कानून के तहत समय सीमा में दाखिल नहीं किए गए और इनमें कुछ मामले दशक पुराने हैं।

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