कलकत्ता उच्च न्यायालय ने कहा- बंगाल में पुलिस सुधारों की जरूरत

एक लापता लड़की के मामले की सुनवाई करते हुए अदालत ने कहा कि आपराधिक मामले समुचित जांच नहीं होने की भेंट चढ़ जाते हैं। अदालत ने हुगली के पुलिस अधीक्षक को सुनवाई की अगली तारीख 21 दिसंबर को एक रिपेार्ट दाखिल करने का निर्देश दिया।

By Preeti jhaEdited By: Publish:Fri, 11 Dec 2020 08:52 AM (IST) Updated:Fri, 11 Dec 2020 08:52 AM (IST)
कलकत्ता उच्च न्यायालय ने कहा- बंगाल में पुलिस सुधारों की जरूरत
कलकत्ता उच्च न्यायालय ने कहा कि बंगाल में कानून-व्यवस्था के लिए पुलिस सुधारों के वास्ते यह उपयुक्त समय है।

कोलकाता, राज्य ब्यूरो। कलकत्ता उच्च न्यायालय ने कहा कि पश्चिम बंगाल में कानून-व्यवस्था शाखा को जांच शाखा से अलग करने के लिए पुलिस सुधारों के वास्ते यह उपयुक्त समय है। एक लापता लड़की के मामले की सुनवाई करते हुए अदालत ने कहा कि आपराधिक मामले समुचित जांच नहीं होने तथा समुचित साक्ष्य नहीं पेश किये जाने की भेंट चढ़ जाते हैं।

न्यायमूर्ति संजीव बनर्जी और न्यायमूर्ति अरिजीत बनर्जी की पीठ ने कहा कि वैसे तो कानून व्यवस्था बनाये रखना पुलिस की ड्यूटी का अहम हिस्सा है, लेकिन जांच शाखा से समझौता नहीं किया जा सकता है। अदालत ने कहा कि एक दिसंबर को और समय दिये जाने के बावजूद राज्य सरकार ने गुरुवार को और वक्त मांगा। अदालत ने कहा कि मामले में आरामबाग थाने के प्रभारी निरीक्षक ने रिपोर्ट दाखिल की, लेकिन इस बात का कोई संकेत नहीं है कि लड़की कहां है। अदालत ने हुगली के पुलिस अधीक्षक को सुनवाई की अगली तारीख 21 दिसंबर को एक रिपेार्ट दाखिल करने का निर्देश दिया।

बतातें चले कि गत दिनों कलकत्ता उच्च न्यायालय ने बंगाल वन विभाग के अधिकारियों को राज्य में अवैध वन्यजीव व्यापार के खिलाफ पशु और पक्षियों के साथ क्रूरता की रोकथाम के लिए कानूनों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करने का निर्देश दिया।

मुख्य न्यायाधीश थोट्टाथिल बी राधाकृष्णन और न्यायमूर्ति अरिजीत बनर्जी की डिवीजन बेंच ने पहले एक समाचार पत्र की रिपोर्ट के आधार पर राज्य में पक्षियों की अवैध तस्करी और लुप्तप्राय प्रजातियों के व्यापार का संज्ञान लिया था।

एडवोकेट जनरल किशोर दत्ता ने तर्क दिया कि राज्य के स्थान और क्षेत्र के मौजूदा सामाजिक-आर्थिक परिदृश्य के कारण बंगाल अवैध वन्यजीव व्यापार के लिए एक प्रमुख पारगमन बिंदु बन गया है। उन्होंने कहा कि अवैध व्यापार पर नियंत्रण राज्य के वन विभाग के लिए एक बड़ी चुनौती है। न्यायालय ने अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि जानवरों और पक्षियों के साथ क्रूरता को रोकने वाले कानूनों का पालन किया जाता है और प्रधान मुख्य वन संरक्षक और डीजीपी, पश्चिम बंगाल पुलिस द्वारा रिकॉर्ड आदेश के आधार पर आगे की गई गतिविधियों के संबंध में एक अलग कार्रवाई की गई रिपोर्ट को सुनने की अगली तारीख से पहले रखा जाना चाहिए। 

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