बंगाल में टीएमसी नेता का हाथ में बंदूक लेने का वीडियो वायरल, घटना को लेकर भाजपा ने तृणमूल को घेरा
इंटरनेट मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें बंगाल के मालदा जिले में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की एक जिला नेता हाथ में बंदूक लिए अपने कार्यालय में बैठी नजर आ रही हैं। इस घटना ने राज्य में राजनीतिक विवाद खड़ा कर दिया है।
कोलकाता, राज्य ब्यूरो। बंगाल के मालदा जिले में एक सरकारी कार्यालय में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की एक जिला नेता की बंदूक के साथ पोज देने का एक कथित वीडियो इंटरनेट मीडिया पर वायरल हो गया है, जिससे मंगलवार को राज्य में राजनीतिक विवाद पैदा हो गया। तृणमूल नेता मृणालिनी मंडल मैती कथित वीडियो में एक आधिकारिक कुर्सी पर बैठी नजर आ रही हैं और उनके एक हाथ में बंदूक है। मैती न केवल ओल्ड मालदा पंचायत समिति की अध्यक्ष हैं, बल्कि मालदा जिला तृणमूल कांग्रेस की महिला इकाई की अध्यक्ष भी हैं।हालांकि मृणालिनी ने दावा किया है कि यह तस्वीर उनके कार्यालय की लगभग एक साल पुरानी है, लेकिन विपक्ष उनके बयान को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है।
मुख्य विपक्षी भाजपा के मुताबिक ऐसा पहली बार नहीं है, वह इससे पहले भी कई मौकों पर विवादों में रह चुकी हैं।हाल ही में मृणालिनी के पति पर प्रखंड विकास कार्यालय (बीडीओ) के अंदर एक कर्मचारी को बेरहमी से पीटने का आरोप भी लगा था। उनपर घटना के बाद अपने पति को बचाने का आरोप लगाया गया था।
इधर, इस तस्वीर के वायरल होने के बाद टीएमसी पर निशाना साधते हुए भाजपा जिला अध्यक्ष गोविंद चंद्र मंडल ने आरोप लगाया- हथियार रखना टीएमसी की संस्कृति है और वह केवल परंपरा का पालन कर रही हैं। पिछले 11 वर्षों में उन्होंने राज्य के साथ-साथ मालदा को भी बारूद के ढेर पर डाल दिया है। उन्होंने कहा कि यदि उनकी तलाशी ली जाए तो पुलिस को बम और एके -47 भी मिल सकते हैं। यह टीएमसी की संस्कृति का हिस्सा बन गया है। उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस नौकरी जाने के डर से कुछ नहीं कर रही है।
तृणमूल ने दी सफाई, कहा- हथियार दिखाना उचित नहीं
इधर, इस घटना पर तृणमूल कांग्रेस के जिलाध्यक्ष कृष्णेंदु नारायण चौधरी ने कहा, सरकारी कार्यालय में हथियार दिखाना उचित नहीं है। पुलिस पता लगाएगी कि बंदूक असली थी या नकली। कानून अपना काम करेगा। हालांकि उन्होंने कहा कि ऐसी घटना से पार्टी की छवि धूमिल हुई है। टीएमसी कभी भी इस तरह की हरकत को बर्दाश्त नहीं करेगी। यह न तो राजनीतिक रूप से सही है और ना ही कानूनी रूप से। पार्टी इसका समर्थन नहीं करती है।