कलकत्ता उच्च न्यायालय ने किसानों को उनकी फसलों का उचित मूल्य नहीं मिलने के मामले में केंद्र को किया तलब

राज्य में किसानों को उनकी फसलों का उचित मूल्य नहीं मिलने को लेकर कलकत्ता उच्च न्यायालय में मामला दायर किया गया है। कलकत्ता उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश ने मामले की सुनवाई के दौरान किसानों के उचित मूल्य पर रिपोर्ट के लिए केंद्र को तलब किया है।

By Vijay KumarEdited By: Publish:Wed, 01 Dec 2021 04:46 PM (IST) Updated:Wed, 01 Dec 2021 11:38 PM (IST)
कलकत्ता उच्च न्यायालय ने किसानों को उनकी फसलों का उचित मूल्य नहीं मिलने के मामले में केंद्र को किया तलब
कलकत्ता उच्च न्यायालय में दायर किया गया है मामला।

राज्य ब्यूरो, कोलकाता : राज्य में किसानों को उनकी फसलों का उचित मूल्य नहीं मिलने को लेकर कलकत्ता उच्च न्यायालय में मामला दायर किया गया है। कलकत्ता उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश ने मामले की सुनवाई के दौरान किसानों के उचित मूल्य पर रिपोर्ट के लिए केंद्र को तलब किया है। रिपोर्ट में यह बताना होगा कि क्या किसानों को इस साल फसल का उचित मूल्य मिल रहा है।

वकील रविशंकर चट्टोपाध्याय ने कलकत्ता उच्च न्यायालय में किसानों को उनकी फसलों का उचित मूल्य दिलाने के लिए मामला दायर किया है। उन्होंने शिकायत की कि राज्य में कई किसानों को उचित मूल्य नहीं मिल रहा है। उन्होंने कहा कि 2012 में फसल का उचित मूल्य न मिलने के कारण 48 किसानों ने आत्महत्या कर ली। लेकिन उनके परिवारों को अभी तक मुआवजा नहीं मिला है।

मामले की सुनवाई के दौरान कलकत्ता हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने केंद्र से पूछा कि केंद्र ने इस साल फसल के उचित मूल्य के रूप में कितना पैसा दिया है।हालांकि केंद्र के वकील को इस संबंध में कोई जानकारी नहीं होने का कारण उन्होंने इसके लिए समय चाहा। मामले की अगली सुनवाई दो फरवरी को निर्धारित की गई है।

गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के जरिए पैसा सीधे किसानों के बैंक खातों में पहुंचाया जाएगा। उन्होंने दावा किया कि यह पैसा देश के एक करोड़ 62 लाख किसानों को पहले ही मिल चुका है। उन्होंने यह भी कहा है कि पिछले चार वर्षों में विभिन्न कारणों से पीड़ित किसानों को एक लाख करोड़ रुपये का मुआवजा मिला है। हालांकि बंगाल सरकार का आरोप है कि राज्य के कई किसानों को पूरा पैसा नहीं मिल रहा है। केंद्र को एक से अधिक पत्र भेजने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की गई। हालांकि शुरू में राज्य ने किसान मुआवजा राशि को हरी झंडी नहीं दी थी।

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