West Bengal Assembly Election 2021: तृणमूल के लिए मुश्किल होगा 'नदिया' को पार करना
भाजपा नदिया में तृणमूल के संगठन को कुंद करने में सफल रही है। तृणमूल के जिला उपाध्यक्ष रहे पार्थ चक्रवर्ती अब भाजपा का हिस्सा हैं। उनके अलावा कई अन्य ने भी भगवा झंडा थाम लिया है। इससे जिले में तृणमूल की सांगठनिक ताकत कम हुई है।
राज्य ब्यूरो, कोलकाता। बंगाल विधानसभा चुनाव का पांचवां चरण तृणमूल कांग्रेस के लिए मुश्किल साबित हो सकता है क्योंकि इसी चरण में उसे नदिया भी पार करनी होगी। जिले की आठ सीटें के लिए 17 अप्रैल को वोट पड़ेंगे, जिनमें शांतिपुर, राणाघाट उत्तर-पश्चिम, राणाघाट उत्तर-पूर्व, कृष्णनगर दक्षिण, राणाघाट दक्षिण, चकदह, कल्याणी और हरिणघाटा शामिल हैं। पिछले कुछ वर्षों में भाजपा ने इस जिले में अच्छी-खासी पैठ जमा ली है जबकि तृणमूल के जिला संगठन में दरार पड़ी है। यूं तो नदिया के लोगों ने चुनावों में हमेशा उदारता दिखाते हुए सभी सियासी दलों को मौका दिया है, फिर चाहे तृणमूल व भाजपा हो या फिर कांग्रेस व वामदल लेकिन इस बार इस जिले का नतीजा एकतरफा रह सकता है।
नदिया ही वह जिला है, जहां पिछले विधानसभा चुनाव में जबर्दस्त बहुमत हासिल कर सत्ता में वापसी करने के बावजूद तृणमूल की सीट कम हुई थीं। 2011 के विधानसभा चुनाव में तृणमूल ने जिले की 17 में से 13 सीटों पर कब्जा जमाया था, जबकि पिछले विधानसभा चुनाव में यहां उसकी सीट की संख्या एक घटकर 12 रह गई थी। वहीं पिछले विधानसभा चुनाव में जहां कई जिलों में कांग्रेस व वाममोर्चा का सूपड़ा साफ हो गया था, वहीं नदिया में दोनों को ऑक्सीजन मिला। कांग्रेस को तीन और वाममोर्चा को दो सीटें मिली थीं, इसलिए उनके गठबंधन को इस बार भी यहां अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद है। नदिया के लोगों ने भाजपा को 2016 के विधानसभा चुनाव में भले एक भी सीट नहीं दी लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में राणाघाट सीट उसकी झोली में डाल दी, जिससे भाजपा का उत्साह भी बढ़ा हुआ है।
अब शांतिपुर सीट पर ताल ठोक रहे जगन्नाथ सरकार
राणाघाट में भाजपा के जगन्नाथ सरकार ने अच्छे-खासे अंतर से तृणमूल की रूपाली विश्वास को हराया था। अब जगन्नाथ शांतिपुर सीट से ताल ठोक रहे हैं। उनका मुकाबला तृणमूल के अजय दे और कांग्रेस के रित्जु घोषाल से है।
तृणमूल के जिला संगठन को कुंद करने में सफल रही है भाजपा
भाजपा नदिया में तृणमूल के संगठन को कुंद करने में सफल रही है। तृणमूल के जिला उपाध्यक्ष रहे पार्थ चक्रवर्ती अब भाजपा का हिस्सा हैं। उनके अलावा कई अन्य ने भी भगवा झंडा थाम लिया है। इससे जिले में तृणमूल की सांगठनिक ताकत कम हुई है, जिसका इस विधानसभा चुनाव में असर देखने को मिल सकता है।
राणाघाट उत्तर-पश्चिम से तृणमूल के टिकट पर चुनावी मैदान में शंकर सिंह
वैसे तृणमूल ने कुछ खोया है तो कुछ पाया भी है। कांग्रेस के कद्दावर नेता शंकर सिंह सत्ताधारी दल में शामिल हो चुके हैं और इस बार राणाघाट उत्तर-पश्चिम से चुनावी मैदान में हैं। उनकी टक्कर कांग्रेस के विजयेंदु विश्वास (हाबू) व भाजपा के पार्थसारथी चटर्जी से है। यह कांग्रेस के लिए बड़ा नुकसान है क्योंकि अब उसका इस जिले में संगठन कहकर कुछ नहीं बचा है। नदिया में तृणमूल की नैया खेने की जिम्मेदारी कृष्णनगर से पार्टी सांसद महुआ मैत्र पर है। वे यहां पार्टी का सांगठनिक कामकाज देख रही हैं। महुआ अपने बेबाक बयानों के लिए हमेशा सुर्खियों में रहती हैं। दूसरी तरफ भाजपा ने सांसद जगन्नाथ सरकार को मोर्चे पर लगा रखा है। बेहद सक्रियता से वह पार्टी का झंडा बुलंद करने में जुटे हुए हैं। उत्तर 24 परगना जिले की तरह ही नदिया में भी मतुआ समुदाय बड़ा वोट फैक्टर है इसलिए तृणमूल और भाजपा, दोनों की ही उसपर पैनी निगाहें हैं।