West Bengal: कलकत्ता हाईकोर्ट ने गंभीर रूप से बीमार 35 कैदियों को दी घर जाने की अनुमति
West Bengal पिछले साल अक्टूबर में बंगाल सरकार की तरफ से हाईकोर्ट को सूचित किया गया था कि मेडिकल आफिसरों ने कई कैदियों को गंभीर रूप से बीमार बताया है और उनके स्वस्थ होने की संभावना कम है।
राज्य ब्यूरो, कोलकाता। West Bengal: कलकत्ता हाईकोर्ट ने गंभीर रूप से बीमार करीब 35 कैदियों को घर जाने और अपने बाकी दिन परिवार के साथ बिताने की अनुमति दी है, हालांकि ये कैदी आपातकालीन स्थिति को छोड़कर घर से निकल नहीं सकेंगे। पुलिस को यह सुनिश्चित करने को कहा गया है। कैदियों के परिवार को इस बाबत स्थानीय प्रशासन के पास बांड भी जमा करना होगा। इन कैदियों में कई कैंसर और एड्स के मरीज हैं। पिछले साल अक्टूबर में बंगाल सरकार की तरफ से हाईकोर्ट को सूचित किया गया था कि मेडिकल आफिसरों ने कई कैदियों को गंभीर रूप से बीमार बताया है और उनके स्वस्थ होने की संभावना कम है। मुख्य न्यायाधीश टीबी राधाकृष्णन और न्यायाधीश अरिजीत बनर्जी की पीठ ने कहा कि अदालत मानती है कि गंभीर रूप से बीमार कैदियों के साथ सहानुभूतिपूर्ण व्यवहार किया जाना चाहिए और अगर संभव हो तो उन्हें अपने परिवार और दोस्तों के बीच अंतिम सांस लेने की अनुमति दी जानी चाहिए।
पीठ ने कहा कि किसी व्यक्ति को कैद करने का उद्देश्य उसे स्वतंत्र तरीके से विचरण करने से वंचित करना है। इस मामले में सरकार एक बीमार कैदी को उसके घर में स्थानांतरित कर सकती है और उसे वहीं रखने का निर्देश दे सकती है। इस तरह कैदी को अपने प्रियजनों का प्यार और स्नेह भी प्राप्त होगा और वे शांति से रह भी सकेंगे। पूरी दुनिया में अब कैदियों के साथ मानवीय बर्ताव की अवधारणा को काफी अच्छी तरह से स्वीकार किया जा रहा है। यह आदेश एक हफ्ते में प्रभावी होगा। अधिवक्ता इंद्रजीत दे ने कहा कि यह न तो जमानत है और न परोल। घर में रहने को ही कैद माना जाएगा। अगर किसी कैदी का कोई न हो तो सरकार को केयरटेकर की भूमिका अदा करनी चाहिए। अगर किसी कैदी का परिवार उसके इलाज का खर्च वहन में सक्षम नहीं है तो यह खर्च सरकार को उठाना चाहिए।