West Bengal: बीएसएफ ने पंचायत प्रधान के पति को तस्करी करते रंगे हाथों किया गिरफ्तार

पंचायत प्रधान के पति सहित एक अन्य तस्कर को उस वक्त पकड़ा गया जब मछली के लार्वा की सीमा चौकी हाक़ीमपुर क्षेत्र से बांग्लादेश में अवैध तरीके से तस्करी की कोशिश की जा रही थी। जब्त वस्तुओं की अनुमानित कीमत 10000 रुपये है।

By Priti JhaEdited By: Publish:Fri, 30 Apr 2021 08:28 AM (IST) Updated:Fri, 30 Apr 2021 08:28 AM (IST)
West Bengal: बीएसएफ ने पंचायत प्रधान के पति को तस्करी करते रंगे हाथों किया गिरफ्तार
तस्करी करते गिरफ्तार पंचायत प्रधान का पति।

कोलकाता, राज्य ब्यूरो। बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले में भारत-बांग्लादेश सीमा से एकदम सटा बिठारी - हाक़ीमपुर गांव तस्करी के लिए काफी कुख्यात है। अब दक्षिण बंगाल फ्रंटियर अंतर्गत सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के जवानों ने बिठारी - हाक़ीमपुर ग्राम पंचायत की प्रधान लिमा गाजी के पति को ही दो पॉली बैग मछली का लार्वा (बीज) की तस्करी करते रंगे हाथों गिरफ्तार किया है।

बीएसएफ की ओर से जारी बयान में बताया गया कि पंचायत प्रधान के पति सहित एक अन्य तस्कर को उस वक्त पकड़ा गया जब मछली के लार्वा की सीमा चौकी हाक़ीमपुर क्षेत्र से बांग्लादेश में अवैध तरीके से तस्करी की कोशिश की जा रही थी। जब्त वस्तुओं की अनुमानित कीमत 10,000 रुपये है। दक्षिण बंगाल फ्रंटियर के प्रवक्ता व डीआइजी सुरजीत सिंह गुलेरिया ने बताया कि 28 अप्रैल को सीमा चौकी बिठारी, 112वीं वाहिनी, सेक्टर कोलकाता के जवान अंतरराष्ट्रीय सीमा के नजदीक रूटीन ड्यूटी पर तैनात थे।

तभी रात करीब 8:00 बजे जवानों ने मोटरसाइकिल सवार दो व्यक्ति को आते देखा जो स्वरूपदा की तरफ से हाक़ीमपुर गांव की तरफ जा रहे थे। जवानों ने जब उन्हें रोककर तलाशी ली तो मोटरसाइकिल के अंदर एक गुप्त जगह में छुपाकर रखे दो पॉली बैग बरामद किए गए, जिसमें मछली का लार्वा था। इसके बाद जवानों ने मोटरसाइकिल को जब्त कर लिया तथा दोनों तस्करों को हिरासत में ले लिया। पकड़े गए तस्कर की पहचान रिहान सरदार (30) तथा मेकली सरदार (18) के रूप में हुई है। दोनों ग्राम- तराली, पोस्ट- हाकिमपुर, थाना- स्वरूपनगर, जिला- उत्तर 24 परगना, बंगाल का निवासी हैं। पूछताछ के दौरान इनमें से रिहान सरदार ने अपना परिचय दिया कि वह बिठारी-हाक़ीमपुर ग्राम पंचायत की प्रधान लिमा गाजी का पति है।

तस्करों ने बताया कि वे अपनी आजीविका के लिए पिछले कुछ दिनों से छोटी-मोटी तस्करी के कार्यों मे शामिल हैं। आगे उन्होंने बताया कि सुबह में उन्हें ये मत्स्य डिम्ब (मछली का लार्वा) रेहान सरदार द्वारा मिलीं थी जो की ग्राम- तराली का ही निवासी है। इस मत्स्य डिम्ब को बीएसएफ की हाक़ीमपुर चेक पोस्ट क्रॉस करके वापस रेहान सरदार को देना था जिसके बदले उन्हें 4,000 रुपये मिलते। लेकिन उससे पहले बीएसएफ के सतर्क जवानों ने उन्हें हाक़ीमपुर चेकपोस्ट के पास रंगे हाथों पकड़ लिया। बीएसएफ ने गिरफ्तार तस्करों तथा जब्त की गई मत्स्य डिम्ब को आगे की कानूनी कार्यवाही के लिए संबंधित कस्टम कार्यालय के हवाले कर दिया है।

बीएसएफ कमांडेंट ने जवानों की थपथपाई पीठ

इधर, 112वीं बटालियन, बीएसएफ के कार्यवाहक कमांडेंट चंद्रशेखर ने अपने जवानों की उपलब्धियों पर खुशी व्यक्त की, जिसके परिणामस्वरूप इस प्रकार के प्रतिबंधित सामान की तस्करी को नाकाम करते हुए पंचायत प्रधान के पति समेत दो तस्करों को गिरफ्तार किया। उन्होंने कहा कि यह केवल ड्यूटी पर तैनात उनके जवानों द्वारा प्रदर्शित सतर्कता के कारण ही संभव हो सका है।

हाकीमपुर गांव में तस्करी की हजारों दुकानों पर ताला लगवा चुकी है बीएसएफ

यह बताना आवश्यक है कि लगभग 10 हजार की आबादी वाले बंगाल के इस सीमावर्ती गांव (हाकीमपुर) में कुछ साल पहले तक पांच हजार तस्करी की दुकानें संचालित होती थी। यह बात सुनने में अचरज लगेगा लेकिन इस गांव में कुछ गिने-चुने लोगों को छोड़कर लगभग पूरी आबादी ही तस्करी व घुसपैठियों को सीमा पार करवाने जैसे अवैध धंधे में लिप्त थी और हजारों दुकानें खोलकर तस्करी का कारोबार चलाते थे। परंतु बीएसएफ तस्करी की इन हजारों दुकानों पर अब ताला लगवा चुकी है।

दरअसल, मुस्लिम बहुल इस गांव में स्थानीय ग्राम पंचायत व प्रशासन ने करीब 5,000 लोगों को दुकानों के लिए लाइसेंस जारी कर दिए थे। लिहाजा गांव में घरों से ज्यादा दुकानें ही नजर आती है। पंचायत, पुलिस व प्रशासन की तस्करों के साथ परोक्ष तौर पर कथित सांठ-गांठ की वजह से वर्षों से बांग्लादेश में विभिन्न सामानों की तस्करी के लिए यही दुकानें प्रमुख जरिया थी। यानी पूरे संगठित तरीके से यह धंधा चलता था। लेकिन, इस साजिश का पता चलने के बाद बीएसएफ ने पिछले करीब दो वर्षों के भीतर अब तक इस गांव के साढ़े चार हजार से ज्यादा अवैध दुकानों पर ताला लगवा चुकी है। इसके बाद से इन दुकानों के जरिए होने वाली तस्करी बंद हो गई है। अब इस गांव में महज 175 दुकानें ही चल रही है। 

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