West Bengal: बस मालिक संगठनों ने किराए में वृद्धि के लिए खटखटाया कोलकाता हाईकोर्ट का दरवाजा

बस मालिक संगठन हमेशा ही सरकार के साथ बातचीत कर न्यायसंगत तरीके से किराया बढ़ाने के पक्ष में रहे हैं। पिछले काफी समय से सरकार से इस बाबत अनुरोध किया जा रहा है लेकिन सरकार ने अब तक इस जायज मांग पर विचार नहीं किया है।

By Priti JhaEdited By: Publish:Fri, 17 Sep 2021 02:53 PM (IST) Updated:Fri, 17 Sep 2021 02:53 PM (IST)
West Bengal: बस मालिक संगठनों ने किराए में वृद्धि के लिए खटखटाया कोलकाता हाईकोर्ट का दरवाजा
बस मालिक संगठनों ने किराए में वृद्धि के लिए खटखटाया कोलकाता हाईकोर्ट का दरवाजा

राज्य ब्यूरो, कोलकाता। बस मालिक संगठनों ने किराए में वृद्धि के लिए अब कलकत्ता हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। इस मामले पर जल्द सुनवाई की संभावना है। आसनसोल के मिनी बस संगठन व पश्चिम बंगाल बस व मिनी बस समन्वय समिति की तरफ से यह मामला किया गया है। उनका कहना है कि राज्य सरकार से बार-बार अनुरोध करने के बावजूद बस किराए में वृद्धि नहीं की जा रही है। तेल के दाम में पिछले कुछ समय में जबर्दस्त वृद्धि हुई है और यह दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है।

बस के कल-पुर्जों के दाम भी काफी बढ़ गए हैं। किराया नहीं बढ़ाए जाने से बस मालिकों को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है। ऐसे में इस उद्योग को बचाना मुश्किल हो जाएगा। कोरोना महामारी के कारण बसों में यात्रियों की संख्या भी सीमित कम कर दी गई है। बस मालिक संगठनों की तरफ से यह भी आरोप लगाया गया है कि कुछ जिलों में सरकारी बसों के किराए में बढ़ोतरी की गई है लेकिन निजी बसों का किराया नहीं बढ़ाया जा रहा है। इस तरह का भेदभाव क्यों किया जा रहा है? आटो व टोटो के किराए पर राज्य सरकार का कोई नियंत्रण नहीं है। वे अपनी मर्जी से जब-तब किराया बढ़ा देते हैं। उन्हें रोकने-टोकने वाला कोई नहीं है।

दूसरी तरफ कुछ रूटों पर निजी बस मालिकों ने खुद से ही किराया बढ़ा लिया है। लोग बढ़ा किराया देकर सफर करने को मजबूर हैं। इस बाबत पूछे जाने पर ज्वाइंट काउंसिल आफ बस सिंडिकेट के महासचिव तपन कुमार बनर्जी ने कहा कि जो लोग भी ऐसा कर रहे हैं, गलत कर रहे हैं।

बस मालिक संगठनों की तरफ से किराए में बढ़ोतरी नहीं की गई है। ऐसा करने वालों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। बस मालिक संगठन हमेशा ही सरकार के साथ बातचीत कर न्यायसंगत तरीके से किराया बढ़ाने के पक्ष में रहे हैं। पिछले काफी समय से सरकार से इस बाबत अनुरोध किया जा रहा है लेकिन सरकार ने अब तक इस जायज मांग पर विचार नहीं किया है। 

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