गिरती कानून व्यवस्था के खिलाफ एक लाख लोग करेंगे कोलकाता पुलिस मुख्यालय का घेराव : भाजपा

भाजपा ने शुक्रवार को ममता सरकार को बंगाल में बड़े आंदोलन की चेतावनी दी है। प्रदेश भाजपा के महासचिव सायंतन बसु ने कहा कि अगले माह एक लाख लोग लालबाजार स्थित कोलकाता पुलिस मुख्यालय का घेराव करेंगे। राज्य की गिरती कानून-व्यवस्था के विरोध में यह प्रदर्शन किया जाएगा।

By Vijay KumarEdited By: Publish:Fri, 25 Jun 2021 06:31 PM (IST) Updated:Fri, 25 Jun 2021 06:31 PM (IST)
गिरती कानून व्यवस्था के खिलाफ एक लाख लोग करेंगे कोलकाता पुलिस मुख्यालय का घेराव : भाजपा
भाजपा ने शुक्रवार को ममता सरकार को बंगाल में बड़े आंदोलन की चेतावनी दी

राज्य ब्यूरो,कोलकाता : भाजपा ने शुक्रवार को ममता सरकार को बंगाल में बड़े आंदोलन की चेतावनी दी है। प्रदेश भाजपा के महासचिव सायंतन बसु ने कहा कि अगले माह एक लाख लोग लालबाजार स्थित कोलकाता पुलिस मुख्यालय का घेराव करेंगे। राज्य की गिरती कानून-व्यवस्था के विरोध में यह प्रदर्शन किया जाएगा।बसु ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके प्रदेश में कथित कोरोना वैक्सीन घोटाले की सीबीआइ जांच की मांग भी की। बसु ने कहा कि राजधानी कोलकाता में जो फर्जी कोविड वैक्सीनेशन कार्यक्रम चल रहा है, उसकी केंद्रीय एजेंसी से जांच कराई जाए। उन्होंने कहा कि इस घोटाला में बड़े अधिकारी भी शामिल हैं।

बसु ने कहा कि चूंकि इस मामले में अधिकारी भी संलिप्त हैं, इसलिए इस मामले की जांच सीबीआइ से ही कराई जानी चाहिए। राज्य की एजेंसियां इस केस की निष्पक्ष जांच नहीं कर पाएंगी। उन्होंने मांग की कि केंद्र सरकार को भी इस मामले में हस्तक्षेप करना चाहिए।उल्लेखनीय है कि विधानसभा चुनाव के परिणाम सामने आने के बाद से भाजपा लगातार सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस पर हिंसा करने का आरोप लगा रही है। प्रदेश भाजपा का दावा है कि दो मई को चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद से अब तक 30 से अधिक भाजपा कार्यकर्ताओं की तृणमूल समर्थित गुंडों ने हत्या कर दी है।

हिंसा के आरोपों को खारिज करती रही है ममता सरकार

हालांकि, मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी भाजपा नेताओं के हिंसा के आरोपों को सिरे से खारिज करतीं रही हैं। उनका कहना है कि बंगाल में पूरी तरह से शांति है। इक्का-दुक्का अपराध की घटनाएं हुईं हैं, जिसे भाजपा वाले बढ़ा-चढ़ाकर दिखा रहे हैं। उन्होंने कहा कि चुनाव के दौरान व उसके बाद जो भी हिंसा हुई, उस वक्त प्रशासन की बागडोर चुनाव आयोग के हाथों में थी, सरकार के नहीं। इसलिए राज्य सरकार इसके लिए जिम्मेदार नहीं हैं।

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