कलकत्ता हाई कोर्ट ने मुख्य न्यायाधीश के अधिकार क्षेत्र को लेकर उच्चतम न्यायालय का निर्णय मांगा

उच्च न्यायालय प्रशासन की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दायर विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) में यह जानने का प्रयास किया गया है कि न्यायाधीशों के विचारार्थ विषय का निर्धारण कैसे होगा तथा मुख्य न्यायाधीश के अधिकार क्षेत्र का दायरा कहां तक है।

By Vijay KumarEdited By: Publish:Mon, 26 Jul 2021 09:00 PM (IST) Updated:Mon, 26 Jul 2021 09:00 PM (IST)
कलकत्ता हाई कोर्ट ने मुख्य न्यायाधीश के अधिकार क्षेत्र को लेकर उच्चतम न्यायालय का निर्णय मांगा
हाईकोर्ट प्रशासन ने सुप्रीम कोर्ट में दायर की विशेष अनुमति याचिका

राज्य ब्यूरो, कोलकाता : कलकत्ता हाई कोर्ट ने मुख्य न्यायाधीश के अधिकार क्षेत्र को लेकर उच्चतम न्यायालय का निर्णय मांगा है। उच्च न्यायालय प्रशासन की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दायर विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) में यह जानने का प्रयास किया गया है कि न्यायाधीशों के विचारार्थ विषय का निर्धारण कैसे होगा तथा मुख्य न्यायाधीश के अधिकार क्षेत्र का दायरा कहां तक है। हाईकोर्ट के सूत्रों के मुताबिक न्यायाधीश सब्यसाची भट्टाचार्य की पीठ से डिवीजन बेंच में एक मामले के स्थानांतरण को लेकर हुए विवाद पर कलकत्ता उच्च न्यायालय के महापंजीयक ने सुप्रीम कोर्ट में एक एसएलपी दायर की है।

दरअसल हाल ही में न्यायाधीश सब्यसाची भट्टाचार्य को एक मामले की वर्चुअल सुनवाई के दौरान तकनीकी दिक्कत आ गई थी। उस समय उन्होंने कलकत्ता उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल का ध्यान आकर्षित किया और उच्च न्यायालय के वर्चुअल मीडिया रखरखाव के प्रभारी केंद्रीय परियोजना समन्वयक को कारण बताओ नोटिस भेजा। नोटिस की प्रतियां उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश और उच्च न्यायालय के महापंजीयक को भी भेजी गई हैं।

अगले दिन न्यायमूर्ति भट्टाचार्य की जानकारी के बिना मामला खंडपीठ को स्थानांतरित कर दिया गया। लेकिन खंडपीठ की सुनवाई से पहले जस्टिस भट्टाचार्य ने मामले में फैसला सुनाया। इसके अलावा न्यायमूर्ति भट्टाचार्य ने यह भी सवाल उठाया कि क्या मामले को 'अपील पक्ष' नियम के अनुसार स्थानांतरित किया गया है। जस्टिस भट्टाचार्य के फैसले के बाद रजिस्ट्रार जनरल ने कलकत्ता हाईकोर्ट प्रशासन की ओर से सुप्रीम कोर्ट में स्पेशल लीव पिटीशन (एसएलपी) दायर की है और जानना चाहा है कि न्यायाधीशों के विचारार्थ विषय का निर्धारण कैसे होगा तथा मुख्य न्यायाधीश के अधिकार क्षेत्र का दायरा कहां तक है।

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