कविगुरु रवींद्रनाथ टैगोर की धरती बंगाल पर ‘कानून का राज’ नहीं, बल्कि ‘शासक का कानून’ चल रहा

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) की विशेष समिति ने रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्य प्रशासन ने जनता में विश्वास खो दिया है। समिति ने कहा है कि बंगाल में कानून का राज नहीं है बल्कि शासक का कानून चल रहा है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Publish:Sat, 17 Jul 2021 11:55 AM (IST) Updated:Sat, 17 Jul 2021 11:55 AM (IST)
कविगुरु रवींद्रनाथ टैगोर की धरती बंगाल पर ‘कानून का राज’ नहीं, बल्कि ‘शासक का कानून’ चल रहा
एनएचआरसी की जांच हाई कोर्ट के निर्देश पर हुई है।

कोलकाता, राज्य ब्यूरो। कलकत्ता हाई कोर्ट के निर्देश पर बंगाल में चुनाव बाद हुई हिंसा की राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) की विशेष समिति ने जांच कर अंतिम रिपोर्ट पांच जजों की पीठ को सौंप दी। इस अंतिम रिपोर्ट से राज्य प्रशासन की काफी फजीहत होने वाली है। 50 पेज की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि राज्य प्रशासन ने जनता में अपना विश्वास खो दिया है। समिति ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा है कि कविगुरु रवींद्रनाथ टैगोर की धरती बंगाल पर ‘कानून का राज’ नहीं है, बल्कि यहां ‘शासक का कानून’ चल रहा है। समिति ने हिंसा की जांच के बाद अपनी सिफारिशें दी हैं, जिसमें कहा गया है कि जिन गांवों में हिंसा के पांच से ज्यादा मामले हुए हैं, वहां सेंट्रल आम्र्ड पुलिस फोर्स (सीएपीएफ) लगाई जाए।

आयोग की टीम ने सिफारिश की है कि हत्या, अस्वाभाविक मौत, दुष्कर्म जैसे सभी गंभीर मामलों को जांच के लिए सीबीआइ को सौंपा जाए। कई केस के बारे में कहा गया है कि उनके ट्रायल राज्य से बाहर किए जाएं। साथ ही सुप्रीम कोर्ट की देखरेख में एक विशेष जांच टीम (एसआइटी) का तुरंत गठन किया जाए जिसमें सीनियर आइपीएस अधिकारी हों। इस रिपोर्ट से साफ हो गया है कि चुनाव बाद बंगाल में हिंसा हुई है। क्योंकि खुद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने चुनाव बाद बंगाल में हिंसा होने से इन्कार किया था। परंतु यह सत्यापित उसी समय हो गया जब हाई कोर्ट के कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पांच जजों की पीठ ने माना कि हिंसा हुई है और इसके लिए एनएचआरसी को विशेष समिति गठित करने का निर्देश दिया। यहां तक कि जांच के दौरान कोलकाता के जादवपुर इलाके में जब एनएचआरसी की जांच टीम के सदस्य पहुंचे तो उन के साथ भी बदसलूकी की गई थी।

अब जब कि रिपोर्ट सामने आई है तो ममता इसके लिए केंद्र की मोदी सरकार पर हमले बोल रही है। जबकि सच्चाई यह है कि एनएचआरसी की जांच हाई कोर्ट के निर्देश पर हुई है। ममता बनर्जी ने सवाल उठाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस बात को अच्छी तरह जानते हैं कि उत्तर प्रदेश में कानून का राज नहीं है। उन्होंने वहां जांच करने के लिए कितने कमीशन भेजे हैं? हाथरस से लेकर उन्नाव तक कई घटनाएं हो चुकी हैं। वे बंगाल को बदनाम करते हैं। बंगाल में सबसे ज्यादा हिंसा चुनाव से पहले हुई थीं। उन्होंने एचआरसी की रिपोर्ट लीक होने को लेकर भी सवाल उठाया। परंतु ममता बनर्जी को समझना होगा कि यह जांच हाई कोर्ट के निर्देश पर है, न कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देश पर। इस पर विचार करने की आवश्यकता है।

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